Bangladesh Map Controversy : हाल ही में बांग्लादेश की एक यूनिवर्सिटी में प्रदर्शित बांग्लादेश के नक्शे को लेकर विवाद पैदा हो गया है। इसे यूनिवर्सिटी की प्रदर्शनी में लगाए गए नक़्शे में बांग्लादेश के मैप में भारत के साथ राज्यों का हिस्सा भी दिखाया गया है। इस मुद्दे को लेकर राज्यसभा में विपक्ष के द्वारा सवाल खड़े किए गए। विपक्ष के द्वारा उठाए गए मुद्दे के बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लिखित में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार लगातार इस मुद्दे को लेकर नजर बनाए हुए हैं। किसी भी तरह के प्रोपेगेंडा से निपटने के लिए भारत सरकार पूरी तरह से तैयार है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह लिखित जवाब कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला के द्वारा उठाए गए सवाल के जवाब में दिया।
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि लगातार इस मुद्दे पर भारत सरकार के द्वारा ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने दिए गए जवाब में बताया कि सल्तनत ए बंगला नामक इस्लामी ग्रुप के द्वारा यह नक्शा जारी किया गया है। इस नक्शे को ग्रेटर बांग्लादेश के नाम से जारी किया गया है जिसमें भारत का हिस्सा भी शामिल है। 1971 में पूर्वी पाकिस्तान तथा पश्चिमी पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश का निर्माण किया गया था। बांग्लादेश की सेना के द्वारा 1975 में बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति की हत्या कर दी गई थी। दूसरी तरफ वर्तमान में बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता का दौर जारी है। बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट 5 अगस्त 2024 को कर दिया गया था।
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सात राज्यों का हिस्सा विवादित मैप में
बांग्लादेश की ढाका यूनिवर्सिटी में आयोजित प्रदर्शनी में दिखाए गए मैप में भारत के सात राज्यों के हिस्सों को बांग्लादेश के नक्शे में दिखाया गया है। दिखाए गए नक़्शे में उड़ीसा झारखंड बिहार त्रिपुरा असम मेघालय और पश्चिम बंगाल के हिस्सो को बांग्लादेश की सीमा में दिखाया गया है। प्रदर्शनी में दिखाए गए मैप की चर्चा चलने के बाद लगातार इसे लेकर विवाद खड़ा हो रहा है। यह आरोप लगाया जा रहा है कि ढाका में आयोजित प्रदर्शनी में इस्लामी ग्रुप के द्वारा बांग्लादेश का नक्शा तैयार किया गया था। इस ग्रुप को तुर्की के एनजीओ का सपोर्ट बताया जा रहा है। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन होने के बाद लगातार तुर्की और बांग्लादेश के संबंध मजबूत हुए हैं। ऐसे में भारत के द्वारा लगातार इस पर नजर बनाई जा रही है। बांग्लादेश में हिंदू संगठनों के द्वारा इस विवादित नक्शे को लेकर लगातार बांग्लादेश सरकार पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं।
कांग्रेस ने उठाया था सदन में मुद्दा
बांग्लादेश में कट्टरपंथी समूह के द्वारा जारी किए गए विवादित नक्शे को लेकर कांग्रेस सरकार के द्वारा सदन में इसे उठाया गया था। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने सरकार से सवाल किया था कि क्या भारत सरकार के द्वारा इस मुद्दे को लेकर बांग्लादेश सरकार के साथ किसी भी तरह की कूटनीतिक बातचीत हुई है। बांग्लादेश में लगातार तुर्की और पाकिस्तान की भागीदारी बढ़ती जा रही है। ऐसे में भारत को इसका आकलन करना चाहिए। उनके द्वारा बांग्लादेश में तुर्की समर्थित कट्टरपंथी समूह के बारे में जानकारी भी सरकार से मांगी गई थी। जिसके जवाब में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि लगातार इस मुद्दे पर भारत सरकार के द्वारा ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने दिए गए जवाब में बताया कि सल्तनत ए बंगला नामक इस्लामी ग्रुप के द्वारा यह नक्शा जारी किया गया है। इस नक्शे को ग्रेटर बांग्लादेश के नाम से जारी किया गया है जिसमें भारत का हिस्सा भी शामिल है।

भारत की बांग्लादेश के साथ 4096 किलोमीटर सीमा
भारत बांग्लादेश के साथ लंबी सीमा बनाता है। भारत की बांग्लादेश के साथ कुल 4096 किलोमीटर लंबी सीमा है। अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश का निर्माण हुआ था। आजादी के बाद 1947 में भारत का विभाजन हो जाने के बाद पाकिस्तान का निर्माण हुआ था। इसके बाद 1971 में पूर्वी पाकिस्तान तथा पश्चिमी पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश का निर्माण किया गया था। बांग्लादेश की सेना के द्वारा 1975 में बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति की हत्या कर दी गई थी। दूसरी तरफ वर्तमान में बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता का दौर जारी है। बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट 5 अगस्त 2024 को कर दिया गया था।
छात्र संगठनों के द्वारा नौकरियों में आरक्षण को लेकर पैदा हुए आंदोलन के कारण प्रदर्शन हिंषक हो गया था। इस उग्र भीड़ के द्वारा सरकारी कार्यालयो में जमकर लूटपाट की गई थी। बांग्लादेश में पैदा हुई हिंसा के द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय तक को लूट लिया गया था। इसके बाद बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। अपने पद से इस्तीफा देने के बाद बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत शरण के लिए पहुंची थी। इसके बाद लगातार शेख हसीना भारत की शरण में ही रह रही है। बांग्लादेश के द्वारा लगातार शेख हसीना के समर्पण की मांग भारत से की जा रही है। फिलहाल बांग्लादेश में अंतरिम सरकार कार्य कर रही है और यह संभावना जताई जा रही है कि 2026 में बांग्लादेश में आम चुनाव का आयोजन किया जा सकता है।