Fordow Nuclear Facility: ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष में इजरायल के द्वारा लगातार ईरान पर हमले किए जा रहे हैं। इसराइल के द्वारा किए जा रहे हमले में ईरान के विभिन्न ठिकानों को नष्ट किया जा चुका है। जबकि विभिन्न प्रमुख अधिकारी भी इस हमले में मौत का शिकार हो चुके हैं। लेकिन इसराइल के लिए ईरान का फोर्दो परमाणु संयंत्र अभी भी पहुंच से दूर है। यह परमाणु संयंत्र ऐसी जगह पर स्थित है जहां इजरायल के लिए हमला करना आसान नहीं है।
90 मीटर गहराई में स्थित परमाणु संयंत्र
परमाणु परीक्षण को लेकर ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष में इजरायल ईरान के सभी परमाणु संयंत्र को नष्ट करना चाहता है। इसी रणनीति के तहत इजरायल के द्वारा लगातार ईरान के विभिन्न ठिकानों पर हमले किए जा रहे हैं लेकिन ईरान का सबसे महत्वपूर्ण फोर्दो परमाणु संयंत्र अभी भी इजरायल की पहुंच से दूर है।
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अपनी विशेष बनावट के कारण यह परमाणु संयंत्र इजरायल के द्वारा किए जा रहे हमलों के बावजूद सुरक्षित है। ईरान का यह परमाणु संयंत्र जमीन से लगभग 90 मीटर गहराई पर मौजूद है। जहां पर किसी भी तरह के हथियार के द्वारा हमला नहीं हो पा रहा है। इस परमाणु संयंत्र के चारों तरफ पहाड़ी मौजूद है जिससे यह इसे और भी अधिक सुरक्षित बना देता है।
आसान नहीं इसे नष्ट करना
ईरान के फोटो परमाणु संयंत्र को नष्ट करना इतना आसान नहीं है। अमेरिका के बंकर बस्टर बम और b-2 स्ट्रैंथ विमान के अलावा इस परमाणु संयंत्र को नष्ट करने की क्षमता फिलहाल किसी में नजर नहीं आ रही है। इस परमाणु संयंत्र को नष्ट करने के लिए सिर्फ एक हमले की आवश्यकता नहीं होगी बल्कि एक ही जगह पर कई बार बम हमला करना पड़ेगा। इस परमाणु संयंत्र की रणनीतिक लोकेशन और बनावट इस तरह की है कि इस पर किसी भी तरह का हवाई हमला करना आसान नहीं है। इस परमाणु संयंत्र तक पहुंचने के लिए कई सुरंग को पार करना पड़ता है जो दुश्मन के लिए इतना आसान नहीं है।
हमलो से बचाव के लिए एस -300 मिसाइल सेफ्टी सिस्टम तैनात
ईरान के इस परमाणु संयंत्र को विशेष बनावट के साथ-साथ सुरक्षा से लैश किया जा चुका है। ईरान के इस परमाणु संयंत्र पर रूस का बना हुआ एस -300 मिसाइल सेफ्टी सिस्टम स्थापित किया हुआ है। यह मिसाइल सेफ्टी सिस्टम ईरान के द्वारा 2016 में तैनात किया गया था। इस मिसाइल सेफ्टी सिस्टम के द्वारा किसी दूसरे देश के द्वारा होने वाले मिसाइल हमले को नष्ट कर दिया जाता है। यह परमाणु संयंत्र पहाड़ के नीचे 80 से 90 मीटर नीचे होने के कारण इस पर हवाई हमला करना आसान नहीं है।

क्यों महत्वपूर्ण है यह परमाणु संयंत्र?
ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष में इजरायल के द्वारा लगातार ईरान को नुकसान पहुंचाने के बावजूद इसराइल वह नहीं कर पा रहा है जो वास्तव में वह करना चाहता है। इजरायल ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के लिए लगातार ईरान पर हमले कर रहा है लेकिन जब तक उसका महत्वपूर्ण परमाणु संयंत्र नष्ट नहीं हो जाता इजरायल की यह इच्छा अधूरी ही रहेगी। इजरायल के द्वारा ईरान के परमाणु दस्तावेज चुरा लेने के बाद ईरान के परमाणु परीक्षण को लेकर जानकारी लगी थी। इसराइल को यह जानकारी 2018 में मिली थी।
इस परमाणु संयंत्र पर लगातार परमाणु हथियार और दूसरे खतरनाक उपकरणों का निर्माण करने का अंदेशा है। ईरान के इस परमाणु संयंत्र को लेकर इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी भी यह मान चुकी है कि इस परमाणु संयंत्र का आकार और बनावट इस तरह का है कि इस शांतिपूर्ण नहीं माना जा सकता। इसी कारण लगातार इजरायल ईरान के इस परमाणु संयंत्र को नष्ट करने की कोशिश में लगा हुआ है लेकिन यह अमेरिका के सहयोग के बिना संभव नहीं लग रहा है।
अमेरिका का सहयोग मांग रहा इजरायल
लगातार हमले किए जाने के बावजूद ईरान के महत्वपूर्ण परमाणु संयंत्र को नष्ट करने में सक्षम नहीं होने के कारण इजरायल के द्वारा लगातार अमेरिका से युद्ध में शामिल होने की मांग की जा रही है। अमेरिका के पास विशेष बम तथा विमान मौजूद होने के कारण इजरायल अमेरिका से बार-बार इस युद्ध में शामिल होने को लेकर दबाव बना रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी लगातार ईरान के ऊपर परमाणु समझौता करने को लेकर दबाव बना रहे हैं। लेकिन ईरान के द्वारा परमाणु समझौता करने से इनकार कर दिया गया है जिसके बाद अमेरिका के इस युद्ध में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।
Israel के पास 90 से अधिक परमाणु हथियार
ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष की सबसे बड़ी वजह ईरान का परमाणु परीक्षण करना और परमाणु हथियार तैयार करना है। इसराइल यह नहीं चाहता कि ईरान के द्वारा किसी भी हालत में परमाणु हथियार बना लिए जाएं। एक तरफ इजरायल ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोक रहा है जबकि दूसरी तरफ इसराइल पर यह आरोप लगते हैं कि गोपनीय तरीके से इसराइल परमाणु हथियार बना चुका है। इसराइल पर यह आरोप है कि उसके पास 90 से भी अधिक परमाणु हथियार मौजूद हैं। इसराइल पर यह आरोप लगने के बाद भी इजरायल के द्वारा कभी किसी एजेंसी को परमाणु ठिकानों की जांच की अनुमति नहीं दी गई है।