India US Tariff : रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच लगातार वैश्विक स्तर पर एक दूसरे देशों का सहयोग बदलता हुआ देखा जा रहा है। कभी एक दूसरे के करीब रहे भारत और अमेरिका के बीच लगातार दूरी बढ़ती जा रही है। अमेरिका के द्वारा भारत पर 50% टैरिफ की घोषणा भी की जा चुकी है।अमेरिका के द्वारा लगाए गए टैरिफ में 25% टैरिफ के साथ 25% टैरिफ जुर्माने के रूप में अतिरिक्त लगाया गया है। भारत पर लगाया गया यह अतिरिक्त टैरिफ रूस के साथ कच्चे तेल के व्यापार को लेकर है लेकिन भारत अमेरिका के सामने झुकने को तैयार नहीं है। पिछले कुछ समय में भारत ने रूस से तेल खरीद में थोड़ी धीमी गति दिखाई थी लेकिन अब एक बार फिर भारत की तेल कंपनियों ने रूस से कच्चा तेल खरीदना शुरू कर दिया है। ऐसे में यह अमेरिका के लिए बड़ा झटका है। अमेरिका के द्वारा बनाए जा रहे दबाव के बावजूद भारत लगातार अपने स्तर पर रूस से व्यापार कर रहा है। अमेरिका के द्वारा लगाए गए टैरिफ के कारण अगस्त के महीने में भारत के द्वारा रूस से तेल खरीद कम कर दी गई थी।
रूस से होती है भारत को सबसे ज्यादा तेल सप्लाई
भारत बड़ी मात्रा में कच्चे तेल का व्यापार रूस के साथ करता है। रूस के द्वारा सबसे अधिक मात्रा में भारत को तेल सप्लाई की जाती है। अमेरिका का आरोप है की भारत के द्वारा रूस से सस्ते दामों में तेल खरीदा जाता है। इसके बाद इसको रिफाइन करने के उपरांत दुनिया के दूसरे देशों को बड़े स्तर पर महंगे भाव में बेचा जाता है। इस तरह भारत कच्चे तेल के व्यापार में मुनाफाखोरी कर रहा है। एक बार फिर रूस के साथ तेल खरीद शुरू होने के बाद भारतीय कंपनियों को रूस के द्वारा बड़ी छूट दी जा रही है।
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अमेरिका के वित्त मंत्री ने भारत को बताया ‘बुरा खिलाड़ी’
रूस यूक्रेन युद्ध टैरिफ तथा विभिन्न करने से लगातार भारत और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिका का आरोप है कि भारत के द्वारा रूस से कच्चे तेल की खरीद की जा रही है। इससे रूस को आर्थिक मदद प्राप्त हो रही है जिसका उपयोग रूस के द्वारा यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में किया जा रहा है। अमेरिका के वित्त मंत्री ने भारत को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि भारत बड़ा खिलाड़ी है। अमेरिका के वित्त मंत्री ने कच्चे तेल की खरीद पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि ऐसा करने से युद्ध मशीन को और ताकत प्रदान हो रही है। चीन में आयोजित हो रही शंघाई सहयोग संगठन की बैठक को उन्होंने दिखावा बताया। शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति के साथ-साथ पुतिन की जुगलबंदी की चारों तरफ चर्चा हो रही है। चीन रूस तथा भारत के एक साथ आने के कारण अमेरिका को अब डर सताने लगा है। अमेरिका के वित्त मंत्री ने यह भी कहा है कि भारत एक मजबूत लोकतंत्र है। अमेरिका के साथ चल रहे विवादों को आपस में सुलझाया जा सकता है।
धीमी बातचीत के कारण भारत पर लगा टैरिफ
अमेरिका के वित्त मंत्री ने भारत पर लगाए गए टैरिफ पर बयान देते हुए कहा कि भारत के द्वारा बातचीत में सक्रियता नहीं दिखाई गई। भारत लगातार सुस्त रवैया अपनाए हुए हैं। समय पर समझौता नहीं होने के कारण अमेरिका के द्वारा भारत द्वारा टैरिफ लगाया गया है। अमेरिका के द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाने के साथ-साथ 25% अतिरिक्त टैरिफ की घोषणा की जा चुकी है। भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय तक व्यापार समझौते को लेकर चर्चा होने के बावजूद समझौता नहीं हो सका। इसके बाद लगातार भारत और अमेरिका के बीच तनाव जारी है। भारत अब अमेरिका की बजाय चीन तथा रूस के साथ व्यापार करने पर जोर दे रहा है।

‘तेल खरीद से रूस को मिल रहा पैसा’
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड सलाहकार ने कहा कि यूक्रेन युद्ध के बाद भारत के द्वारा बड़े स्तर पर रूस से व्यापार किया जा रहा है। कच्चे तेल की खरीद करते हुए भारतीय कंपनियों के द्वारा उसे रिफाइन करने के बाद महंगे दाम पर बेचा जा रहा है। इस तरह युद्ध में रूस को आर्थिक समर्थन मिल रहा है। दूसरी तरफ भारत लगातार मुनाफा कमा रहा है। भारत अमेरिका को सामान बेचकर जो पैसा मिलता है उस से रूसी तेल खरीदने का कार्य कर रहा है। उन्होंने बड़ा दावा किया कि रूस और यूक्रेन युद्ध में शांति का रास्ता भारत से होकर गुजरता है। अगर देखा जाए तो भारत को रूस के तेल की आवश्यकता नहीं है लेकिन मुनाफा कमाने के कारण भारत के द्वारा ऐसा किया जा रहा है।
रूस की सुरक्षा सबसे जरूरी -पुतिन
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मुलाकात के बाद रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि रूस के लिए रूस की सुरक्षा सबसे पहले है। पुतिन इससे पहले भी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर अपना मत स्पष्ट कर चुके हैं। उन्होंने आने वाले समय में होने वाली मीटिंग को रूस के मास्को में आयोजित करने का सुझाव दिया। रूस और अमेरिका के राष्ट्रपति प्रेस कांफ्रेंस करने के कुछ समय पश्चात ही तुरंत मंच से रवाना हो गए।