Daya Nayak Retirement से खत्म हुआ मुंबई पुलिस का एनकाउंटर स्पेशलिस्ट युग, 80 से अधिक एनकाउंटर करने वाले अफसर का संघर्षपूर्ण सफर।

80 से ज्यादा एनकाउंटर करने वाले एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक हुए सेवानिवृत; दया का कार्यकाल रहा काफी चर्चित

Daya Nayak Retirement : एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले दया नायक मुंबई पुलिस से सेवानिवृत हो गए हैं। लगभग 30 साल तक मुंबई पुलिस को सेवा देने वाले दया नायक का सेवानिवृत्ति 31 जुलाई को हो गया है। दया नायक जब मुंबई पुलिस में शामिल हुए थे। उस समय मुंबई में बड़े स्तर पर गैंगवॉर का वर्चस्व था। 1995 में दया नायक के द्वारा पुलिस में शामिल होने का फैसला लिया गया था। रिटायर होने से मात्र दो दिन पहले वह पदोन्नत होकर एसीपी के पद पर पहुंचे थे। एसीपी के पद पर दया नायक सिर्फ दो दिन ही रह सके। इसके बाद वह रिटायर हो गए हैं। दया नायक का कार्यकाल काफी चर्चा में रहा था। अपने कार्यकाल में वह एनकाउंटर के साथ-साथ जेल जाने तथा दूसरी घटनाओं के कारण भी चर्चा में बने रहे थे। एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक का कार्यकाल काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है। अपराधी गतिविधियों के आरोप में उन्हें सन 2006 में जेल भी जाना पड़ा था। हालांकि उन्हें इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 2010 में बरी कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बरी कर देने के बाद 2012 में दया नायक एक बार फिर मुंबई पुलिस में बहाल हो गए।

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दया नायक को इसके बाद नागपुर पोस्टिंग दी गई लेकिन उनके द्वारा इसे ज्वाइन नहीं किया गया। जिस पर 2015 में उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। सस्पेंड होने के बाद 1 साल बाद 2016 में मुंबई पुलिस में दया नायक फिर बहाल हो गए। 2018 में दया नायक को प्रमोट करते हुए इंस्पेक्टर बनाया गया। एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक के करियर की भांति जीवन भी काफी संघर्षों से गुजरा है। दया नायक का जन्म कर्नाटक एक जिले में हुआ था। गांव में जन्मे दया नायक के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उन्होंने अपनी माता के साथ कई बार प्लेटफार्म पर फुटपाथ पर सोते हुए रात गुजारी थी। इसके बाद दया नायक को रेलवे स्टेशन पर कैंटीन में नौकरी प्राप्त हो गई। रेलवे स्टेशन की कैंटीन में कार्य करने के अलावा दया नायक के द्वारा होटल में वेटर का कार्य भी किया गया।

1995 में पुलिस में भर्ती हुए दया

दया नायक मुंबई पुलिस में 1995 में भर्ती हुए थे। 1993 में मुंबई धमाकों के बाद मुंबई में लगातार दहशत का माहौल था। मुंबई धमाका होने के बाद अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम में भारत को छोड़कर फरार हो गया था। इसके बावजूद दूसरे गैंगस्टरों के कारण मुंबई में दहशत का माहौल था। मुंबई में हमेशा गैंगवॉर की चर्चा सुनी जा सकती थी। ऐसे समय में मुंबई पुलिस को एक ऐसे पुलिस अफसर की आवश्यकता थी जो इन गैंगस्टर में खौफ पैदा कर सके। दया नायक के रूप में मुंबई पुलिस को ऐसा ही एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मिला। बताया जाता है की दया नायक ने अपने कार्यकाल में 80 से ज्यादा एनकाउंटर किये।

पुलिस में भर्ती होने के बाद दया नायक की पहली गैंगस्टर से मुठभेड़ छोटा राजन के गुर्गो से हुई थी। मुंबई पुलिस में शामिल होने के बाद उन्हें पहली पोस्टिंग जुहू पुलिस थाने में दी गई। यहां रहते हुए दया की भिडंत 31 दिसंबर को छोटा राजन के गैंग से हुई। दया नायक के द्वारा इस मुठभेड़ में दो गैंगस्टरों को ढेर कर दिया गया। उनके द्वारा दिखाई बहादुरी पर डिप्टी पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह के द्वारा उन्हें इसका इनाम देते हुए सीनियर एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा का राइट हैंड बना दिया गया। इसके बाद लगातार वह विभिन्न एनकाउंटर में शामिल रहे और उनकी छवि एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर बन गई।

Daya Nayak Retirement से खत्म हुआ मुंबई पुलिस का एनकाउंटर स्पेशलिस्ट युग, 80 से अधिक एनकाउंटर करने वाले अफसर का संघर्षपूर्ण सफर।
Daya Nayak Retirement से खत्म हुआ मुंबई पुलिस का एनकाउंटर स्पेशलिस्ट युग, 80 से अधिक एनकाउंटर करने वाले अफसर का संघर्षपूर्ण सफर।
कार्यकाल में रहे काफी उतार चढ़ाव

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक का कार्यकाल काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है। अपराधी गतिविधियों के आरोप में उन्हें सन 2006 में जेल भी जाना पड़ा था। हालांकि उन्हें इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 2010 में बरी कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बरी कर देने के बाद 2012 में दया नायक एक बार फिर मुंबई पुलिस में बहाल हो गए। दया नायक को इसके बाद नागपुर पोस्टिंग दी गई लेकिन उनके द्वारा इसे ज्वाइन नहीं किया गया। जिस पर 2015 में उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। सस्पेंड होने के बाद 1 साल बाद 2016 में मुंबई पुलिस में दया नायक फिर बहाल हो गए। 2018 में दया नायक को प्रमोट करते हुए इंस्पेक्टर बनाया गया। 2019 में एंटी टेरेरिस्ट स्क्वाड का हिस्सा रहे। इसके बाद चर्चित एंटीलिया केस में दया नायक के द्वारा 2021 में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई।

गरीबी में गुजरा दया का बचपन

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक के करियर की भांति जीवन भी काफी संघर्षों से गुजरा है। दया नायक का जन्म कर्नाटक एक जिले में हुआ था। गांव में जन्मे दया नायक के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उन्होंने अपनी माता के साथ कई बार प्लेटफार्म पर फुटपाथ पर सोते हुए रात गुजारी थी। इसके बाद दया नायक को रेलवे स्टेशन पर कैंटीन में नौकरी प्राप्त हो गई। रेलवे स्टेशन की कैंटीन में कार्य करने के अलावा दया नायक के द्वारा होटल में वेटर का कार्य भी किया गया। दया नायक पढ़ने में काफी रुचि रखते थे। उनकी इसी रुचि को देखते हुए होटल के मालिक के द्वारा दया नायक का स्कूल में दाखिला कराया गया। दया नायक दिन में कार्य करने के साथ-साथ पढ़ाई का कार्य भी करते थे।

स्कूल खोलने से आए विवादों में

अपने जीवन में संघर्ष करने के बाद दया नायक के द्वारा अपनी मां के नाम पर एक स्कूल खोला गया। 2000 में स्कूल खोलने के बाद वह विवादों में आगे उन पर आरोप लगाया गया था कि छोटा राजन के साथ मिलकर दया नायक के द्वारा आपराधिक गतिविधि संचालित की जाती है। हालांकि दया नायक ने उनके ऊपर लगी इन आरोपों को कभी भी स्वीकार नहीं किया था। दया नायक के करियर का प्रभाव काफी लोगों के व्यक्तित्व पर देखा जा सकता है। उनकी इसी छवि को देखते हुए अब तक उनके जीवन पर विभिन्न फिल्मों का भी निर्माण किया जा चुका है।

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