BRICS Summit 2025 : भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स समिट में शामिल होने के लिए ब्राज़ील पहुंच चुके हैं। ब्राजील में आयोजित हो रहा ब्रिक्स देशो का 17 वा सम्मेलन भारत के लिए खास रहने वाला है। ब्राजील के रियो डी जेनेरियो शहर में इस सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 वीं बार इस सम्मेलन का हिस्सा बनने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी 2 जुलाई से 10 जुलाई तक विदेशी दौरे पर गए हुए हैं। इस दौरान उन्होंने कई अन्य देशों की भी यात्रा की। मोदी का यह दौरा 10 जुलाई को नामीबिया दौरे से समाप्त होगा।
भारत उठा सकता है आतंकवाद मुद्दा
ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्राज़ील पहुंच चुके हैं। उम्मीद जताई जा रही है की सीमा पार हो रही आतंकवादी गतिविधियों के मुद्दे को प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा सम्मेलन में उठाया जा सकता है। इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के द्वारा शंघाई सहयोग संगठन में भी आतंकवाद के मुद्दे को मजबूती से उठाया गया था। पाकिस्तान के द्वारा लगातार आतंकवाद को किए जा रहे सपोर्ट को दुनिया के सामने उठाकर पाकिस्तान को बेनकाब करने की कोशिश भारत के द्वारा की जाएगी। ब्राजील में आयोजित हो रहा है ब्रिक्स सम्मेलन में ग्लोबल हेल्थ, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाइमेट एक्शन जैसे मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना जताई जा रही है।
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विभिन्न देशों से मोदी की होगी द्विपक्षीय वार्ता
ब्रिक्स सम्मेलन में पहली बार 11 सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने के लिए ब्राज़ील पहुंच चुके हैं। मोदी ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने के साथ-साथ दुनिया के दूसरे सदस्य देशों के साथ भी द्विपक्षीय वार्ता कर सकते हैं। ब्रिक्स संगठन के सदस्य देशों के साथ विभिन्न समझौते को लेकर भारतीय प्रधानमंत्री मोदी चर्चा करेंगे। ब्राज़ील पहुंचने पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारतीय मूल के लोगों के द्वारा भव्य स्वागत किया गया था।
ब्राजील से हो सकता है डिफेंस सिस्टम पर समझौता
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ब्राज़ील पहुंचने के बाद यह संभावना जताई जा रही है कि मोदी ब्राजील के साथ भारत के विभिन्न व्यापार समझौते को आगे बढ़ा सकते हैं। दोनों देशों के बीच डिफेंस सिस्टम पर डील होने की संभावना जताई जा रही है। भारत के द्वारा ब्राजील को आकाश डिफेंस सिस्टम बेचने पर चर्चा की जा सकती है। डिफेंस सिस्टम के अतिरिक्त दूसरे रक्षा से जुड़े हुए समझोतो पर भी भारत और ब्राजील में चर्चा संभव है। दोनों देशों के बीच जी-20 में हुई चर्चा के समय 2000 करोड रुपए के व्यापार का लक्ष्य रखा गया था जिस पर एक बार फिर चर्चा करते हुए इसे आगे बढ़ाने की रणनीति बनाई जा सकती है।

उभरती अर्थव्यवस्थाओं का संगठन है ब्रिक्स
ब्रिक्स संगठन वर्तमान में उभरती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का एक संगठन है। इस समूह में 11 देश शामिल हैं। जिनमें इंडोनेशिया सऊदी अरब ब्राजील रूस चीन भारत मिश्रा दक्षिण अफ्रीका ईरान इथोपिया संयुक्त अरब अमीरात शामिल है। इस संगठन का उद्देश्य इसके सदस्य देशों के बीच सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है। ब्रिक्स संगठन की शुरुआत के समय इसके चार देश सदस्य थे। इस संगठन के संस्थापक देश में चीन ब्राजील भारत और रूस शामिल हैं। इसके बाद लगातार दूसरे देश भी इस संगठन से जुड़ते चले गए।
पश्चिमी देशों से मुकाबले के लिए बना BRICS
ब्रिक्स संगठन की शुरुआत पश्चिमी देशों से मुकाबला करने के लिए की गई थी। 2000 के शुरुआती दौर में दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पूरी तरह से पश्चिमी देशों का एकाधिकार था। पश्चिमी देशों के एकाधिकार के कारण सभी प्रमुख फैंसलों को इन्हीं के द्वारा किया जाता रहा था। सोवियत संघ के पतन के बाद लगातार पश्चिमी देशों के द्वारा विश्व की अर्थव्यवस्था पर दबदबा बनाया हुआ था। इस दबदबे को कम करने के लिए ही ब्राजील चीन भारत और रूस के द्वारा ब्रिक्स संगठन का निर्माण किया गया। शुरुआत में ब्रिक्स संगठन को BRIC के नाम से ही जाना जाता था। गरीब देशो की आवाज को मजबूती देना तथा ग्लोबल साउथ यानी विकासशील देशों को मजबूत करना इस संगठन का उद्देश्य था।
दुनिया की आधी जनसंख्या ब्रिक्स देशों में
पश्चिमी देशों से मुकाबला करने के लिए बनाए गए ब्रिक्स संगठन में शामिल सदस्य देशों की जनसंख्या वर्तमान में पूरी दुनिया की आधी है। इस समूह में शामिल सभी देशों की जनसंख्या काफी अधिक है। जिसमें ब्राजील रूस चीन भारत शामिल है। भारत और चीन दुनिया के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देश हैं। दूसरी तरफ क्षेत्रफल की दृष्टि से कुल क्षेत्रफल का 31% ब्रिक्स संगठन के सदस्य देशों के हिस्से में है। यही कारण है कि पश्चिमी देशों से मुकाबला करने के लिए ब्रिक्स संगठन को काफी अहम माना जाता है। जिस समय पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही थी और वहां आर्थिक संकट का सामना किया जा रहा था उस समय भी ब्रिक्स संगठन के सदस्य देश तेजी से अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे थे।