India China flights अगले महीने से शुरू हो सकती हैं, पीएम मोदी शंघाई सहयोग संगठन समिट में भाग लेने के लिए चीन जाएंगे।

भारतीय विदेश मंत्री ने की चीन के उपराष्ट्रपति से मुलाकात, दोनों देशों के संबंधों को लेकर हुई चर्चा

India China Relations : भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के उपराष्ट्रपति से महत्वपूर्ण मुलाकात की है। दोनों के बीच हुई इस मुलाकात में भारत और चीन के बीच संबंधों को लेकर चर्चा हुई। भारत के विदेश मंत्री की चीन के उपराष्ट्रपति से मुलाकात बीजिंग में हुई। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए पहुंचे हैं। दोनों नेताओं के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक के बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के संबंध लगातार सुधार की तरफ अग्रसर हैं। नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति की 2023 में हुई मुलाकात के बाद संबंधों में सुधार हो रहा है। भारत और चीन के राजनीतिक संबंधों को 75 साल पूरे हो चुके हैं।

खुलकर बातचीत करना भेज जरूरी -जयशंकर

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ रिश्तों को लेकर बातचीत करते हुए कहा कि मौजूदा अंतरराष्ट्रीय हालातो में पड़ोसी देशों के साथ खुलकर बातचीत करना बेहद जरूरी हो गया है। भारत और चीन जैसे पड़ोसी देशों को बातचीत के जरिए मुद्दे सुलझाने चाहिए। भारतीय विदेश मंत्री के द्वारा चीन के उपराष्ट्रपति को कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर शुरू करने को लेकर धन्यवाद दिया गया। उन्होंने कहा कि कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होने से भारत में बड़े स्तर पर इसका समर्थन किया गया।

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अध्यक्षता के लिए चीन को दिया भारत ने समर्थन

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन में शामिल होने के दौरान चीन को शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता के लिए समर्थन दिया। भारत की तरफ से चीन को इस संगठन का अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर यह समर्थन दिया गया है। शंघाई सहयोग संगठन में कुल 10 देश सदस्य हैं। जिनमे भारत पाकिस्तान चीन रूस ईरान शामिल है। एस जयशंकर के शंघाई सहयोग संगठन में शामिल होने से पहले भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस संगठन की बैठक में शामिल हुए थे। राजनाथ सिंह के द्वारा शंघाई सहयोग संगठन में आतंकवाद के लेकर आवाज उठाई गई थी।

15 जुलाई को होगी विदेश मंत्रियों की बैठक

लंबे समय बाद चीन की यात्रा पर गए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर 15 जुलाई को होने वाली शंघाई सहयोग संगठन की विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगे। शंघाई सहयोग संगठन का आयोजन इस बार चीन में किया जा रहा है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की लगभग 5 वर्ष बाद यह चीन की यात्रा है। चीन पहुंचने के बाद जयशंकर के द्वारा शंघाई सहयोग संगठन के महासचिव से भी मुलाकात की गई। इसी के साथ यह भी संभावना जताई जा रही है कि भारतीय विदेश मंत्री चीन के विदेश मंत्री से भी मुलाकात करेंगे। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच होने वाली इस मुलाकात में दोनों देशों के संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिश पर जोर दिया जाएगा।

सीमा विवाद के बाद जारी है तनाव

भारत और चीन में सीमा विवाद को लेकर तनाव पैदा हो गया था। जून 2020 में भारत और चीन की सेना एक दूसरे के आमने-सामने हो गई थी। गलवान घाटी में दोनों देशों की सेना के सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी जिसमें दोनों पक्षों के जवानों के मारे जाने की खबर सामने आई थी। इसके बाद लगातार भारत और चीन सीमा विवाद को लेकर एक दूसरे के सामने डटे हुए हैं। सीमा पर हुए इस विवाद के बाद भारत के किसी भी बड़े नेता के द्वारा चीन का दौरा नहीं किया गया है।

India China Relations: विदेश मंत्री जयशंकर और चीन के उपराष्ट्रपति की मुलाकात, शंघाई सहयोग संगठन बैठक में भारत-चीन संबंधों पर चर्चा
India China Relations: विदेश मंत्री जयशंकर और चीन के उपराष्ट्रपति की मुलाकात, शंघाई सहयोग संगठन बैठक में भारत-चीन संबंधों पर चर्चा
रक्षा मंत्री भी हुए थे बैठक में शामिल

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के द्वारा शंघाई सहयोग संगठन में होने वाली विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने से पहले भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन की रक्षा मंत्रियों की बैठक में इस से पहले हिस्सा ले चुके हैं। चीन में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साझा बयान पर साइन करने से भी इंकार कर दिया था। इस बयान में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र नहीं होने को लेकर भारत के द्वारा नाराजगी जताई गई थी।

साझा बयान में पहलगाम हमले का जिक्र नहीं था जबकि बलूचिस्तान में हुई आतंकी घटना का इसमें जिक्र किया गया था। इसे लेकर ही भारत ने नाराजगी जाहिर की थी। भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरते हुए दुनिया से आतंकवाद के खिलाफ समर्थन मांगा था। उन्होंने कहा था कि आतंकवाद के मुद्दे पर डबल स्टैंडर्ड के लिए किसी भी तरह की जगह नहीं होनी चाहिए। कुछ देश सीमा के उस पार आतंकवाद को लगातार समर्थन करते रहे हैं लेकिन उन्हें आने वाले समय में यह समझना जरूरी होगा कि आतंकवाद के एपिसेंटर अब सुरक्षित नहीं है।

2001 में हुई शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना

शंघाई सहयोग संगठन एक क्षेत्रीय संगठन है। इस क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठन की स्थापना किर्गिस्तान कजाकिस्तान चीन रूस और ताजिकिस्तान उज्बेकिस्तान ने मिलकर 2001 में की थी। शंघाई सहयोग संगठन में भारत और पाकिस्तान के द्वारा 2017 में सदस्यता ग्रहण की गई जबकि ईरान के द्वारा भी 2023 में इसकी सदस्यता ग्रहण की गई। शंघाई सहयोग संगठन का उद्देश्य इसके सदस्य देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा को लेकर सहयोग बढ़ाना है। साइबर, अपराध, आतंकवाद, ड्रग तस्करी, उग्रवाद जैसे मुद्दों पर साझा रणनीति बनाते हुए इन मुद्दों को सुलझाने पर जोर दिया जाता है।

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