North Korea Statement : उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग ने अमेरिका को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यदि अमेरिका के द्वारा उत्तर कोरिया से परमाणु हथियार छोड़ने की मांग नहीं की जाए तो वह अमेरिका से बातचीत करने के लिए तैयार हैं। उत्तर कोरिया की सरकारी एजेंसी के द्वारा यह जानकारी दी गई है। अमेरिका और उत्तर कोरिया में लंबे समय से तनातनी चल रही है। अमेरिका उत्तर कोरिया से परमाणु हथियारों से दूरी बनाने की बात करता रहा है जबकि उत्तर कोरिया उसकी यह बात स्वीकार करने को तैयार नहीं है। यही कारण है कि उत्तर कोरिया अब अमेरिका की जगह रूस तथा चीन के साथ संबंध मजबूत कर रहा है।
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किम जोंग ने ट्रंप को याद दिलाया पिछला कार्यकाल
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनका पिछला कार्यकाल याद दिलाया। उत्तर कोरिया की सुप्रीम पीपल्स असेंबली में दिए गए भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के पिछले कार्यकाल में उनकी तीन बार मुलाकात हुई थी। परमाणु हथियारों को लेकर उन्होंने बयान दिया कि उत्तर कोरिया के द्वारा अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से परमाणु हथियार का निर्माण किया गया है। अगर परमाणु हथियारों की नीति में अमेरिका के द्वारा किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं की गई तो हम अमेरिका के साथ बातचीत करने को तैयार हैं।
उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग की जासूसी के लिए अमेरिका के द्वारा बड़ा गोपनीय अभियान चलाया गया था लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में यह अभियान चलाया गया था। इसके लिए अमेरिका की नेवी सील टीम उत्तर कोरिया के तट तक पहुंचकर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगाने की कोशिश करना चाहती थी लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाई। 2019 में जिस समय यह मिशन चलाया गया अमेरिका में उस समय डोनाल्ड ट्रंप की सरकार थी। अमेरिका के राष्ट्रपति की अनुमति से चलाया गया यह मिशन सफल नहीं हो सका और उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग की जासूसी के लिए लगाए जाने वाला इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी नहीं लग सका। बताया जा रहा है कि अमेरिका की टीम के द्वारा इस अभियान के दौरान निहत्थे लोगों को मार गिराया।
लादेन को मारने वाले सैनिक अभियान में शामिल
किम जोंग की जासूसी के लिए अमेरिका के द्वारा चलाए गए अभियान में उन सैनिकों को शामिल किया गया था जिन्होंने ओसामा बिन लादेन को मारा था। 2019 में अमेरिका की यह टीम उत्तरी कोरिया के लिए रवाना हुई। ठंडी रात होने के बावजूद इन टीम को विशेष कपड़े तथा हथियार उपलब्ध कराए गए थे। अमेरिका जासूसी के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगाना चाहता था ताकि परमाणु बातचीत में अमेरिका को सहायता प्राप्त हो सके। इस बड़े ही गोपनीय मिशन को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा मंजूरी दी गई थी लेकिन यह मिशन सफल नहीं हो सका।

अमेरिकी टीम को सताया पकडे जाने का डर
अमेरिकी नेवी की सील टीम एक पनडुब्बी के जरिए कोरिया के तट तक पहुंची। विशेष तैयारी के साथ पहुंची अमेरिका की टीम तट पर पहुंचकर डर गई। एक छोटी नाव देखकर टीम को लगा कि शायद वह पकड़े जाएंगे। इसलिए उन्होंने नाव में सवार नागरिकों को मार दिया। हमला करने के बाद में पता चला कि यह उत्तर कोरिया के सैनिक नहीं बल्कि आम नागरिक थे। अमेरिकी टीम के द्वारा इन नागरिकों के शरीर को पानी में डुबो दिया गया था ताकि किसी को पता नहीं लग सके। अमेरिकी टीम के द्वारा मारे गए नाव में सवार नागरिक सीप इकट्ठे करने के लिए निकले हुए थे। इस तरह अमेरिका की टीम बिना इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगाए ही वापस लौट गई। हालांकि अमेरिकी सरकार के द्वारा भेजी गई टीम का कोई भी सदस्य इस मिशन में घायल नहीं हुआ था।
लंबे समय तक गुप्त रहा मिशन
अमेरिका के द्वारा उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग के लिए चलाए गए गोपनीय अभियान को लंबे समय तक सीक्रेट बना कर रखा गया था। इस मिशन का जिक्र अमेरिका और उत्तर कोरिया दोनों के द्वारा ही कभी नहीं किया गया लेकिन अब धीरे-धीरे इस मिशन का सच सामने आ रहा है। अमेरिका की सील टीम के द्वारा उत्तर कोरिया के तट पर पहुंचने के बाद उत्तर कोरिया ने अपनी सैन्य गतिविधियों में काफी तेज गति से बढ़ोतरी की थी लेकिन इस मिशन को लेकर उत्तर कोरिया की तरफ से भी कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया गया था। दूसरी तरफ अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तथा उनकी सरकार के द्वारा अमेरिकी संसद के सदस्यों को भी इस मिशन के बारे में नहीं बताया था। 2019 में इस मिशन के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग की मुलाकात हुई थी। दोनों की मुलाकात परमाणु शिखर सम्मेलन में हुई लेकिन अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं हो सका। इसके बाद लगातार उत्तर कोरिया के द्वारा मिसाइल परीक्षण किए गए।