Cuba Minister Statement : क्यूबा की एक मंत्री के द्वारा दिए गए बयान के बाद विवाद खड़ा हो गया। क्यूबा की श्रम मंत्री के द्वारा भिखारी को लेकर बयान दिया गया था। उन्होंने कहा था कि हमारे देश में सिर्फ गरीब लोग दिखने का दिखावा किया जाता है जबकि हमारे देश में एक भिखारी नहीं है। क्यूबा के मंत्री के द्वारा जब यह बयान दिया गए था इसके बाद लगातार उनके इस बयान की निंदा होने लगी। लोगों ने आरोप लगाया कि सरकार और उनके मंत्री उनके दर्द और हालात को नहीं समझ पा रहे हैं। इसके बाद राष्ट्रपति के द्वारा संसद में बिना श्रम मंत्री का नाम लिए उनकी आलोचना की गई। इसके बाद श्रम मंत्री को अपने बयान को लेकर इस्तीफा देना पड़ा। श्रम मंत्री के द्वारा दिया गया यह बयान क्यूबा की संसद में दिया गया था। विवाद होने के बाद जब स्थिति बिगड़ी दिखाई दी तो उन्होंने अपना इस्तीफा पेश कर दिया जिसे पार्टी के द्वारा तुरंत स्वीकार भी कर लिया गया।
कमाई का ज्यादा हिस्सा कर रहे शराब पर खर्च -मंत्री
क्यूबा की श्रम मंत्री के द्वारा लोगों की गरीबी पर अपना बयान संसद में दिया गया। उन्होंने कहा कि मैंने विभिन्न लोगों को देखा है जो भिखारी के जैसे दिखाई देते हैं लेकिन उनके कपड़े और हाथ देखकर यह लगता है कि वह वास्तव में भिखारी नहीं है। सिर्फ भिखारी होने का नाटक कर रहे हैं। जो लोग सड़कों पर कारों के शीशे साफ करते हैं उनको अच्छी कमाई होती है लेकिन अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा इन व्यक्तियों के द्वारा शराब पर खर्च कर दिया जाता है। मंत्री ने यह भी कहा कि कूड़ा ढूंढने वाले लोग बिना किसी मेहनत के पैसा कमाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके द्वारा लगातार टैक्स की चोरी की जा रही है। उनके द्वारा संसद में दिए गए इस बयान के बाद उनकी खूब आलोचना हुई। आम नागरिकों के साथ-साथ विपक्षी पार्टियों के द्वारा भी उनके ऊपर निशाना साधा गया।
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आर्थिक संकट से गुजर रहा क्यूबा
क्यूबा में इस समय आर्थिक संकट छाया हुआ है। लगातार इस देश में ईंधन, खान और दवा की कमी चल रही है। जिसके कारण विभिन्न लोग सड़कों पर भीख मांगते हुए आसानी से दिखाई दे सकते हैं। गाड़ियों के शीशे साफ करने, कूड़ा बीनने, और भीख मांगने वाले लोगों की संख्या लगातार इस देश में बढ़ती जा रही है। कचरा बेचकर लोगों के द्वारा जीवन यापन किया जा रहा है। दूसरी तरफ इस देश की गरीबी भी लगातार ऊंचाइयों की तरफ जा रही है। इस देश में विरोध प्रदर्शन कानूनी नहीं होने के कारण अधिकतर सरकार की आलोचना नहीं हो पाती है। इसके बावजूद मंत्री के द्वारा दिए गए इस बयान के बाद लोगों के द्वारा खुले तौर पर उनका विरोध किया गया और इस्तीफे की मांग की गई। जिसकी बदौलत मंत्री का इस्तीफा हो पाया।

अमेरिका ने लगा रखे कड़े प्रतिबंध
क्यूबा के द्वारा अपनी आर्थिक तंगी के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया जाता है। क्यूबा का कहना है कि अमेरिका के द्वारा लंबे समय से लगाए गए प्रतिबंधों के कारण उसकी आर्थिक हालत ऐसी हो गई है। अमेरिका के द्वारा इस देश पर 1960 में क्रांति हो जाने के बाद व्यापारिक प्रतिबंध लगाए गए थे। इन प्रतिबंधों के कारण इस देश को ईंधन और जरूरी सामान वित्तीय लेनदेन आदि में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका में सरकार बदलने के बाद डोनाल्ड ट्रंप की सरकार के बनते ही इन प्रतिबंधों को और भी बढ़ा दिया गया है। बराक ओबामा के कार्यकाल में अमेरिका और क्यूबा के रिश्तों में सुधार देखने को मिल रहा था लेकिन ट्रंप सरकार में ऐसा नहीं है बल्कि स्थिति विपरीत दिखाई दे रही है।
पर्यटन पर पड़ रहा बुरा असर
अमेरिका के द्वारा क्यूबा के राष्ट्रपति और मंत्री अधिकारियों के लग्जरी होटल पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसी महीने की 11 जुलाई को अमेरिका के द्वारा यह प्रतिबंध लगाए गए थे। इसके बाद अमेरिका के पर्यटन पर प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल रहा है। पर्यटक इस देश की अर्थव्यवस्था की रीड की हड्डी है क्योंकि बड़ी मात्रा में लोगों के द्वारा पर्यटक के तौर पर यहां आया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक एक समय ऐसा था जब यह मध्यम आय वाला देश बन गया था। लेकिन पिछले 5 साल में हालत काफी खराब हो गए हैं।
क्यूबा की इस हालत के लिए अमेरिका के साथ-साथ वेनेजुएला को भी जिम्मेदार ठहराया जाता है क्योंकि पहले वह क्यूबा को बड़ी मात्रा में सब्सिडी पर तेल देता था लेकिन अब खुद की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वह इस देश की मदद नहीं कर पा रहा है।क्यूबा को लंबे समय से अमेरिका का कट्टर विरोधी देश माना जाता रहा है। इसकी राजधानी हवाना है जबकि स्पेनिश भाषा इस देश की आधिकारिक भाषा है। चीनी, तंबाकू और पर्यटन को क्यूबा का प्रमुख उद्योग माना जाता है। लगभग एक करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले इस देश में वर्तमान में आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण गरीबी चरम पर है। इस देश में चीन की तरह सिर्फ एक कम्युनिस्ट पार्टी की ही सत्ता लगातार कार्य कर रही है। 1902 में आजादी मिल जाने के बावजूद भी इस पर अमेरिका का प्रभाव पूरी तरह से बना हुआ है।