Iran Nuclear Deal : ईरान और इजरायल के लिए बीच परमाणु परीक्षण को लेकर पैदा हुआ तनाव अब संघर्ष विराम के बाद रुक गया है। ईरान और इजरायल के बीच चले युद्ध में अमेरिका के द्वारा भी ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया था लेकिन अब अमेरिका ईरान के प्रति सहानुभूति जाता रहा है। बताया जा रहा है कि अमेरिका ने ईरान को ढाई लाख करोड रुपए के निवेश का प्रस्ताव दिया है। अमेरिका के द्वारा दिया गया यह प्रस्ताव सिविल एनर्जी प्रोडक्शन न्यूक्लियर प्रोग्राम को विकसित करने के लिए बताया है।
ऊर्जा या बिजली बनाने के लिए होगा परमाणु कार्यक्रम
अमेरिका के द्वारा ईरान को सिविल एनर्जी प्रोडक्शन न्यूक्लियर प्रोग्राम को विकसित करने में मदद करने की पहल की गई है। अमेरिका के द्वारा ईरान को इस न्यूक्लियर प्रोग्राम के तहत सिर्फ बिजली और ऊर्जा बनाने की अनुमति होगी। ईरान को इस न्यूक्लियर प्रोग्राम के तहत हथियार बनाने की अनुमति नहीं होगी। बताया जा रहा है कि अमेरिका के द्वारा दिए गए प्रस्ताव के तहत ईरान यूरेनियम का संवर्धन नहीं कर सकता है। सिर्फ सिविल एनर्जी के लिए ईरान के द्वारा परमाणु कार्यक्रम चलाया जा सकता है। सिविल एनर्जी के लिए चलाये जाने वाले परमाणु कार्यक्रम में इसका उपयोग बिजली पैदा करने के लिए तथा न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाए जाने का कार्य किया जाता है।
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ईरान को मिल सकती है प्रतिबंधों से छूट
अमेरिका के द्वारा ईरान में सिविल एनर्जी प्रोडक्शन न्यूक्लियर प्रोग्राम को विकसित करने में निवेश के प्रस्ताव के बाद यह दावा किया जा रहा है कि ईरान पर लगे प्रतिबंधों पर भी छूट दी जा सकती है। यदि ईरान के द्वारा इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाता है तो विदेशी बैंकों में जमा बड़ी राशि पर लगे प्रतिबंध से भी ईरान को राहत मिलेगी। अब यह देखना रोचक होगा कि अमेरिका के द्वारा ईरान में बड़े स्तर पर निवेश के प्रस्ताव को स्वीकार किया जाता है या फिर ईरान के द्वारा अमेरिका के प्रस्ताव को ठुकरा दिया जाएगा।
अमेरिका खाड़ी देशों से कराएगा निवेश
अमेरिका के द्वारा ईरान मैं सिविल न्यूक्लियर प्रोग्राम के लिए जिस निवेश की बात कही गई है बताया जा रहा है कि वह निवेश अमेरिका सीधे तौर पर नहीं करेगा बल्कि खाड़ी देशों को वह इसके लिए प्रेरित करेगा। ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष रुक जाने के बाद अमेरिका की खाड़ी देशों के प्रमुख नेताओं के साथ एक गोपनीय मीटिंग हुई थी जिसमें इसे लेकर चर्चा की गई थी। खाड़ी देश के नेताओं से अमेरिका के व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात के बाद अमेरिका के द्वारा उनको ईरान में निवेश करने के लिए तैयार किया गया था।
अमेरिका शुरू करना चाहता है ईरान से शांति वार्ता
ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय तक चले तनाव में अमेरिका के द्वारा भाग लेने के कारण ईरान और अमेरिका के संबंधों में काफी दूरी बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि अमेरिका के द्वारा ईरान को सिविल एनर्जी प्रोडक्शन न्यूक्लियर प्रोग्राम विकसित करने के लिए जिस मदद के लिए हाथ बढ़ाया जा रहा है वह अमेरिका की तरफ से शांति वार्ता की कोशिश के लिए किया जा रहा है।

ईरान और अमेरिका के बीच संघर्ष की स्थिति बनने से पहले परमाणु समझौते को लेकर वार्ता होनी थी लेकिन बढ़ते तनाव के कारण तथा अमेरिका के द्वारा इजराइल को सपोर्ट करने के कारण ईरान ने इसे रद्द कर दिया था। ईरान ने वर्तमान में होने वाली अमेरिका के साथ परमाणु बातचीत को स्थगित करने के साथ-साथ भविष्य में भी अमेरिका से परमाणु बातचीत नहीं करने का निर्णय लिया था। लेकिन अब अमेरिका के द्वारा ईरान के परमाणु प्रोग्राम को आगे बढ़ाने के लिए जिस तरह निवेश का प्रस्ताव दिया गया है इससे उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों देशों के बीच एक बार फिर शांति वार्ता शुरू होगी।
अमेरिका ने किये थे ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले
ईरान और इजरायल के बीच परमाणु परीक्षण को लेकर पैदा हुए तनाव में अमेरिका ने इसराइल का साथ दिया था। इसराइल के द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों तथा अन्य सैनिक ठिकानों को निशाना बनाया गया था। इसी के साथ-साथ अमेरिका के द्वारा भी ईरान के महत्वपूर्ण परमाणु ठिकानों पर बड़े स्तर पर हमला किया गया था। अमेरिका का दावा है कि उसके द्वारा ईरान के सभी परमाणु ठिकानों को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है। जबकि ईरान अमेरिकी हमले के बावजूद अपने परमाणु ठिकानों को सुरक्षित बता रहा है। अमेरिका और ईरान के बीच इस हमले के कारण तनाव बढ़ गया था जिसके जवाब में ईरान ने भी मिडिल ईस्ट में अमेरिका के सैनिक एयरबेस को निशाना बनाते हुए बड़े स्तर पर हमला किया था।
अमेरिका के द्वारा अब परमाणु परीक्षण को आगे बढ़ाने के लिए ईरान के सहयोग की बात कही गई है लेकिन अमेरिका ने ईरान के सामने यह शर्त रख दी है कि ईरान के द्वारा परमाणु परीक्षण का उपयोग सिर्फ ऊर्जा और बिजली बनाने के लिए ही किया जाएगा। यदि ईरान के द्वारा परमाणु परीक्षण का उपयोग परमाणु हथियार बनाने के लिए किया गया तो ईरान को एक बार फिर हमले का सामना करना पड़ेगा। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ-साथ इसराइल भी यह स्पष्ट कर चुका है कि यदि ईरान ने परमाणु हथियार बनाने की दिशा में कार्य किया तो ईरान के ऊपर हमले किए जाएंगे।