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अमेरिका के बाद ब्रिटेन ने भी दिया भारत को झटका; टीएनआर रिपोर्ट में भारत का नाम शामिल

India UK Tensions : हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा भारत को बड़ा झटका दिया गया था। लंबे समय से अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत को अपना दोस्त करार देते रहे हैं। ट्रंप का कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही एक बड़ा व्यापार समझौता होगा लेकिन इसी बीच अमेरिका के राष्ट्रपति ने यह ऐलान कर दिया है कि अब भारत पर अमेरिका के द्वारा 25% टैरिफ लगाया जाएगा। साथ ही साथ रूस के साथ व्यापार करने के कारण भारत पर जुर्माना लगाने का ऐलान भी अमेरिका के द्वारा किया गया है। अमेरिका के द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद भारत को ब्रिटेन से भी एक बड़ा झटका लगा है। ब्रिटेन की संयुक्त मानव अधिकार समिति के द्वारा जारी की गई ब्रिटेन में अंतरराष्ट्रीय दमन रिपोर्ट में भारत का नाम शामिल किया गया है।

यह रिपोर्ट उन देशों के खिलाफ है जिनके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दमन के सबूत मिले हैं। ब्रिटेन के द्वारा भारत को इस रिपोर्ट में शामिल करना भारत के लिए उचित नहीं है। ब्रिटेन के द्वारा उठाये गए इस कदम को लेकर अभी भारत की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। ब्रिटेन की मानवाधिकार समिति के द्वारा भारत को दमनकारी नीति अपनाने वाले देशों की सूची में ऐसे समय में शामिल किया गया है जिससे कुछ दिन पहले ही भारतीय प्रधानमंत्री के द्वारा ब्रिटेन का दौरा किया गया था। भारतीय प्रधानमंत्री ने अपने इस दौरे के दौरान ब्रिटेन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट समझौते को फाइनल किया था। दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर लंबे समय से बातचीत चल रही थी। लगभग 3 साल बाद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के साथ यह समझौता संभव हो पाया था।

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ब्रिटेन की संसदीय समिति ने जारी की चेतावनी

ब्रिटेन की संयुक्त मानवाधिकार समिति ने ब्रिटेन में अंतरराष्ट्रीय दमन की एक रिपोर्ट जारी की है। जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक भारत भी ऐसे देशो में शामिल है जिनके द्वारा अंतर्राष्ट्रीय दमन के सबूत प्राप्त हुए हैं। ब्रिटेन की संसदीय समिति के द्वारा जारी की गई चेतावनी में विदेशी सरकारों पर ब्रिटेन में व्यक्ति और समुदायों को चुप कराने और धमकाने का आरोप है। इस रिपोर्ट का दावा है कि समिति को उप्युक्त सबूत प्राप्त हुए हैं कि कई देश ब्रिटेन की धरती पर लगातार दमनकारी नीति अपना रहे हैं। इसका लोगों पर गंभीर प्रभाव देखने को मिल रहा है। लोगों में डर की भावना पैदा हो रही है। लोगों की अभिव्यक्ति और आवागमन की स्वतंत्रता को प्रभावित किया जा रहा है। ऐसे में उनकी सुरक्षा कमजोर हो रही है। आपको बता दें कि ब्रिटेन की संयुक्त मानवाधिकार समिति में ब्रिटेन के संसद के विभिन्न दलों के सदस्य भी शामिल हैं। इस समिति का कार्य ब्रिटेन में मानवाधिकारों से संबंधित मामलों की जांच करना है।

India UK Tensions बढ़ते जा रहे हैं क्योंकि ब्रिटेन ने भारत को दमनकारी देशों की सूची में रखा, जबकि हाल ही में FTA समझौता हुआ था।
India UK Tensions बढ़ते जा रहे हैं क्योंकि ब्रिटेन ने भारत को दमनकारी देशों की सूची में रखा, जबकि हाल ही में FTA समझौता हुआ था।
भारत के साथ-साथ चीन और पाकिस्तान भी लिस्ट में शामिल

ब्रिटेन की मानव अधिकार समिति के द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में भारत के साथ-साथ इसके पड़ोसी देशों को भी शामिल किया गया है। इस रिपोर्ट में भारत के पड़ोसी मुल्क चीन और पाकिस्तान के साथ-साथ बहरीन, मिश्र, ईरान, सऊदी अरब, रूस जैसे देश शामिल है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया जा रहा है कि सुरक्षा एजेंसी के द्वारा उन मामलों की लगातार जांच की जा रही है जिनमें 2022 के बाद बड़ी मात्रा में वृद्धि दर्ज की गई है। जारी की गई रिपोर्ट में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि ब्रिटेन में लगातार विभिन्न देशों के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय दमन नीति को अपनाया जा रहा है। यह ब्रिटेन को कतई बर्दाश्त नहीं है।

खालिस्तान संगठन को लेकर भारत पर लगे आरोप

ब्रिटेन की मानवाधिकार समिति के द्वारा दमनकारी नीति का आरोप भारत पर लगाया गया है। भारत का हवाला देते हुए भारत का नाम खालिस्तान संगठन के साथ जोड़ा जा रहा है। भारत सिख फॉर जस्टिस से लगातार संपर्क में जुड़ा हुआ था। यह एक खालिस्तान समर्थक संगठन है। इस संगठन को भारत में गैरकानूनी संगठन घोषित किया जा चुका है। जारी की गई रिपोर्ट में इन देशों पर व्यवस्थित दुरुपयोग में शामिल होने का भी आरोप लगाया गया है। इन सभी देशों के आचरण को लेकर संदेह पैदा हो गया है जिससे इनकी मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

 

भारत और ब्रिटेन में हुई थी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट डील

ब्रिटेन की मानवाधिकार समिति के द्वारा भारत को दमनकारी नीति अपनाने वाले देशों की सूची में ऐसे समय में शामिल किया गया है जिससे कुछ दिन पहले ही भारतीय प्रधानमंत्री के द्वारा ब्रिटेन का दौरा किया गया था। भारतीय प्रधानमंत्री ने अपने इस दौरे के दौरान ब्रिटेन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट समझौते को फाइनल किया था। दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर लंबे समय से बातचीत चल रही थी। लगभग 3 साल बाद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के साथ यह समझौता संभव हो पाया था। दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट डील हो जाने के बाद लगाए जाने वाले टैरिफ बिल्कुल समाप्त या बहुत कम हो जाएंगे।

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