Donald Trump Policy : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका में चुनाव जीतने के बाद 6 महीने पूरे हो गए हैं। अमेरिका में चल रहे चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा यह वादा किया गया था कि वह राष्ट्रपति बनने के बाद मात्र 24 घंटे में रूस और यूक्रेन युद्ध को खत्म कर देंगे लेकिन 6 महीने खत्म हो जाने के बावजूद अपने कार्यकाल में रूस और यूक्रेन के युद्ध को लेकर सहमति नहीं बना पाए हैं। ऐसे में अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा किए गए वादे को लेकर एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है। लंबे समय से चल रहा रूस और यूक्रेन युद्ध अभी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है और ना ही गाजा में इजरायल और हमास के बीच संघर्ष समाप्त हुआ है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर लगातार इन दोनों संघर्ष को रोकने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वह अभी तक इसमें सफल नहीं हो पाए हैं।
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वैश्विक व्यापार पर रहा ट्रंप का फोकस
अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप का सर्वाधिक ध्यान विश्व व्यापार नीति पर रहा। उन्होंने लगातार एक के बाद एक कई देशों पर बड़ी मात्रा में टैरिफ लगाने की घोषणा की है। ट्रंप लगातार लेटर भेज कर विभिन्न देशों पर टैरिफ लगाने की जानकारी दे रहे हैं। उन्होंने अभी तक चीन पर 60% वियतनाम पर 25% यूरोपीय कारों पर 40% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इसके अतिरिक्त भी उनके द्वारा विभिन्न देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की जा चुकी है। ब्रिक्स संगठन पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की बात पहले कह चुके हैं। भारत और अमेरिका के बीच अभी तक समझौता नहीं हो पाया है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि डोनाल्ड ट्रंप लगातार अमेरिका फर्स्ट नीति पर कार्य कर रहे हैं। उनके द्वारा लगातार दुनिया के विभिन्न देशों से व्यापार को लेकर समझौते किए जा रहे हैं। जिनमें बड़ी मात्रा में टैरिफ की घोषणा की जा रही है।
ट्रंप के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा बना रूस यूक्रेन युद्ध
अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा चुनाव से पहले रूस और यूक्रेन के युद्ध को खत्म करने को लेकर बयान दिया गया था लेकिन वह अभी तक इसमें सफल नहीं हो पाए हैं। लंबे समय से चल रहा रूस और यूक्रेन युद्ध अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका के राष्ट्रपति के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गया है। आने वाले समय में दोनों देशों के बीच तकरार और बढ़ सकती है। इसे देखते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा रूस पर प्रतिबंध बढ़ा दिए गए हैं। अमेरिका और नाटो मिलकर लगातार रूस पर दबाव बढ़ा रहे हैं। इसे देखते हुए आने वाले समय में रूस यूक्रेन के साथ शांति वार्ता करने के लिए भी तैयार हो सकता है। अमेरिका के द्वारा लंबे समय से यूक्रेन का साथ दिया जा रहा है। रूस यूक्रेन युद्ध को खत्म करने को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा रूस तथा यूक्रेन के प्रतिनिधियों के साथ कई बार बातचीत की जा चुकी है लेकिन यह अभी तक समाधान तक नहीं पहुंचा है।

रूस पर सख्त हो रहे ट्रंप
लंबे समय से चल रहा रूस और यूक्रेन युद्ध को खत्म करने को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति का रवैया अब रूस के साथ बदलता हुआ दिखाई दे रहा है। रूस के राष्ट्रपति को लेकर डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा हाल ही में यह बयान दिया गया था कि पुतिन रूस और यूक्रेन युद्ध को खत्म करने को लेकर गंभीर नहीं है। उनके द्वारा दिन में मीठी-मीठी बात की जाती है लेकिन रात को उनके द्वारा यूक्रेन पर बम बरसाए जाते हैं। रूस को शांति वार्ता पर मजबूर करने के लिए ट्रंप के द्वारा कूटनीतिक और आर्थिक रणनीतियां अपनाई जा रही हैं। इसके लिए नाटो और अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा रूस पर 100% सेकेंडरी टैरिफ लगाने की घोषणा की गई है। यदि 50 दिनों के भीतर रूस के द्वारा यूक्रेन से समझौता नहीं किया गया तो यह लागू होगा। इसके लिए 2 सितंबर की डेडलाइन तय की गई है।
नाटो भी दे रहा अमेरिका का साथ
रूस के ऊपर यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध को खत्म करने को लेकर अमेरिका और नाटो दोनों के द्वारा दबाव बनाया जा रहा है। अमेरिका के द्वारा बनाए जा रहे दबाव में नाटो अमेरिका का भरपूर साथ दे रहा है। लंबे समय से अमेरिका का सहयोग कर रहा अमेरिका एक बार फिर यूक्रेन को हथियार सप्लाई करने जा रहा है। यूक्रेन को होने वाले हथियार सप्लाई में नाटो को माध्यम बनाया जाएगा नाटो अमेरिका को हथियार सप्लाई के बदले 100% भुगतान करेगा। रूस और यूक्रेन के मध्य चल रहे युद्ध की तरह लंबे समय से गाजा में हमास और इजराइल में संघर्ष चल रहा है।
इसे खत्म करने को लेकर भी अमेरिका के द्वारा लगातार दोनों के ऊपर दबाव बनाया जा रहा है। इसराइल के द्वारा 60 दिनों के संघर्ष विराम पर सहमति दे देने के बाद ट्रंप ने हमास को चेतावनी जारी की थी। यदि हुमस ने संघर्ष विराम पर सहमति नहीं जताई तो उसे इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। हमास और इजरायल के बीच चल रहा यह संघर्ष भी खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। एक तरफ हमास की मांग है कि गाजा से इजरायल की सेना के वापस चले जाने पर ही वह शांति वार्ता के लिए तैयार होगा जबकि दूसरी तरफ इसराइल इसके लिए तैयार नहीं है।
ट्रंप के कार्यकाल में ईरान पर किया हमला
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में लंबे समय बाद एक बार फिर अमेरिका ने किसी भी सीधे युद्ध में भाग लिया। ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष के दौरान अमेरिका ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था। ईरान के परमाणु ठिकानो को नष्ट करने के लिए अमेरिका ने अपने लड़ाकू विमान उतारे थे। लगभग 22 साल बाद यह देखने को मिला है जब अमेरिका किसी युद्ध में सीधे तौर पर शामिल हुआ हो। ईरान के परमाणु ठिकानों को नष्ट करने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति ने यह कदम उठाए थे। इसके अतिरिक्त अमेरिका के राष्ट्रपति के 6 महीने के कार्यकाल में विभिन्न देशों पर लगाए गए टैरिफ, बिग ब्यूटीफुल बिल तथा वीजा सख्ती के कारण ट्रंप चर्चा में रहे। इसी दौरान उनके खास दोस्त रहे टेस्ला कंपनी के सीईओ एलन मस्क से उनके मतभेद जग जाहिर हुए है।