India US Tariff : लंबे समय से चल रहे रूस और यूक्रेन युद्ध का असर दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में देखा जा रहा है। भारत के ऊपर अमेरिका के द्वारा अतिरिक्त टैरिफ की घोषणा की गई थी। अमेरिका ने भारत पर कुल 50% टैरिफ लगाया है। इसके बाद दुनिया के विभिन्न देशों के द्वारा इस पर अलग-अलग प्रतिक्रिया दी जा रही है। रूस और चीन के द्वारा टैरिफ के मुद्दे पर भारत का समर्थन करने के बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि चीन रूस से तेल खरीदने के मामले में भारत से आगे है। फिर भी भारत पर ज्यादा टैरिफ लगाया गया है। यह समझ से परे है।
भारतीय विदेश मंत्री ने यह बयान रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात के बाद दिया। भारतीय विदेश मंत्री ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात के साथ-साथ रूस के विदेश मंत्री से भी मुलाकात की। इसके बाद एक जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीन को भारत से बड़ा कच्चा तेल का खरीदार बताया। चीन के राजदूत ने भारत और चीन के संबंधों पर जोर देते हुए कहा कि इस समय दुनिया बदलाव के दौर से गुजर रही है। भारत और चीन दो ऐसे देश है जो सिर्फ एशिया के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए इनकी दोस्ती फायदेमंद हो सकती है। एशिया की आर्थिक प्रगति के लिए भारत और चीन दो इंजन के रूप में कार्य कर रहे हैं। चीन के राजदूत ने यह भी कहा कि शंघाई सहयोग संगठन में शामिल होने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चीन दौरा दोनों देशों के संबंधों को नई गति देगा।
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‘भारत पर हाई टैरिफ समझ से परे’
भारतीय विदेश मंत्री ने रूस के विदेश मंत्री से मुलाकात के बाद की गई ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यूरोपीय यूनियन नेचुरल गैस खरीदने के मामले में भारत से काफी आगे है। रूस और यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद दक्षिणी देशो के द्वारा लगातार रूस के साथ व्यापार बढ़ाया गया फिर भी अमेरिका के द्वारा सिर्फ भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया। यह समझ से परे है। अमेरिका के द्वारा पहले यह कहा जाता था कि भारत ग्लोबल एनर्जी मार्केट को स्थिर रखने के लिए रूस से तेल खरीदना जारी रखें लेकिन अब अमेरिका के द्वारा अपने स्टैंड को बदला जा रहा है। भारत और रूस के रिश्तों पर भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत और रूस का रिश्ता दुनिया के सबसे स्थिर रिश्तो में से एक है। भारत के द्वारा रूस से कच्चे तेल की खरीद जरूरत के आधार पर की जाती है। भारतीय विदेश मंत्री के द्वारा रूस के विदेश मंत्री से मुलाकात के बाद विभिन्न मुद्दों पर सहमति जताई है।
अमेरिका के द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ का चारों तरफ विरोध हो रहा है। रूस के द्वारा हाल ही में अमेरिका का विरोध करते हुए भारत का समर्थन जताया गया था। रूस के बाद चीन भी टैरिफ को लेकर भारत के पक्ष में खड़ा दिखाई दे रहा है। चीन के राजदूत ने भारत पर लगाए गए टैरिफ की निंदा की। साथ-साथ उन्होंने कहा कि अगर इस समय चुप रहा गया तो आने वाले समय में दबंगई बढ़ सकती है। चीन भारत के साथ इस स्थिति में मजबूत खड़ा हुआ है। चीन के राजदूत के द्वारा यह बयान नई दिल्ली में आयोजित एक प्रोग्राम में दिया गया। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के रिश्तों को मजबूत करने की आवश्यकता है। दोनों देश एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी नहीं है बल्कि पड़ोसी होने के साथ साझेदार भी है। दोनों देशों के बीच चल रहे मतभेदों को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहिए।

एशिया की आर्थिक प्रगति के इंजन है भारत और चीन
चीन के राजदूत ने भारत और चीन के संबंधों पर जोर देते हुए कहा कि इस समय दुनिया बदलाव के दौर से गुजर रही है। भारत और चीन दो ऐसे देश है जो सिर्फ एशिया के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए इनकी दोस्ती फायदेमंद हो सकती है। एशिया की आर्थिक प्रगति के लिए भारत और चीन दो इंजन के रूप में कार्य कर रहे हैं। चीन के राजदूत ने यह भी कहा कि शंघाई सहयोग संगठन में शामिल होने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चीन दौरा दोनों देशों के संबंधों को नई गति देगा। चीन के राष्ट्रपति के द्वारा आमंत्रित किए जाने के बाद भारतीय प्रधानमंत्री चीन दौरा करेंगे। चीन के राजदूत ने कहा कि लगातार भारत और चीन के द्वारा एक दूसरे के हितों का सम्मान किया जा रहा है। कैलाश मानसरोवर यात्रा का एक बार फिर शुरू होना बड़ा कदम है।
अमेरिका के द्वारा भारत पर 50% टैरिफ की घोषणा की जा चुकी है। इसे लेकर एक बार फिर व्हाइट हाउस की तरफ से बयान देते हुए कहा गया कि भारत पर अमेरिका के द्वारा प्रतिबंध रूस पर दबाव बनाने के लिए लगाया गया है। रूस पर दबाव बनने के बाद लंबे समय से चल रहे यूक्रेन युद्ध को रोकने में मदद मिलेगी। अमेरिका के व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी के द्वारा यह जानकारी दी गई। इससे पहले अमेरिका के द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ को रूस से तेल खरीदने के कारण जुर्माना बताया जा रहा था। भारत पर अब तक 25% टैरिफ के साथ-साथ 25% अतिरिक्त टैरिफ की घोषणा की जा चुकी है। यह टैरिफ भारत पर 7 अगस्त से लागू हो गया है जबकि अतिरिक्त टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी के मुताबिक इसका उद्देश्य रूस पर दबाव बढ़ाना है।