Nepal Interim Government : नेपाल में विरोध प्रदर्शन के बाद सरकार गिर जाने से अब अंतरिम सरकार के द्वारा कार्य किया जा रहा है। नेपाल की प्रधानमंत्री सुशिला कार्की के द्वारा कैबिनेट में चार मंत्रियों को शामिल किए जाने को लेकर राष्ट्रपति से सिफारिश की गई थी जिसके बाद नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के द्वारा चार नए मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। नए कैबिनेट मंत्रियों की शपथ का समारोह राष्ट्रपति निवास पर आयोजित किया गया। इस तरह अब कुल मिलाकर नेपाल की कैबिनेट में प्रधानमंत्री सहित 8 सदस्य हो गए हैं। नेपाल में युवाओं के द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन के बाद सुशिला को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया था। नेपाल के प्रधानमंत्री बनने के साथ-साथ उन्होंने 5 मार्च 2026 को चुनाव कराने की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई है।
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नए मंत्रियों को किया विभागों का बंटवारा
नेपाल की कैबिनेट में शामिल किए गए चार नए मंत्रियों को उनका मंत्रालय भी वितरित कर दिया गया है। कैबिनेट में शामिल किए गए मंत्री अलग-अलग क्षेत्र से जुड़े हुए लोग हैं। पूर्व जस्टिस अनिल कुमार सिंह को उद्योग मंत्रालय विधि एवं भूमि प्रबंधन और सहकारिता मंत्रालय दिया गया है जबकि महावीर को शिक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मदन परिहार को कृषि मंत्रालय जबकि जगदीश को संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय आवंटित किया गया है।
नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिए जाने के बाद युवाओं के द्वारा किए गए प्रदर्शन के कारण नेपाल की सरकार गिर चुकी है। नेपाल में वर्तमान में अंतरिम सरकार कार्य कर रही है। युवाओं की उग्र भीड़ के द्वारा सरकारी आवास के साथ-साथ राजनेताओं को निशाना बनाने की कोशिश की गई थी। इसके बाद अब नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को गिरफ्तार करने की मांग की जा रही है। युवाओं के द्वारा यह आरोप लगाया जा रहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री के आदेश के कारण विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलीबारी चलाई गई थी जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी। नेपाल में आठ और 9 सितंबर को हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन में 70 से भी अधिक लोगों की मौत हुई थी जिसमें कई पुलिसकर्मी भी शामिल थे। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध तथा भ्रष्टाचार के कारण युवाओं की भीड़ भड़क गई थी।
पूर्व प्रधानमंत्री ने दी सफाई
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के आदेश को लेकर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी करने का आदेश उनका नहीं था। पुलिस के पास ऐसे हथियार नहीं थे जिन हथियारों से प्रदर्शनकारियों पर गोली चली थी। पूर्व प्रधानमंत्री ने इस मामले की स्वतंत्र जाँच की भी मांग की है। नेपाल में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन होने के बाद 9 सितंबर को पूर्व प्रधानमंत्री के द्वारा इस्तीफा दे दिया गया था। अब युवाओं की मांग है कि 1990 से बड़े पदों पर रहे नेता और सरकारी अधिकारियों की संपत्ति की जांच के लिए एक स्वतंत्र आयोग का गठन किया जाना चाहिए।
हिंसा और बर्बरता की घटनाओं की होगी जांच
नेपाल में बड़े स्तर पर हुई हिंसा की जांच की जाएगी। इसके लिए एक उच्च स्तरीय आयोग का गठन कर दिया गया है। अंतरिम सरकार के द्वारा नेपाल में हुए हिंसा प्रदर्शन के दौरान बर्बरता आगजनि तथा हत्या जैसे मामलों की जांच करने के लिए इस आयोग का गठन किया गया है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा देने के बाद नेपाल में पैदा हुई हिंसा के कारण नेपाल को नुकसान उठाना पड़ा है। उग्र भीड़ ने सरकारी आवास के साथ-साथ विभिन्न सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जिसमें विभिन्न नागरिकों की भी मौत हो गई थी। उग्र भीड़ द्वारा वर्तमान सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर मौजूद राजनेताओं के साथ-साथ पूर्व सरकार के नेताओं को भी निशाना बनाया गया था। युवाओं के द्वारा किए गए प्रदर्शन के कारण नेपाल में तख्ता पलट हो गया था जिसके बाद अब नेपाल में अंतरिम सरकार के द्वारा कार्य किया जा रहा है।

राजनेताओं के परिवार को मिल रही सुविधा से भड़के युवा
नेपाल की सरकार के द्वारा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा देने के साथ-साथ इस उग्र प्रदर्शन के कुछ और भी कारण सामने आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि ताकतवर लोगों के बच्चे अर्थात राजनेताओं के परिवार की जिंदगी का तरीका देखकर युवाओं में खासा आक्रोश था। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विभिन्न तस्वीर और वीडियो वायरल हो रही है जिनमें राजनेता और उनके परिवार के लोग ब्रांडेड कपड़े महंगी कार तथा दूसरे मामले में आम नेपाली नागरिकों से आगे दिखाई दे रहे हैं। इस कारण नेपाल के युवाओं में असंतोष बढ़ गया और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन उग्र कर दिया।
26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगाया था प्रतिबंध
नेपाल सरकार के द्वारा 3 सितंबर को सोशल मीडिया को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया था। इसके माध्यम से फेसबुक इंस्टाग्राम यूट्यूब समेत कई दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नेपाल में बैन कर दिया गया था। नेपाल सरकार का यह तर्क था कि इन प्लेटफार्म के द्वारा संचार और सूचना प्रौद्योगिकी नेपाल मंत्रालय में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया है। इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के द्वारा 28 अगस्त को एक आदेश जारी किया गया था जिसमें रजिस्ट्रेशन जारी करने के लिए 7 दिन की समय सीमा दी गई थी। नेपाल सरकार के द्वारा दी गई समय सीमा 2 सितंबर को समाप्त होने के बाद नेपाल सरकार के द्वारा 3 सितंबर को प्रतिबंध लगाए गए थे। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए निर्देश के बाद नेपाल की सरकार इन कंपनियों पर शिकंजा कसने की कोशिश कर रही थी। सरकार का मानना है कि इन प्लेटफार्म के जरिए साइबर क्राइम गलत सूचना तथा हैट स्पीच जैसे मामले बढ़ रहे हैं। नेपाल में पूर्णतया सोशल मीडिया पर प्रतिबंध नहीं था। केवल उन्हीं कंपनियों को प्रतिबंधित किया गया था जिनके द्वारा नेपाल के मंत्रालय में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया था। कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जिनके द्वारा नेपाल के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में रजिस्ट्रेशन कर दिया गया था उन पर सरकार ने प्रतिबंध नहीं लगाया था।