Alaska Meeting : रूस और यूक्रेन के मध्य लंबे समय से चल रही जंग को लेकर रूस और अमेरिका के राष्ट्रपति के बीच जल्द ही मुलाकात होने वाली है। दोनों देशों के राष्ट्रपतियों की मुलाकात 15 अगस्त को होगी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति पुतिन की यह मुलाकात अलास्का में होगी। बताया जाता है कि दोनों देश के नेताओं की मुलाकात को लेकर प्रारंभ में यूएई को चुना गया था लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा पुतिन से मुलाकात के लिए अलास्का को प्रेफरेंस दी गई। अलास्का रूस और अमेरिका दोनों के लिए ही सबसे उचित जगह है। इसीलिए रूस के राष्ट्रपति के द्वारा भी इस स्थान पर वार्ता के लिए सहमति जता दी गई। अलास्का कभी रूस का हिस्सा था लेकिन फिलहाल अलास्का पर अमेरिका का अधिकार है।
‘रूस का स्वर्ग’ कहलाता था अलास्का
अलास्का का क्षेत्रफल भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान से लगभग 5 गुना ज्यादा है। अलास्का की भौगोलिक स्थिति तथा अन्य कारणों से इसे रूस का स्वर्ग कहा जाता था लेकिन बाद में यह हिस्सा अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में चला गया। रूस के द्वारा अलास्का को अमेरिका को बेच दिया गया था। अलास्का का क्षेत्रफल लगभग 17 लाख 17856 वर्ग किलोमीटर है। अलास्का से रूस की दूरी सिर्फ 88 किलोमीटर होने के करण रूस के राष्ट्रपति के द्वारा इस जगह को अमेरिका के राष्ट्रपति से वार्ता के लिए सबसे उपयुक्त माना गया। अलास्का को इसके अतिरिक्त रूस से अलग मुद्दों को लेकर भी जोड़ा जाता रहा है। यह संभावना जताई जाती है कि अलास्का के पास में रूस के परमाणु हथियार भी स्थित हैं। अलास्का से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर रूस का मिलिट्री स्टेशन भी है। बेरिंग स्ट्रेट क्षेत्र में रूस के विभिन्न सैन्य निगरानी स्टेशन और एयरफोर्स बेस होने के कारण यह संभावना जताई जाती है कि यहां पर रूस के परमाणु हथियार मौजूद हैं।
पहलगाम हमले के बाद आतंकियों को नष्ट कर भारत ने किया संकल्प पूरा : राजनाथ सिंह
डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्ताव को यूक्रेन के राष्ट्रपति ने ठुकराया; कहा- जमीन का नहीं होने देंगे बटवारा
ट्रंप को मोदी का जवाब विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर भारत
रूस ने 45 करोड़ में अमेरिका को बचा था अलास्का
अलास्का क्षेत्र के लिए अमेरिका और रूस के बीच 30 मार्च 1867 को एक विशेष समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत रूस के द्वारा अलास्का को अमेरिका को बेचने का निर्णय लिया गया। लगभग 45 करोड रुपए में अलास्का को अमेरिका को बेचा गया था। सर्वप्रथम अलास्का को अमेरिका को देने का विचार रूस के तत्कालीन विदेश मंत्री के द्वारा व्यक्त किया गया था। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति को रूस के विदेश मंत्री के द्वारा इस हेतु तैयार किया गया। रूस के विदेश मंत्री और सरकार के द्वारा अलास्का को बेचने पर सहमति जता देने के बाद रूस में बड़े स्तर पर इसका विरोध किया गया था लेकिन तब तक अलास्का अमेरिका का हो चुका था। अलास्का को अमेरिका के बचने के पीछे विभिन्न कारण बताए जाते हैं। रूस को डर था कि यदि भविष्य में ब्रिटेन के साथ युद्ध हुआ तो ब्रिटेन की मदद से अमेरिका के द्वारा अलास्का पर कब्जा किया जा सकता है। बड़ा इलाका होने के कारण अलास्का की सीमा की सुरक्षा रूस के लिए केर पाना बड़ा मुश्किल था।
रूस और यूक्रेन में लंबे समय से युद्ध चला आ रहा है। दोनों ही देश अभी तक शांति समझौते पर सहमत नहीं हुए हैं। लगातार इसके लिए कोशिश की जा रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा लगातार यूक्रेन और रूस से संपर्क बनाते हुए इस जंग को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। इसे लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा कुछ दिन पहले एक बयान दिया गया था। उन्होंने कहा था कि रूस और यूक्रेन के युद्ध को खत्म करने के लिए कुछ इलाकों की अदला-बदली भी करनी पड़ सकती है। अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा दिए गए इस प्रस्ताव को यूक्रेन के राष्ट्रपति ने ठुकरा दिया है। उन्होंने कहा कि हम यूक्रेन का दूसरी बार बंटवारा नहीं होने देंगे। रूस से लंबे समय से चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए यूक्रेन के द्वारा जमीन नहीं दी जाएगी। यूक्रेन के राष्ट्रपति का यह बयान ऐसे समय पर आया है। जब जल्द ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात होने वाली है।

न्याय पूर्ण तरीके से खत्म हो जंग -यूक्रेन
अलास्का में 15 अगस्त को होने वाली अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात से पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति जलांसकी ने कहा कि यूक्रेन के द्वारा रूस को जंग खत्म करने के बदले जमीन नहीं दी जाएगी। रूस के साथ चल रही जंग को जमीन देकर खत्म नहीं करना चाहिए बल्कि न्याय पूर्ण तरीके से इस युद्ध को खत्म करना होगा। यूक्रेन का पहले ही बंटवारा हो चुका है दूसरी बार हम बटवारा नहीं होने देंगे। रूस को हम भली भांति जानते हैं। जिस जगह पर दूसरा बटवारा होगा तो वहां पर तीसरा बंटवारा भी देखने को मिलेगा। इसलिए हम लगातार अपनी स्थिति पर कायम है। लम्बे समय से चल रहे युद्ध का अंत शांति और सुरक्षा के साथ होना चाहिए।
रूस और यूक्रेन में लंबे समय से युद्ध चला आ रहा है। दोनों ही देश अभी तक शांति समझौते पर सहमत नहीं हुए हैं। लगातार इसके लिए कोशिश की जा रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा लगातार यूक्रेन और रूस से संपर्क बनाते हुए इस जंग को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। इसे लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा कुछ दिन पहले एक बयान दिया गया था। उन्होंने कहा था कि रूस और यूक्रेन के युद्ध को खत्म करने के लिए कुछ इलाकों की अदला-बदली भी करनी पड़ सकती है। अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा दिए गए इस प्रस्ताव को यूक्रेन के राष्ट्रपति ने ठुकरा दिया है। उन्होंने कहा कि हम यूक्रेन का दूसरी बार बंटवारा नहीं होने देंगे। रूस से लंबे समय से चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए यूक्रेन के द्वारा जमीन नहीं दी जाएगी। यूक्रेन के राष्ट्रपति का यह बयान ऐसे समय पर आया है। जब जल्द ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात होने वाली है।
न्याय पूर्ण तरीके से खत्म हो जंग -यूक्रेन
अलास्का में 15 अगस्त को होने वाली अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात से पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति जलांसकी ने कहा कि यूक्रेन के द्वारा रूस को जंग खत्म करने के बदले जमीन नहीं दी जाएगी। रूस के साथ चल रही जंग को जमीन देकर खत्म नहीं करना चाहिए बल्कि न्याय पूर्ण तरीके से इस युद्ध को खत्म करना होगा। यूक्रेन का पहले ही बंटवारा हो चुका है दूसरी बार हम बटवारा नहीं होने देंगे। रूस को हम भली भांति जानते हैं। जिस जगह पर दूसरा बटवारा होगा तो वहां पर तीसरा बंटवारा भी देखने को मिलेगा। इसलिए हम लगातार अपनी स्थिति पर कायम है। लम्बे समय से चल रहे युद्ध का अंत शांति और सुरक्षा के साथ होना चाहिए।