China US War : आने वाले समय में ताइवान मुद्दे के कारण चीन और अमेरिका के बीच युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है। इसे लेकर अमेरिकी सरकार के द्वारा जापान तथा आस्ट्रेलिया से उनकी स्थिति स्पष्ट करने को लेकर बैठक की गई। जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ बैठक करने का उद्देश्य अमेरिका के द्वारा चीन पर हमला करने की स्थिति में समर्थन मिलने या नहीं मिलने की स्थिति को स्पष्ट करना था। अमेरिका के द्वारा उठाए गए इस कदम पर ऑस्ट्रेलिया ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया है। ऑस्ट्रेलिया का कहना है की काल्पनिक सवालों का जवाब देने का कोई मतलब नहीं है। ऐसी स्थिति बनने पर तत्कालिक सरकार के द्वारा ही निर्णय लिया जाएगा। इस मुद्दे को लेकर अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की मीटिंग जापान तथा आस्ट्रेलिया के अधिकारियों के साथ हुई, जिसमें इन सब मुद्दों पर चर्चा हुई।
अमेरिका फर्स्ट नीति लागू कर रहा अमेरिका
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन की नीति उप सचिव के द्वारा सोशल मीडिया पर दिए गए बयान के मुताबिक अमेरिका लगातार अमेरिका फर्स्ट की नीति को लागू करने पर कार्य कर रहा है। अमेरिका के द्वारा इस नीति को लागू करने में दूसरे देशों से भी सहयोग की अपेक्षा की जा रही है। दूसरे सहयोगी देशों से लगातार सामूहिक सुरक्षा तथा रक्षा बजट को बढ़ाने की अपील की जा रही है। चीन के साथ लगातार पैदा हो रहे तनाव को देखते हुए अमेरिका दुनिया के दूसरे देशों को अपने समर्थन में करने की पूरी कोशिश कर रहा है। ऑस्ट्रेलिया के द्वारा अमेरिका की इस बात को फिलहाल स्वीकार नहीं किया गया है। ऑस्ट्रेलिया का कहना है कि ताइवान से होने वाले संभावित युद्ध में सैनिक भेजने को लेकर निर्णय फिलहाल नहीं किया जाएगा। ऑस्ट्रेलिया कभी भी काल्पनिक सवाल पर चर्चा करने की कोशिश नहीं करता है।
नॉर्थ कोरिया को लेकर रूस ने जारी की चेतावनी, जापान अमेरिका और साउथ अफ्रीका को लेकर दिया बयान
इजराइल के हमले में घायल हुए थे ईरान के राष्ट्रपति, कैबिनेट मीटिंग के दौरान हुआ था हमला
म्यांमार 40% टैरिफ लगाने के बावजूद ट्रंप के फैसले से खुश
रोनित राय का दावा- सैफ के बाद करीना कपूर पर भी हुआ था हमला
जापान का नहीं आया जवाब
अमेरिका के द्वारा चीन से युद्ध हो जाने की स्थिति में समर्थन मांगने की बात पर ऑस्ट्रेलिया के द्वारा फिलहाल इसे स्वीकार नहीं किया गया है। दूसरी तरफ जापान का इस मुद्दे को लेकर अभी तक आधिकारिक बयान नहीं आया है। बताया जा रहा है कि जापान इस मुद्दे पर अमेरिका को विचार विमर्श करने के बाद ही जवाब देगा। ताइवान को लेकर लगातार चीन और अमेरिका के बीच मतभेद देखने को मिलता है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनिया के विभिन्न हिस्सों में चल रहे विवादित मुद्दों को सुलझाने का दावा करते नजर आ रहे हैं। ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि अमेरिका के द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद चीन और ताइवान के मुद्दे को चर्चा दी जा सकती है।
1949 में चीन से अलग हुआ ताइवान
लंबे समय से चीन और ताईवान को लेकर विवाद बना हुआ है। ताइवान अपने आप को एक स्वतंत्र देश बताता है जबकि चीन का दावा है कि ताइवान चीन का ही एक हिस्सा है। दरअसल चीन से अलग होकर ताइवान ने 1949 में स्वतंत्र देश की घोषणा की थी। लेकिन चीन लगातार इसे अपना हिस्सा बताता रहा है। दोनों देशों के बीच इसी मुद्दे को लेकर तनाव बना रहता है। ऐसी कई मौके आए हैं जब ताइवान के मुद्दे को लेकर चीन काफी आक्रामक नजर आया था। ताइवान पर अपना अधिकार जताने वाली चीन की सरकार कई बार लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई ताइवान की सरकार को अलगाव वादी अधिकार दे चुका है। ताइवान के हिस्से को जबरदस्ती अपने नियंत्रण में लेने की धमकी भी चीन के द्वारा समय-समय पर दी जाती रही है। चीन के द्वारा लगातार ताइवान को अपना हिस्सा बताने के बावजूद ताइवान यह स्पष्ट कर चुका है कि अपना भविष्य ताइवान खुद बनाएगा।

ताइवान को लेकर स्पष्ट नहीं अमेरिका
एक तरफ अमेरिका के द्वारा ताइवान को लेकर चीन से युद्ध की स्थिति का विश्लेषण किया जा रहा है। दूसरी तरफ अमेरिका ताइवान के मुद्दे पर दोहरा रवैया अपनाते हुआ दिखाई देता है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बिडेन ने ताइवान के मुद्दे पर बातचीत करते हुए कहा था कि यदि चीन के द्वारा ताइवान पर हमला किया जाता है तो अमेरिका भी इस मामले में सैन्य हस्तक्षेप करने में पीछे नहीं रहेगा लेकिन अमेरिका में सरकार बदल जाने के साथ स्थिति बदल गई है। अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ताइवान के मुद्दे पर स्पष्ट तौर पर सामने नहीं आ रहे हैं। अमेरिका के द्वारा कभी भी स्पष्ट रूप से ताइवान की रक्षा की गारंटी नहीं दी गई है। अमेरिका के द्वारा ताइवान पर चीन की शांति और संप्रभुता को लेकर आलोचना जरूर की जा रही है।
तत्कालिक सरकार करेगी फैसला -ऑस्ट्रेलिया
अमेरिका के द्वारा चीन से युद्ध की स्थिति में सहयोग के मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी युद्ध की स्थिति में सैनिक भेजने का निर्णय तत्कालिक सरकार के द्वारा किया जाता है। इसलिए हम इस मुद्दे को लेकर अभी किसी भी प्रकार का निर्णय नहीं लेंगे। ऑस्ट्रेलिया के द्वारा लंबे समय से काल्पनिक परिस्थितियों पर चर्चा नहीं करने की कोशिश की जाती रही है। ऑस्ट्रेलिया अपनी संप्रभुता को सबसे ज्यादा तरजीह देता है। इसी के साथ ऑस्ट्रेलिया के द्वारा चीन को लेकर चिंता भी व्यक्त की गई है।
चीन के द्वारा प्रशांत द्वीप पर मिलिट्री बेस बनाने की कोशिश को गलत कर दिया गया है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री इस समय चीन की यात्रा पर गए हुए हैं। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री 6 दिन के लिए चीनी यात्रा पर हैं। इस दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार तथा क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर चर्चा होने की संभावना है। ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रपति पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि उनकी चीन यात्रा के दौरान सिर्फ व्यापार और सुरक्षा को लेकर ही चर्चा होगी। ताइवान के मुद्दे पर आस्ट्रेलिया चीन से किसी भी तरह की बातचीत नहीं करेगा।