अमेरिका ने की थी किम जोंग की जासूसी की कोशिश; नहीं हुआ कामयाब

US North Korea Mission : उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग की जासूसी के लिए अमेरिका के द्वारा बड़ा गोपनीय अभियान चलाया गया था लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में यह अभियान चलाया गया था। इसके लिए अमेरिका की नेवी सील टीम उत्तर कोरिया के तट तक पहुंचकर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगाने की कोशिश करना चाहती थी लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाई। 2019 में जिस समय यह मिशन चलाया गया अमेरिका में उस समय डोनाल्ड ट्रंप की सरकार थी। अमेरिका के राष्ट्रपति की अनुमति से चलाया गया यह मिशन सफल नहीं हो सका और उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग की जासूसी के लिए लगाए जाने वाला इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी नहीं लग सका। बताया जा रहा है कि अमेरिका की टीम के द्वारा इस अभियान के दौरान निहत्थे लोगों को मार गिराया।

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लादेन को मारने वाले सैनिक अभियान में शामिल

किम जोंग की जासूसी के लिए अमेरिका के द्वारा चलाए गए अभियान में उन सैनिकों को शामिल किया गया था जिन्होंने ओसामा बिन लादेन को मारा था। 2019 में अमेरिका की यह टीम उत्तरी कोरिया के लिए रवाना हुई। ठंडी रात होने के बावजूद इन टीम को विशेष कपड़े तथा हथियार उपलब्ध कराए गए थे। अमेरिका जासूसी के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगाना चाहता था ताकि परमाणु बातचीत में अमेरिका को सहायता प्राप्त हो सके। इस बड़े ही गोपनीय मिशन को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा मंजूरी दी गई थी लेकिन यह मिशन सफल नहीं हो सका।

अमेरिकी टीम को सताया पकडे जाने का डर

अमेरिकी नेवी की सील टीम एक पनडुब्बी के जरिए कोरिया के तट तक पहुंची। विशेष तैयारी के साथ पहुंची अमेरिका की टीम तट पर पहुंचकर डर गई। एक छोटी नाव देखकर टीम को लगा कि शायद वह पकड़े जाएंगे। इसलिए उन्होंने नाव में सवार नागरिकों को मार दिया। हमला करने के बाद में पता चला कि यह उत्तर कोरिया के सैनिक नहीं बल्कि आम नागरिक थे। अमेरिकी टीम के द्वारा इन नागरिकों के शरीर को पानी में डुबो दिया गया था ताकि किसी को पता नहीं लग सके। अमेरिकी टीम के द्वारा मारे गए नाव में सवार नागरिक सीप  इकट्ठे करने के लिए निकले हुए थे। इस तरह अमेरिका की टीम बिना इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगाए ही वापस लौट गई। हालांकि अमेरिकी सरकार के द्वारा भेजी गई टीम का कोई भी सदस्य इस मिशन में घायल नहीं हुआ था।

लंबे समय तक गुप्त रहा मिशन

अमेरिका के द्वारा उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग के लिए चलाए गए गोपनीय अभियान को लंबे समय तक सीक्रेट बना कर रखा गया था। इस मिशन का जिक्र अमेरिका और उत्तर कोरिया दोनों के द्वारा ही कभी नहीं किया गया लेकिन अब धीरे-धीरे इस मिशन का सच सामने आ रहा है। अमेरिका की सील टीम के द्वारा उत्तर कोरिया के तट पर पहुंचने के बाद उत्तर कोरिया ने अपनी सैन्य गतिविधियों में काफी तेज गति से बढ़ोतरी की थी लेकिन इस मिशन को लेकर उत्तर कोरिया की तरफ से भी कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया गया था। दूसरी तरफ अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तथा उनकी सरकार के द्वारा अमेरिकी संसद के सदस्यों को भी इस मिशन के बारे में नहीं बताया था। 2019 में इस मिशन के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग की मुलाकात हुई थी। दोनों की मुलाकात परमाणु शिखर सम्मेलन में हुई लेकिन अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं हो सका। इसके बाद लगातार उत्तर कोरिया के द्वारा मिसाइल परीक्षण किए गए।

US North Korea Mission 2019 में चला गुप्त अभियान नाकाम, किम जोंग की जासूसी के लिए डिवाइस लगाने की कोशिश विफल, नागरिकों की मौत से बढ़ा विवाद।
US North Korea Mission 2019 में चला गुप्त अभियान नाकाम, किम जोंग की जासूसी के लिए डिवाइस लगाने की कोशिश विफल, नागरिकों की मौत से बढ़ा विवाद।

रूस के राष्ट्रपति पुतिन शंघाई सहयोग संगठन में शामिल होने के बाद चीन के द्वारा आयोजित विक्ट्री डे परेड में शामिल हुए। इसी दौरान उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग भी मौजूद रहे। विक्ट्री डे परेड के बाद रूस के राष्ट्रपति पुतिन और किम जोंग के बीच लंबी मुलाकात देखने को मिली। इस दौरान लगभग 1 घंटे तक बंद कमरे में दोनों नेताओं ने चर्चा की। बताया जा रहा है कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन के द्वारा किम जोंग को रूस दौरे पर आने का न्योता दिया गया। उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग ने रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर बयान देते हुए कहा कि हमारा रूस को समर्थन लगातार जारी रहेगा। रूस की मदद करना हमारा फर्ज है। हम जिस भी तरह से सक्षम होंगे रूस को सहायता की जाएगी। यह हमारे भाईचारे का फर्ज है। इससे पहले भी उत्तर कोरिया के द्वारा बड़े स्तर पर रूस को समर्थन दिया गया है। रूस यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में उत्तर कोरिया ने अपने सैनिकों को रूस की तरफ से लड़ने भेजा था। इसे लेकर विभिन्न देशों के द्वारा विरोध भी जताया गया था लेकिन एक बार फिर उत्तर कोरिया ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह जंग में रूस के साथ रहेगा।

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