US China Trade Deal : विश्व के दो सबसे ताकतवर देश अमेरिका और चीन ने लंबे ट्रेड वॉर के बाद अब एक दूसरे के साथ ट्रेड डील का ऐलान किया है। अमेरिका और चीन के बीच हुई ट्रेड डील की घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की है। बताया जा रहा है कि अमेरिका और चीन के बीच हुई ट्रेड डील के बाद अमेरिकी कंपनियों को रेयर अर्थ पदार्थ की सप्लाई अब चीन करेगा।
चीन के द्वारा यह सप्लाई करने के एवज में अमेरिका के द्वारा कॉलेज और विश्वविद्यालय में पढ़ाई हेतु चीनी छात्रों को इजाजत मिलेगी। दोनों देशों के बीच होने वाली इस ट्रेड को लेकर अभी पूर्णतया खुलासा नहीं हो पाया है।
चीन की मंजूरी के बाद होगा अंतिम फैसला
अमेरिका और चीन के बीच होने वाली ट्रेड डील की घोषणा को अभी अमेरिका की तरफ से ही मंजूरी मिल पाई है। दोनों देशों के बीच ट्रेड डील को अंतिम स्वरूप चीन के द्वारा मंजूरी मिल जाने के बाद ही यह अस्तित्व मे आएगी। दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत चीन के द्वारा अमेरिका को रेयर अर्थ मटेरियल अर्थात स्मार्टफोन तकनीकी उपकरण और इलेक्ट्रिक कर जैसे उपकरणों के लिए बेहद आवश्यक सामग्री प्रदान की जाएगी।
इसके प्रतिफल में चीन के छात्रों को अमेरिका के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालय में पढ़ाई के लिए अमेरिका की तरफ से सुविधा प्रदान की जाएगी। चीन के द्वारा अमेरिका को जो रेयर अर्थ मटेरियल प्रदान किए जाएंगे उनमें लैंथेनम, नियोडियम जैसे कुल 17 पदार्थ को शामिल किया जाता है। इन पदार्थों में पाए जाने वाले विशेष गुणधर्मों के कारण यह तत्व विभिन्न उत्पादों को बनाने के लिए अनिवार्य होते हैं। जिन पदार्थों को लेकर चीन और अमेरिका के बीच समझौता हुआ है वह पदार्थ धरातल में बहुत कम मात्रा में पाए जाते हैं।
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इन पदार्थों को शुद्ध अवस्था में प्राप्त करने के लिए जटिल और महंगी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। इसीलिए इन पदार्थों को दुर्लभ पदार्थ कहा जाता है। दुनिया के विभिन्न देशों में इन पदार्थों की कमी पाई जाती है। जबकि चीन इन पदार्थों का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक देश है। दुनिया में पाए जाने वाले कल दुर्लभ पदार्थ का लगभग 70% भाग चीन देश में पाया जाता है।
ट्रेड डील से अमेरिका को होगा चीन से ज्यादा लाभ
अमेरिका और चीन के मध्य की गई ट्रेड डील से एक तरफ अमेरिका को 55% लाभ होने की संभावना जताई जा रही है तो वहीं दूसरी ओर चीन को इस समझौते से लगभग 10% फायदा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर यह अंदाजा लगाया जा रहा है। हालांकि जब तक चीन की अनुमति नहीं मिल जाती तब तक दोनों देशों के बीच हुई ट्रेड डील को लेकर कोई स्पष्ट निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। दोनों देशों के बीच हुआ यह समझौता किस प्रकार लागू होगा इस पर भी अभी असमंजस है।
अमेरिका और चीन में चला था Trade Tariff War
विश्व की दो महा शक्तियों चीन और अमेरिका के बीच हाल ही में ट्रेड वॉर देखने को मिला था। चीन और अमेरिका दोनों ने ही एक दूसरे के खिलाफ एक्स्ट्रा tarif लगाए थे। इसके बाद दोनों देशों के मध्य स्विट्जरलैंड की राजधानी जिनेवा में टैरिफ को लेकर एक समझौता हुआ जिसमें दोनों ही देश टैरिफ को कम करने को लेकर सहमत हुए।

इस समझौते से पहले अमेरिका ने चीनी सामान पर 145% का टैरिफ लगा दिया था तो वहीं दूसरी तरफ चीन ने भी इसके बदले में अमेरिका से होने वाले व्यापार पर 125% टैरिफ का ऐलान किया था। दोनों देशों के बीच टैरिफ को लेकर हुए मतभेद के बाद अमेरिका और चीन के मध्य होने वाला व्यापार कुछ समय के लिए स्थगित हो गया था।
व्हाइट हाउस से मिले थे समझौते के संकेत
अमेरिका और चीन के मध्य हुई ट्रेड डील को लेकर अमेरिका के व्हाइट हाउस की तरफ से पहले ही संकेत मिल गए थे। 11 में को व्हाइट हाउस की तरफ से चीन के साथ होने वाले समझौते को लेकर जानकारी दी गई थी। हालांकि व्हाइट हाउस से दी गई जानकारी विस्तृत रूप में न होकर सीमित थी। दोनों ही देश अमेरिका और चीन के मध्य हुई ट्रेड डील को लेकर अलग-अलग राय व्यक्त कर रहे हैं।
एक तरफ चीन का कहना है कि नए सिरे से व्यापारीक गतिविधियों को शुरू करने के लिए अमेरिका और चीन के मध्य सहमति बनी है तो वहीं दूसरी तरफ अमेरिका का कहना है कि व्यापार में हो रहे नुकसान को कम करने के लिए यह समझौता किया गया है।