Nepal Violence Crisis में भारतीय नागरिक फंस गए, मोदी सरकार ने सुरक्षित वापसी का भरोसा दिया, युवाओं के विरोध से नेपाल में हालात बिगड़े।

नेपाल हिंसा में फंसे भारतीय नागरिक; सरकार से बचाव की अपील

Nepal Violence Crisis : नेपाल में सरकार के द्वारा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा देने के बाद लगातार हिंसा जारी है। युवा वर्ग के द्वारा नेपाल के राजनेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। नेपाल की सरकारी संपत्ति तथा सरकारी भवनों में तोड़फोड़ के साथ आग लगाने की घटना की जा रही है। प्रदर्शनकारियों के द्वारा संसद में भी प्रवेश करते हुए हिंसा की गई। इसी बीच बड़ी खबर सामने आ रही है कि नेपाल में रह रहे या विभिन्न कारणों से नेपाल की यात्रा पर गए विभिन्न नागरिक इस समय नेपाल हिंसा में फंस गए हैं। नेपाल में फंसे भारतीय नागरिकों के द्वारा लगातार भारत सरकार से बचाव की अपील की जा रही है। देश के विभिन्न इलाकों से ऐसी खबर सामने आ रही है जहां पर नागरिक नेपाल में फंसे हुए हैं। नरेंद्र मोदी सरकार से बचाव की गुहार लगातार लगाई जा रही है। दूसरी तरफ यात्रियों के फंसे होने के बाद परिजनों के द्वारा भी उनके सकुशल लौटने की दुआ की जा रही है।

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सरकार दे रही मदद का भरोसा

नेपाल में जारी हिंसा के बीच विभिन्न भारतीय नागरिकों के नेपाल में फंस जाने के बाद भारत सरकार के द्वारा लगातार नेपाल से नागरिकों को सुरक्षित बचाकर लाने की कोशिश की जा रही है। भारत सरकार के द्वारा अपने स्तर पर नागरिकों को सुरक्षित भारत लाने को लेकर लगातार कार्य किया जा रहा है। संभावना जताई जा रही है कि आने वाले समय में नेपाल में फंसे सभी नागरिकों को सुरक्षित भारत लाया जाएगा। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के द्वारा भी इसे लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई। उन्होंने कहा कि नेपाल में नागरिकों के फंसे होने की खबर मिली है। संबंधित अधिकारियों को निर्देश देते हुए हम लगातार उनके सकुशल भारत वापसी की कोशिश कर रहे हैं।

नेपाल सरकार के द्वारा लिया गया एक निर्णय खुद अपने लिए ही परेशानी बन गया। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर प्रतिबंध लगाने के बाद नेपाल में हिंसा भड़क गई। नेपाल के युवाओं के द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन के कारण नेपाल में तख्ता पलट हो गया है। नेपाल में लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है। उग्र प्रदर्शन में अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है जबकि सैकड़ो लोग घायल बताए जा रहे हैं। इस प्रदर्शन में अधिकतर युवा वर्ग शामिल है जिनकी उम्र 18 वर्ष से लेकर 25 वर्ष है। सोशल मीडिया से जुड़ाव के कारण सरकार का निर्णय उन्हें अच्छा नहीं लगा और उनके द्वारा सरकार के खिलाफ बिगुल बजा दिया गया। नेपाल के युवाओं के द्वारा किए गए प्रदर्शन के आगे सरकार को झुकना पड़ा और सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने का निर्णय लिया लेकिन युवाओं का गुस्सा काफी ज्यादा था। नेपाल के राजनेताओं को युवाओं की भीड़ ने निशाना बनाने की पूरी कोशिश की।

राजनेताओं के परिवार को मिल रही सुविधा से भड़के युवा

नेपाल की सरकार के द्वारा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा देने के साथ-साथ इस उग्र प्रदर्शन के कुछ और भी कारण सामने आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि ताकतवर लोगों के बच्चे अर्थात राजनेताओं के परिवार की जिंदगी का तरीका देखकर युवाओं में खासा आक्रोश था। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विभिन्न तस्वीर और वीडियो वायरल हो रही है जिनमें राजनेता और उनके परिवार के लोग ब्रांडेड कपड़े महंगी कार तथा दूसरे मामले में आम नेपाली नागरिकों से आगे दिखाई दे रहे हैं। इस कारण नेपाल के युवाओं में असंतोष बढ़ गया और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन उग्र कर दिया।

Nepal Violence Crisis में भारतीय नागरिक फंस गए, मोदी सरकार ने सुरक्षित वापसी का भरोसा दिया, युवाओं के विरोध से नेपाल में हालात बिगड़े।
Nepal Violence Crisis में भारतीय नागरिक फंस गए, मोदी सरकार ने सुरक्षित वापसी का भरोसा दिया, युवाओं के विरोध से नेपाल में हालात बिगड़े।
युवाओं के आगे सरकार बेबस

नेपाल सरकार के द्वारा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के बाद ही युवाओं के द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन किया गया। युवाओं ने अपने  विरोध को और तेज कर दिया। जिसके बाद यह हिंसा भड़क गई। नेपाल सरकार के खिलाफ किए गए विरोध प्रदर्शन में 18 साल से 28 वर्ष के युवाओं की संख्या सर्वाधिक थी। युवा संसद के बाहर इकट्ठा होना शुरू हो गए और उनके द्वारा पुलिस के द्वारा की गई बेरी कैडिंग को तोड़कर संसद में घुसने की कोशिश की गई। इसी दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस में झड़प हो गई। पुलिस के द्वारा भीड़ को काबू करने के लिए बल प्रयोग किया गया। लोगों ने प्रदर्शन के दौरान सड़कों पर खड़ी विभिन्न गाड़ियों के साथ-साथ दूसरे सामान को नुकसान पहुंचाया।

26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगाया था प्रतिबंध

नेपाल सरकार के द्वारा 3 सितंबर को सोशल मीडिया को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया था। इसके माध्यम से फेसबुक इंस्टाग्राम यूट्यूब समेत कई दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नेपाल में बैन कर दिया गया था। नेपाल सरकार का यह तर्क था कि इन प्लेटफार्म के द्वारा संचार और सूचना प्रौद्योगिकी नेपाल मंत्रालय में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया है। इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के द्वारा 28 अगस्त को एक आदेश जारी किया गया था जिसमें रजिस्ट्रेशन जारी करने के लिए 7 दिन की समय सीमा दी गई थी। नेपाल सरकार के द्वारा दी गई समय सीमा 2 सितंबर को समाप्त होने के बाद नेपाल सरकार के द्वारा 3 सितंबर को प्रतिबंध लगाए गए थे। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए निर्देश के बाद नेपाल की सरकार इन कंपनियों पर शिकंजा कसने की कोशिश कर रही थी। सरकार का मानना है कि इन प्लेटफार्म के जरिए साइबर क्राइम गलत सूचना तथा हैट स्पीच जैसे मामले बढ़ रहे हैं। नेपाल में पूर्णतया सोशल मीडिया पर प्रतिबंध नहीं था। केवल उन्हीं कंपनियों को प्रतिबंधित किया गया था जिनके द्वारा नेपाल के मंत्रालय में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया था। कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जिनके द्वारा नेपाल के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में रजिस्ट्रेशन कर दिया गया था उन पर सरकार ने प्रतिबंध नहीं लगाया था।

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