Bagram Airbase : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान को धमकी दी है। उन्होंने यह धमकी बगराम एयरबेस को लेकर दी है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि यदि अफगानिस्तान के द्वारा बगराम एयरबेस को अमेरिका को नहीं सौंपा गया तो इसका अंजाम अफगानिस्तान को भुगतना होगा। डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान को दी गई चेतावनी सोशल मीडिया के माध्यम से दी है। इससे पहले भी अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा इस एयरबेस को लेकर बयान दिए जा चुके हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के साथ की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा था कि हम लगातार बगराम एयरबेस को प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। इस एयरबेस से कुछ घंटे की दूरी पर ही चीन के द्वारा अपने परमाणु हथियारों का निर्माण किया जाता है। दूसरी तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा दी गई चेतावनी के बावजूद तालिबान सरकार के द्वारा इस मांग को खारिज कर दिया गया है।
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जिस एयरबेस को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा अफगानिस्तान को चेतावनी दी गई है। यह अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर है। कुछ समय पहले अमेरिकी सेना का सबसे बड़ा ठिकाना यहीं पर था। अमेरिका के द्वारा 2001 में आतंकी हमले हो जाने के बाद इसका इस्तेमाल शुरू किया गया था। इस एयरवेज पर विभिन्न रेस्त्रां इलेक्ट्रॉनिक और अफगानी कालीन बेचने वाली दुकानों के साथ-साथ एक बड़ा जेल परिसर भी स्थित है। अमेरिका के लिए यह एयरबेस काफी महत्वपूर्ण है। अफगानिस्तान से 2021 में अमेरिकी सेना की वापसी हो गई थी। तालिबान के द्वारा काबुल की सरकार पर कब्जा करने के साथ-साथ बगराम एयर बेस को भी अपने कब्जे में ले लिया गया था। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बिडेन के कार्यकाल में यह वापसी हुई थी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस मुद्दे पर कई बार अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति की आलोचना करते हुए नजर आते हैं। उन्होंने कहा था कि यदि उसे समय वह राष्ट्रपति होते तो इस एयरबेस को कभी भी नहीं छोड़ते। अमेरिका के द्वारा इस एयरबेस के द्वारा अफगानिस्तान के खनिज संसाधनों तक पहुंच बनाने के साथ-साथ चीन पर निगरानी करना उद्देश्य है।
तालिबान और चीन ने किया ट्रंप का विरोध
बगराम एयरबेस को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा दी गई चेतावनी का तालिबान और चीन के द्वारा विरोध किया गया है। तालिबान सरकार का कहना है कि अपने क्षेत्र में अमेरिका के सैनिकों की मौजूदगी तालिबान को बर्दाश्त नहीं है। तालिबान के साथ-साथ चीन के द्वारा भी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा दिए गए इस बयान का विरोध किया गया है। चीन को डर है कि अमेरिका के द्वारा इस एयरबेस का इस्तेमाल उसके खिलाफ किया जा सकता है। जिस एयरबेस को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा अफगानिस्तान को चेतावनी दी गई है। उस पर अमेरिकी सेना का कब्जा था लेकिन 2021 में अमेरिका की सेना की वापसी हो जाने के बाद तालिबान सरकार के द्वारा इसे अपने कब्जे में ले लिया गया। अमेरिका के समर्थन से चल रही सरकार को गिरा दिया गया था।
एयरबेस कि जल्द वापसी चाहते हैं ट्रंप
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बगराम एयरबेस पर चर्चा करते हुए कहां की हमारे द्वारा जल्द से जल्द से प्राप्त करने की कोशिश की जा रही है। एयर बेस पर कब्जा करने को लेकर किए गए सवाल के जवाब में उन्होंने यह बयान दिया। जब उनसे पूछा गया कि क्या एयर बेस पर कब्जा करने के लिए अमेरिका के द्वारा सेना भेजी जाएगी तो डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि इस बारे में फिलहाल बात नहीं की जाएगी। यदि अफगानिस्तान के द्वारा एयरबेस को नहीं दिया जाएगा तो आप देखेंगे कि मैं क्या करने वाला हूं।

बगराम एयरबेस पर था अमेरिकी सेना का सबसे बड़ा ठिकाना
जिस एयरबेस को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा अफगानिस्तान को चेतावनी दी गई है। यह अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर है। कुछ समय पहले अमेरिकी सेना का सबसे बड़ा ठिकाना यहीं पर था। अमेरिका के द्वारा 2001 में आतंकी हमले हो जाने के बाद इसका इस्तेमाल शुरू किया गया था। इस एयरवेज पर विभिन्न रेस्त्रां इलेक्ट्रॉनिक और अफगानी कालीन बेचने वाली दुकानों के साथ-साथ एक बड़ा जेल परिसर भी स्थित है। अमेरिका के लिए यह एयरबेस काफी महत्वपूर्ण है। अफगानिस्तान से 2021 में अमेरिकी सेना की वापसी हो गई थी। तालिबान के द्वारा काबुल की सरकार पर कब्जा करने के साथ-साथ बगराम एयर बेस को भी अपने कब्जे में ले लिया गया था। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बिडेन के कार्यकाल में यह वापसी हुई थी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस मुद्दे पर कई बार अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति की आलोचना करते हुए नजर आते हैं। उन्होंने कहा था कि यदि उसे समय वह राष्ट्रपति होते तो इस एयरबेस को कभी भी नहीं छोड़ते।
अमेरिका के द्वारा इस एयरबेस के द्वारा अफगानिस्तान के खनिज संसाधनों तक पहुंच बनाने के साथ-साथ चीन पर निगरानी करना उद्देश्य है। अफगानिस्तान में स्थित सबसे बड़ा एयरबेस होने के साथ-साथ यह सबसे महत्वपूर्ण सैनिक ठिकाना भी है। पूरे देश में आसानी से ऑपरेशन चलाए जाने के लिए अफगानिस्तान के मध्य में यह एयरबेस स्थित है। अमेरिका और नाटो की सेनाओ के द्वारा 2001 में तालिबान सरकार गिर जाने के बाद इसे अपने कब्जे में लिया गया था। अफगानिस्तान में संचालित होने वाली आतंकवाद विरोधी गतिविधियों के साथ-साथ सैन्य अभियानों का नियंत्रण यही से किया जाता था। इस एयर बेस पर विभिन्न सुविधाएं मौजूद हैं। एयर ट्रैफिक कंट्रोल रनवे तथा मरम्मत सुविधाएं मौजूद होने के कारण अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार इसे वापस प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। विभिन्न आतंकी तथा संदिग्ध कैदियों को रखने के लिए इस एयरबेस पर बड़ा जेल भी मौजूद है।