US India Tariff पर जॉन ने ट्रंप की 50% टैरिफ नीति को भारी भूल बताया, कहा इससे भारत अमेरिका से दूर होकर रूस और चीन के करीब जा रहा है।

ट्रंप की धमकी के बाद अमेरिका से तेल खरीद में भारत ने की वृद्धि

India US OilTrade : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा हाल ही में भारत पर बड़ी मात्रा में टैरिफ लगाने की घोषणा की गई थी। अमेरिका के राष्ट्रपति ने टेरिफ के साथ-साथ भारत पर जुर्माना लगाने का भी ऐलान किया था। अब एक रोचक आंकड़ा सामने आया है। अमेरिका के द्वारा बड़ी मात्रा में टैरिफ लगाने और रूस के साथ व्यापार करने पर जुर्माना लगाने की बात कहने के बाद भारत ने अमेरिका से बड़ी मात्रा में तेल खरीद पर वृद्धि दर्ज की है। बताया जा रहा है कि भारत और अमेरिका के बीच कच्चे तेल की खरीद टैरिफ का ऐलान होने के बाद लगभग दो गुनी हो गई है। सालाना आधार पर अप्रैल जून तिमाही में 114 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। भारत के द्वारा अमेरिका से 2024 में अप्रैल से जून के बीच 15000 करोड रुपए का तेल खरीदा गया था। जबकि अप्रैल से जून 2025 के बीच यह आंकड़ा लगभग दोगुना हो गया है। इस दौरान भारत के द्वारा अमेरिका से ₹32000 करोड रुपए का तेल खरीदा गया। एक न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक दी गई जानकारी से यह सामने आ रहा है।

ट्रंप के कार्यकाल में बढ़ा तेल व्यापार

अमेरिका में सरकार बदल जाने के साथ ही उसका असर भारत और दूसरे देशों पर दिखाई देने लगा। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के बाद भारत के द्वारा अमेरिका से तेल खरीद बड़ी मात्रा में बढ़ा दी गई है। 2024 में भारत के द्वारा अमेरिका से जनवरी से जून के बीच 1.8 लाख बैरल कच्चा तेल रोजाना खरीदा जाता था लेकिन जनवरी से जून 2025 में यह मात्रा बढ़ाकर 2.7 लाख बैरल तक पहुंच गई है। भारत के द्वारा किए जाने वाले कुल तेल आयात में अमेरिका की हिस्सेदारी भी बढ़ गई है। अमेरिका की हिस्सेदारी पहले 3% तक सीमित थी जो अब बढ़े हुए व्यापार में 8% तक पहुंच गई है। जून और जुलाई के महीने में ही भारत और अमेरिका के बीच हुए तेल व्यापार में लगभग 23% से ज्यादा का अंतर दिखाई दे रहा है।

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा बार-बार भारत को रूस से व्यापार करने को लेकर धमकी दी जा रही है। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाने के साथ-साथ जुर्माना लगाने की भी घोषणा की गई थी। अमेरिका के राष्ट्रपति का आरोप है कि भारत के द्वारा रूस और यूक्रेन के बीच जंग चलने के बावजूद रूस से व्यापार किया जा रहा है। इसके बाद अमेरिका के राष्ट्रपति ने यह बयान दिया था कि हमने यह सुना है कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर रहा है लेकिन भारत के द्वारा यह स्पष्ट कर दिया गया है कि वह अमेरिका के दबाव में झुकेगा नहीं। भारतीय विदेश मंत्रालय के द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक अमेरिका के द्वारा किए गए दावों को नकार दिया गया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि बाजार में उपलब्ध चीज और दुनिया में चल रहे हालातो को देखते हुए भारत फैसला लेता है।

 

भारत -अमेरिका के रक्षा संबंध मजबूत : विदेश मंत्रालय

विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जायसवाल ने भारत और अमेरिका के बीच चल रही तनातनी के बावजूद भारत और अमेरिका के रक्षा संबंधों को मजबूत बताए हैं। उन्होंने कहा कि भारत की रक्षा नीति पूरी तरह से रणनीति की जरूरत और राष्ट्रीय सुरक्षा पर आधारित है। भारतीय विदेश मंत्रालय के तरफ से यह बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हाल ही में लोकसभा में सरकार के द्वारा यह स्पष्ट कर दिया गया था कि भारत अमेरिका से f-35 लड़ाकू विमान की खरीद को लेकर कोई चर्चा नहीं कर रहा है। भविष्य में पाकिस्तान से तेल खरीदने को लेकर रणधीर जायसवाल की तरफ से कुछ भी कहने से इनकार कर दिया गया।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ तेल डील होने के बाद कहा था कि भविष्य में पाकिस्तान भारत को तेल बेच सकता है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ईरान के साथ व्यापार पर कहा है कि भारतीय कंपनियां लगातार अमेरिकी प्रतिबंधों की समीक्षा करते हुए कदम बढ़ा रही है। अमेरिका के द्वारा बनाये जा रहे दबाव के बावजूद भारत के द्वारा विभिन्न कंपनियों को रूस से तेल की खरीद बंद नहीं करने की सलाह दी गई है। थिंक टैंक के मुताबिक रूस से खरीदे जा रहे तेल की वजह से भारत में महंगाई को काबू रखने में काफी सहायता मिलेगी।

India US OilTrade: ट्रंप के टैरिफ और रूस से व्यापार पर आपत्ति के बावजूद भारत ने अमेरिका से तेल खरीद को दोगुना किया, विदेश मंत्रालय का बयान।
India US OilTrade  : ट्रंप के टैरिफ और रूस से व्यापार पर आपत्ति के बावजूद भारत ने अमेरिका से तेल खरीद को दोगुना किया, विदेश मंत्रालय का बयान।
भारत बोला जारी है रूस से तेल की खरीद

अमेरिका के द्वारा बार-बार भारत पर दबाव बनाने के बावजूद भारत के द्वारा यह स्पष्ट कर दिया गया है कि रूस से तेल वह अपनी आवश्यकता के अनुरूप खरीदेगा। भारतीय कंपनियों के द्वारा लगातार अभी भी रूस से तेल की खरीद की जा रही है। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के द्वारा दिए गए जानकारी के मुताबिक तेल खरीदने या नहीं खरीदने का फैसला आर्थिक कारणों पर आधारित होता है जिसमें व्यावसायिक, जरुरी लॉजिस्टिक सुविधा, कीमत, मौजूद भंडार और तेल की कीमत शामिल है। रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उत्पादक और निर्यातक देश है। भारत के द्वारा अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करते हुए अपने ऊर्जा स्रोतों की पूर्ति के तहत एक रणनीतिक रूप से रूस से तेल की खरीदारी की जा रही है ताकि लंबे समय तक यह सस्ती और भरोसेमंद आपूर्ति बनी रहे।

 

तेल खरीदने पर नहीं अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध -भारत

एक तरफ अमेरिका के द्वारा रूस से व्यापार करने के कारण भारत पर जुर्माना लगाने की घोषणा की जा चुकी है। वहीं दूसरी तरफ भारत का कहना है कि रूस के साथ तेल खरीदने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। यूरोपीय यूनियन और जी सेवन ग्रुप के सदस्य देशों के द्वारा कीमत पर एक सीमा जरूर तय की गई है ताकि इस से रूस को और ज्यादा आय प्राप्त न हो। दूसरी तरफ उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि दुनिया की तेल सप्लाई प्रभावित नहीं होनी चाहिए। भारत के द्वारा हमेशा इन नियमों का पालन किया गया है। अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करते हुए ही भारत के द्वारा रूस से तेल खरीदा गया है।

 

रिपोर्ट्स में किया गया था रूस से तेल खरीद बंद होने का दावा

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान आने से पहले रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि भारत के द्वारा अमेरिका के दबाव के कारण रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया गया है। साथ ही साथ रिपोर्ट में कीमत बढ़ने को भी एक कारण माना गया था लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय के द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट हो गया है कि यह झूठी रिपोर्ट है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल के मुताबिक भारत अपनी तेल और गैस की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सब कुछ स्पष्ट कर चुका है। दुनिया में वर्तमान हालात और बाजार में उपलब्ध वस्तुओं को ध्यान में रखते हुए ही भारत के द्वारा फैसले लिए जा रहे हैं।

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