Nepal Social Media : नेपाल की सरकार के द्वारा सोशल मीडिया को लेकर बढ़ा निर्णय लिया गया था। नेपाल सरकार ने विभिन्न पक्षों का हवाला देते हुए सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर बैन लगा दिया था लेकिन नेपाल में हुए उग्र प्रदर्शन के बाद नेपाल की सरकार को झुकना पड़ा है। भारी विरोध के बाद सरकार के द्वारा सोशल मीडिया पर लगाए गए बैन को हटा लिया गया है। नेपाल सरकार की कैबिनेट बैठक में आंदोलन कर रहे प्रदर्शनकारियों की बात पर चर्चा हुई जिसके बाद लगे हुए बैन को हटाने का निर्णय लिया। कैबिनेट मीटिंग के बाद कैबिनेट मंत्री ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि हमने उनकी अपील को स्वीकार कर लिया है। अब युवाओं को विरोध बंद करते हुए सही रास्ता अपनाना चाहिए। इससे पहले नेपाल के प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से रोक हटाने से इनकार कर दिया था।
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युवाओं के आगे सरकार बेबस
नेपाल सरकार के द्वारा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के बाद ही युवाओं के द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन किया गया। युवाओं ने अपने विरोध को और तेज कर दिया। जिसके बाद यह हिंसा भड़क गई। नेपाल सरकार के खिलाफ किए गए विरोध प्रदर्शन में 18 साल से 28 वर्ष के युवाओं की संख्या सर्वाधिक थी। युवा संसद के बाहर इकट्ठा होना शुरू हो गए और उनके द्वारा पुलिस के द्वारा की गई बेरी कैडिंग को तोड़कर संसद में घुसने की कोशिश की गई। इसी दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस में झड़प हो गई। पुलिस के द्वारा भीड़ को काबू करने के लिए बल प्रयोग किया गया। लोगों ने प्रदर्शन के दौरान सड़कों पर खड़ी विभिन्न गाड़ियों के साथ-साथ दूसरे सामान को नुकसान पहुंचाया।
26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगाया था प्रतिबंध
नेपाल सरकार के द्वारा 3 सितंबर को सोशल मीडिया को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया था। इसके माध्यम से फेसबुक इंस्टाग्राम यूट्यूब समेत कई दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नेपाल में बैन कर दिया गया था। नेपाल सरकार का यह तर्क था कि इन प्लेटफार्म के द्वारा संचार और सूचना प्रौद्योगिकी नेपाल मंत्रालय में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया है। इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के द्वारा 28 अगस्त को एक आदेश जारी किया गया था जिसमें रजिस्ट्रेशन जारी करने के लिए 7 दिन की समय सीमा दी गई थी। नेपाल सरकार के द्वारा दी गई समय सीमा 2 सितंबर को समाप्त होने के बाद नेपाल सरकार के द्वारा 3 सितंबर को प्रतिबंध लगाए गए थे। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए निर्देश के बाद नेपाल की सरकार इन कंपनियों पर शिकंजा कसने की कोशिश कर रही थी। सरकार का मानना है कि इन प्लेटफार्म के जरिए साइबर क्राइम गलत सूचना तथा हैट स्पीच जैसे मामले बढ़ रहे हैं। नेपाल में पूर्णतया सोशल मीडिया पर प्रतिबंध नहीं था। केवल उन्हीं कंपनियों को प्रतिबंधित किया गया था जिनके द्वारा नेपाल के मंत्रालय में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया था। कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जिनके द्वारा नेपाल के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में रजिस्ट्रेशन कर दिया गया था उन पर सरकार ने प्रतिबंध नहीं लगाया था।
आदेश के बावजूद कंपनियों ने नहीं किया पालन
नेपाल सरकार के द्वारा विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को रजिस्ट्रेशन करने का आदेश देने के बावजूद विभिन्न कंपनियों के द्वारा इसका पालन नहीं किया गया। नेपाल सरकार का आदेश है कि किसी भी तरह के गलत कंटेंट को हटाने के लिए लोकल ऑफिस में लोकल अधिकारी नियुक्त करना होगा। इस अधिकारी को कानून नोटिस आदि का जवाब देने के साथ-साथ विभिन्न कार्य करने थे। यूजर डाटा शेयर करने के मामले में भी विभिन्न कंपनियों को सरकार के नियमों का पालन करना था लेकिन कंपनियों को यह नियम काफी सख्त दिखाई दे रहे थे। इसी वजह से वह इनमें रुचि नहीं ले रही थी। बड़े देश में इन कंपनियों के द्वारा लोकल ऑफिस तथा अधिकारी की नियुक्ति की जा सकती थी लेकिन नेपाल जैसे छोटे देश में यह काफी खर्च वाला कार्य है। इसी के साथ कंपनियों को यह भी डर था कि यदि उन्होंने नेपाल में इन नियमों का पालन किया तो दूसरे देश भी नेपाल की राह पर होने पर यह नियम लागू कर सकते हैं।

26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगाया नेपाल में प्रतिबंध
नेपाल की सरकार के द्वारा गुरुवार को बड़ा निर्णय लिया गया था। इस निर्णय के तहत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को प्रतिबंधित किया जा चुका है जिनमें व्हाट्सएप यूट्यूब इंस्टाग्राम फेसबुक समेत दूसरे प्लेटफॉर्म शामिल है। नेपाल का आरोप है कि इन कंपनियों के द्वारा तय समय सीमा तक सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी मंत्रालय में पंजीकरण नहीं कराया गया था। नेपाल सरकार के द्वारा उठाए गए इस फैसले के बाद लगातार विरोध भी देखने को मिल रहा है। पत्रकार और युवाओं के द्वारा लगातार इसे गलत बताया जा रहा है। लोगों का कहना है की प्रेस की आजादी तथा अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता के खिलाफ नेपाल सरकार ने यह फैसला लिया है। साथ ही यह चेतावनी भी नेपाल सरकार को दी गई थी कि इस फैसले से रोजगार शिक्षा तथा व्यापार पर भी गंभीर असर देखने को मिलेगा।
नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लगे सरकारी प्रतिबंध को लेकर कहा कि देश की स्वतंत्रता तथा गरिमा से किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बता दे की नेपाल की सरकार के द्वारा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया गया है। उसे लेकर नेपाल के प्रधानमंत्री ने यह बयान दिया है। पार्टी के सम्मेलन में उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया सरकार के खिलाफ नहीं है लेकिन जिन कंपनियों के द्वारा नेपाल में कारोबार किया जा रहा है बड़े स्तर पर मुनाफा कमाया जा रहा है उन कंपनियों के द्वारा कानून का पालन नहीं किया जा रहा है। बिना कानून का पालन किये इन कंपनियों के द्वारा कार्य नहीं किया जा सकता। देश की गरिमा संप्रभुता को चोट पहुंचाना और संविधान की अनदेखी करना स्वीकार्य नहीं है। देश की स्वतंत्रता से ऊपर कोई नहीं है।