Armenia Parliament Clash : मंगलवार को आर्मेनिया की नेशनल असेंबली में जमकर मारपीट हुई। मारपीट सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच हुई। बताया जा रहा है कि लंबे समय से आर्मेनिया में माहौल तनावपूर्ण था। इस घटना के होने के बाद आर्मेनिया में राजनीतिक माहौल और भी ज्यादा गर्म हो गया है। विपक्षी सांसदों की गिरफ्तारी पर चर्चा के दौरान पक्ष और विपक्ष भड़क गया और एक दूसरे के साथ मारपीट शुरू कर दी। पाक और विपक्ष के सांसदों के बीच शुरू हुई मारपीट काफी देर तक चलती रही। इस दौरान सदन में स्थिति काफी बिगड़ चुकी थी।
विपक्षी सांसद की गिरफ्तारी के मुद्दे पर भिड़े सांसद
आर्मेनिया की संसद में विपक्षी सांसद को गिरफ्तार करने के एक प्रस्ताव पर बहस की जा रही थी। सत्ता पक्ष के सांसदों के द्वारा लगातार विपक्षी सांसद को गिरफ्तार करने की मांग की जा रही थी। सत्ता पक्ष के द्वारा विपक्षी सांसद को गिरफ्तार करने की तो मांग की जा रही थी लेकिन उन पर क्या आरोप है इसकी जानकारी नहीं दी जा रही थी। इसे लेकर विपक्ष ने विरोध करना शुरू कर दिया। विपक्ष का कहना था कि सत्ता पक्ष लगातार बदले की भावना से कार्य कर रहा है और विपक्ष की आवाज को कुचलने के उद्देश्य से यह प्रस्ताव लाया गया है। इसके बाद दोनों पक्षों में गाली गलौज और धक्का मुक्की के साथ विवाद बढ़ गया। पक्ष और विपक्ष दोनों ही एक दूसरे के साथ मारपीट पर उतारू हो गए। सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसद एक दूसरे पर बोतल फेंकते हुए तथा मारपीट करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
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आर्मेनिया बना तानाशाही का गढ़ -विपक्ष
विपक्ष का कहना है कि आर्मेनिया लगातार तानाशाही की तरफ बढ़ रहा है। यहां पर सब कुछ पहले ही तय कर लिया गया है। विपक्षी सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर पहले से ही मंजूरी और लिखित आदेश तय कर दिए गए हैं। विपक्षी नेताओं पर तख्तापलट का आरोप लगाकर जबरदस्ती कार्रवाई की जा रही है। आर्मेनिया में लंबे समय से पक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच तनातनी बनी हुई है लेकिन विपक्षी सांसदों को गिरफ्तार करने के मुद्दे पर बहस काफी आगे बढ़ गई और बातचीत मारपीट में बदल गई।
अज़रबैजान से युद्ध के बाद आर्मेनिया में बदली स्थिति
आर्मेनिया में वर्तमान में राजनीतिक हालत स्थिर नहीं है। आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच 2020 में हुए युद्ध के बाद लगातार आर्मेनिया की राजनीति अस्थिर चल रही है। आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच हुए इस युद्ध में आर्मेनिया को हार का सामना करना पड़ा था। 2020 में अजर बेजान के द्वारा आर्मेनिया पर हमला किया गया था। लंबे समय तक चले इस युद्ध में आर्मेनिया को हार का सामना करना पड़ा था। अज़रबैजान ने इस युद्ध में एक तरफ़ा जीत दर्ज की थी। दोनों देशों के बीच जिस इलाके को लेकर विवाद था। उसके बड़े हिस्से को अजरबैजान के द्वारा अपने कब्जे में ले लिया गया था। दोनों देशों के बीच लंबे समय तक चले इस युद्ध में 6500 से भी ज्यादा लोग मारे गए थे।

रूस ने कराया था युद्ध विराम
आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच विवादित हिस्से को लेकर युद्ध हो गया था। अजरबैजान के द्वारा आर्मेनिया पर हमले किए जाने के बाद दोनों देशों के बीच लंबे समय तक युद्ध चला था। इस युद्ध में हजारों की संख्या में लोगों की जान चली गई थी। दोनों देशों के द्वारा ही युद्ध में पीछे नहीं हटने की स्थिति में रूस के द्वारा स्थिति को संभाल लिया गया था। आर्मेनिया और अजरबैजान में युद्ध विराम करने के लिए रूस ने अहम भूमिका निभाई थी।
विवादित क्षेत्र है तनाव का कारण
आर्मेनिया और अजर बैजान के बीच एक क्षेत्र को लेकर लंबे समय से विवाद बना हुआ है। दोनों ही देश इस क्षेत्र पर अपना अधिकार जताते रहे हैं लेकिन किसी भी देश के द्वारा इस क्षेत्र को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं दी गई है। लंबे समय से इस क्षेत्र पर आर्मेनिया की जातीय गुटों का कब्जा है लेकिन अंतरराष्ट्रीय रूप से यह क्षेत्र अजरबैजान का हिस्सा है। यही कारण है कि दोनों देशों के बीच समय-समय पर टकराव होता रहा है। 2020 में अजरबैजान के द्वारा आर्मेनिया के ऊपर हमला कर दिया गया था जिसमें अज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच लंबे समय तक युद्ध चला था। आखिर में अजरबैजान को इस युद्ध में जीत मिली थी।
हार के बाद सरकार पर बढ़ा दबाव
अज़रबैजान से हार के बाद लगातार आर्मेनिया की सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है । आर्मेनिया के प्रधानमंत्री और सत्ता पक्ष पार्टी पर लगातार विपक्ष हमलावर है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार संविधान का दुरुपयोग करते हुए लोकतंत्र को कमजोर करने का कार्य कर रही है। विपक्षी सांसदों की गिरफ्तारी तथा विरोध के इसी मुद्दे के कारण आर्मेनिया की संसद में पक्ष और विपक्ष के सांसद एक दूसरे के आमने-सामने हुए थे। दोनों पक्ष एक दूसरे पर हमलावर होने के कारण स्थिति मारपीट तक पहुंच गई थी।