Abdul Barkat Arrest : बांग्लादेश में लंबे समय तक हिंदुओं को लेकर आवाज उठाने वाले अर्थशास्त्री अब्दुल बरकत को गिरफ्तार कर लिया गया है। बताया जा रहा है कि अब्दुल बरकत पर भ्रष्टाचार के आरोप थे। गिरफ्तार करने के बाद अर्थशास्त्री अब्दुल बरकत को जेल भेज दिया गया है। 20 से भी ज्यादा सुरक्षा कर्मियों के द्वारा अर्थशास्त्री अब्दुल बरकत के घर छापा मारा गया था जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। गिरफ्तार किए गए अर्थशास्त्री अब्दुल बरकत पर धोखाधड़ी के आरोप है। 297 करोड़ तक की धोखाधड़ी के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया है।
जनता बैंक का अध्यक्ष रह चुके अब्दुल बरकत
बांग्लादेश के जिस अर्थशास्त्री को पुलिस के द्वारा गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है वह पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल में बांग्लादेश में महत्वपूर्ण पद पर रह चुके हैं। 2009 में बांग्लादेशी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के द्वारा उन्हें जनता बैंक का अध्यक्ष बनाया गया था। इसके अलावा ढाका विश्वविद्यालय में अब्दुल बरकत लगभग चार दशक तक अध्यापन कार्य कर चुके हैं। बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के पलट जाने के बाद लगातार हिंदू समर्थकों को निशाना बनाया जा रहा है। अर्थशास्त्री अब्दुल बरकत की गिरफ्तारी को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
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हिंदू अल्पसंख्यकों का समर्थन करते थे अब्दुल बरकत
अब्दुल बरकत लंबे समय से बांग्लादेश में हिंदू धर्म का समर्थन करते आए हैं। बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक के रूप में पाए जाते हैं। ऐसे में अल्पसंख्यकों की वकालत अब्दुल बरकत के द्वारा समय-समय पर की जाती रही थी। कट्टरपंथी इस्लामी विचारधाराओं की खुलकर आलोचना करने के कारण अब्दुल बरकत को बांग्लादेश में अब निशाना बनाया जा रहा है। अब्दुल बरकत ने कुछ समय पहले चेतावनी दी थी कि आने वाले 30 वर्षों में बांग्लादेश में हिंदुओं की हालत बहुत दयनीय हो जाएगी। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हिंदुओं की संपत्तियों पर अवैध कब्जे और हमले हो रहे हैं तो उस हिसाब से 30 वर्षों में बांग्लादेश में एक भी हिंदू मौजूद नहीं रहेगा। इसके बाद उनके बयान पर खूब विवाद हुआ था।
कंपनी को कर्ज दिलाने का आरोप
बांग्लादेश के जाने-माने अर्थशास्त्री अब्दुल बरकत पर आरोप है कि उनके द्वारा एक रेडीमेड गारमेंट कंपनी को गलत तरीके से कर्ज दिलवाने में मदद की गई। रेडीमेड गारमेंट कंपनी को जनता बैंक से कर्ज दिलवाने में उनके द्वारा लगभग 225 करोड रुपए का भ्रष्टाचार किया गया। उनके खिलाफ मुकदमा भ्रष्टाचार निरोधक आयोग के द्वारा दर्ज किया गया था। अब्दुल बरकत के खिलाफ जांच करने पर जांच एजेंसी के द्वारा यह आरोप लगाया गया था कि उनके द्वारा पेश किए गए दस्तावेज फर्जी हैं तथा उनके द्वारा दर्शायी गई विभिन्न इमारत तथा खरीदी गई जमीनों की कीमत अधिक बताई गई है। जिससे अधिक से अधिक कर्ज लिया जा सके।

पूर्व गवर्नर पर भी लगे आरोप
बांग्लादेश में रेडीमेड गारमेंट कंपनी को गलत तरीके से कर्ज दिलाने तथा भ्रष्टाचार के मामले को लेकर अब्दुल बरकत के अतिरिक्त बांग्लादेश के पूर्व गवर्नर पर भी आरोप लगाए गए हैं। अब्दुल बरकत समेत 23 लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया गया है। अब्दुल बरकत के कोर्ट में पेश होने के बाद उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया गया। अब्दुल बरकत की तरफ से जमानत की याचिका लगाई गई है जबकि प्रशासन ने उनकी तीन दिन की रिमांड मांगी है। हालांकि कोर्ट के द्वारा अभी इन दोनों याचिकाओं पर निर्णय नहीं किया गया है। याचिकाओं पर निर्णय होने तक अब्दुल बरकत को जेल भेजने का आदेश दिया गया है।
पुलिस पर नियमों के उल्लंघन का आरोप
अब्दुल बरकत की बेटी के द्वारा पिता को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस पर आरोप लगाए गए हैं। अब्दुल बरकत की बेटी का कहना है कि 20 -25 लोग अपने आप को पुलिसकर्मी बताते हुए उनके घर में घुसे और बिना किसी गिरफ्तारी वारंट के उनके पिता को गिरफ्तार कर ले गए। उन्होंने कहा कि हमारे पिता के खिलाफ दर्ज मुकदमे की किसी भी प्रकार की पहले जानकारी नहीं दी गई थी। उन्हें यह भी नहीं बताया गया कि उन्हें क्यों हिरासत में लिया गया है। हमारे पिता के द्वारा लगातार समाज के कमजोर लोगों की सहायता की गई है। 40 साल तक ढाका विश्वविद्यालय में छात्रों को अध्यापन कार्य कराया। ऐसे में उन्हें बिना जांच के गिरफ्तार किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
जापान से बरकत को मिल चुका अंतर्राष्ट्रीय सम्मान
अब्दुल बरकत के द्वारा लगातार हिंदुओं के समर्थन में विभिन्न बयान और किताब जारी की गई है। उन्होंने 2016 में हिंदुओं के ऊपर बांग्लादेश में हो रहे उत्पीड़न पर एक किताब लिखी थी। 2022 में अब्दुल बरकत को जापान के द्वारा ‘ऑर्डर ऑफ द राइजिंग सन’ सम्मान से सम्मानित किया गया था। अब्दुल बरकत के द्वारा लिखी गई किताब में यह दावा किया गया था कि बांग्लादेश से 1964 से 2013 की समय अवधि के बीच एक करोड़ से भी ज्यादा हिंदू धार्मिक उत्पीड़न के कारण बांग्लादेश से पलायन कर गए थे। इसी के साथ उन्होंने यह भी चेतावनी दी थी कि यदि इसी तरह हिंदुओं पर उत्पीड़न जारी रहा तो 2046 तक बांग्लादेश में हिंदुओं की जनसंख्या बिल्कुल भी नहीं बचेगी।