Russia Ukraine War जारी, रूस का बड़ा हवाई हमला, यूरोपीय देशों ने दी यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी, 26 देशों ने मिलकर मदद का वादा किया।

युद्ध को अवसर बना रहे हथियार सप्लाई करने वाले देश

Global Arms Trade : लंबे समय से चल रहे रूस यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की कोशिश लगातार की जा रही है। अमेरिका के द्वारा रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात करने के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति से भी चर्चा की गई थी। इस दौरान यूरोपीय देशों के नेता भी मौजूद रहे थे। लंबे समय से चल रहे इस युद्ध के कारण मानवीय संकट पैदा हो गया है लेकिन कुछ देशों के द्वारा इस युद्ध को अवसर के तौर पर लिया जा रहा है। विभिन्न देशों को हथियार सप्लाई करने के मामले में वह डीलर की तरह कार्य कर रहे हैं। रूस यूक्रेन के साथ चल रहे लंबे संघर्ष के कारण हथियार सप्लाई के मामले में पीछे हो गया है। इसी युद्ध का असर यूरोपीय देशों पर भी देखने को मिल रहा है। लगभग 3 साल से चल रहे युद्ध के कारण हथियारों के बाजार की तस्वीर में बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है। वैश्विक स्तर पर बदलते परिदृश्य के कारण भी हथियारों का व्यापार लगातार बढ़ता जा रहा है। चीन ताइवान रूस यूक्रेन तथा दूसरे संघर्षों के कारण लगातार हथियार व्यापार में वृद्धि दर्ज की जा रही है। विभिन्न देशों के द्वारा लगातार हथियार भंडारण गोला बारूद दूसरे लड़ाकू विमान ड्रोन टैंक आदि का व्यापार किया जा रहा है।

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अमेरिका बना हुआ है सबसे बड़ा हथियार निर्यातक

दुनिया के दूसरे देशों को हथियार सप्लाई करने के मामले में अमेरिका सबसे ऊपर है। रूस और यूक्रेन युद्ध में भूमिका निभाने के बावजूद अमेरिका ने अपनी स्थिति में परिवर्तन नहीं होने दिया है लेकिन उसे भी नुकसान उठाना पड़ा है। यूरोप तथा रूस को यूक्रेन युद्ध के कारण हथियार सप्लाई में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। रूस हथियार सप्लाई के मामले में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर होता था लेकिन यूक्रेन युद्ध के कारण स्थिति बदल गई है। पश्चिमी देशों के द्वारा यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर बड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसका असर सीधे तौर पर रूस की अर्थव्यवस्था पर देखा जा रहा है। मिसाइल निर्माण तथा विमान में उपयोग आने वाले मूलभूत तत्व रूस को नहीं मिल पा रहे हैं। 2022 और 2023 के हथियार सप्लाई के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो रूस के निर्यात में लगभग 50% की गिरावट दर्ज की गई है।

दक्षिण कोरिया और तुर्किये बने नए Boss

पिछले कुछ समय से लगातार वैश्विक स्तर पर अलग-अलग मंचों पर तनाव देखने को मिला है। भारत और पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिंदूर के बाद कई दिनों तक युद्ध की स्थिति बनी रही थी। ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय तक युद्ध चला था। गाजा में हमास और इजरायल के बीच लगातार संघर्ष जारी है। रूस और यूक्रेन के बीच भी टकराव चल रहा है। इसी तरह दुनिया के कई दूसरे हिस्सों में भी भीषण जंग देखने को मिल रही है। इसका फायदा कुछ देशों के द्वारा उठाया जा रहा है। भारत और पाकिस्तान के बीच चले संघर्ष ने पाकिस्तान के द्वारा तुर्की से बने ड्रोन का बड़ी मात्रा में इस्तेमाल किया था।

पिछले कुछ समय में दक्षिण कोरिया तथा तुर्की के द्वारा लगातार हथियारों के वैश्विक बाजार में छाप छोड़ी जा रही है। तुर्की का हथियार निर्यात व्यापार लगभग डेढ़ लाख करोड़ से बढ़कर 6 लाख करोड़ तक पहुंच गया है। तुर्की के द्वारा बड़ी मात्रा में ड्रोन टैंक विमान युद्धपोत हेलीकॉप्टर जैसे हथियार और सुरक्षा उपकरण बनाए जा रहे हैं। दक्षिण कोरिया भी लगातार बड़े आपूर्ति कर्ता के रूप में सामने आया है। तोप और टैंक के मामले में दक्षिण कोरिया ने अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है। इस से यह स्पष्ट है कि दुनिया के विभिन्न देशों में चल रहा संघर्ष भले ही मानवीयता के आधार पर संकट पैदा कर रहे हो लेकिन कुछ देशों के द्वारा इस अवसर के तौर पर देखा जा रहा है।

Global Arms Trade पर रूस-यूक्रेन युद्ध का असर, रूस की हिस्सेदारी घटी, अमेरिका शीर्ष निर्यातक, दक्षिण कोरिया और तुर्की बने नए हथियार सप्लाई हब।
Global Arms Trade पर रूस-यूक्रेन युद्ध का असर, रूस की हिस्सेदारी घटी, अमेरिका शीर्ष निर्यातक, दक्षिण कोरिया और तुर्की बने नए हथियार सप्लाई हब।
‘तेल खरीद से रूस को मिल रहा पैसा’

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड सलाहकार ने कहा कि यूक्रेन युद्ध के बाद भारत के द्वारा बड़े स्तर पर रूस से व्यापार किया जा रहा है। कच्चे तेल की खरीद करते हुए भारतीय कंपनियों के द्वारा उसे रिफाइन करने के बाद महंगे दाम पर बेचा जा रहा है। इस तरह युद्ध में रूस को आर्थिक समर्थन मिल रहा है। दूसरी तरफ भारत लगातार मुनाफा कमा रहा है। भारत अमेरिका को सामान बेचकर जो पैसा मिलता है उस से रूसी तेल खरीदने का कार्य कर रहा है। उन्होंने बड़ा दावा किया कि रूस और यूक्रेन युद्ध में शांति का रास्ता भारत से होकर गुजरता है। अगर देखा जाए तो भारत को रूस के तेल की आवश्यकता नहीं है लेकिन मुनाफा कमाने के कारण भारत के द्वारा ऐसा किया जा रहा है।

रूस की सुरक्षा सबसे जरूरी -पुतिन

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मुलाकात के बाद रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि रूस के लिए रूस की सुरक्षा सबसे पहले है। पुतिन इससे पहले भी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर अपना मत स्पष्ट कर चुके हैं। उन्होंने आने वाले समय में होने वाली मीटिंग को रूस के मास्को में आयोजित करने का सुझाव दिया। रूस और अमेरिका के राष्ट्रपति प्रेस कांफ्रेंस करने के कुछ समय पश्चात ही तुरंत मंच से रवाना हो गए।

ट्रंप बोले यूक्रेन पर निर्भर रहेगी लड़ाई

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पुतिन से मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि लंबे समय से चल रहे रूस और यूक्रेन के युद्ध का भविष्य यूक्रेन के राष्ट्रपति पर निर्भर है। यदि यूक्रेन के राष्ट्रपति चाहे तो यह युद्ध जल्दी ही खत्म हो सकता है। सब कुछ अब यूक्रेन के राष्ट्रपति पर निर्भर है। यूक्रेन के राष्ट्रपति के द्वारा शांति का रास्ता अपनाया जाता है या फिर लड़ाई को जारी रखा जाता है। अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के दौर को याद करते हुए कहा गया की 12 साल पहले बिना किसी दबाव और युद्ध के क्रीमिया को रूस को सौंप दिया गया था और यूक्रेन नाटो में शामिल नहीं हुआ था। ऐसे में बहुत सारी चीज कभी बदलने वाली नहीं है।

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