Iran Deportation Drive : ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष विराम हो जाने के बाद ईरान के द्वारा प्रवासियों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। इजराइल से पैदा हुए तनाव के खत्म होने के बाद इस कार्रवाई में ईरान के द्वारा तेजी लाई गई है। ईरान का आरोप है कि इन लोगों के द्वारा ईरान इजरायल संघर्ष के दौरान जासूसी की गई थी। ईरान के द्वारा इसराइल से संघर्ष रुकने के बाद मात्र 16 दिनों में अफगान के 5 लाख से भी ज्यादा नागरिकों को अपने देश से निकाल दिया गया है। प्रवासी नागरिकों के ऊपर हुई यह कार्रवाई 24 जून से 9 जुलाई तक की गई है।
रोज 30000 नागरिकों को देश से निकाला
ईरान के द्वारा प्रवासी नागरिकों को लेकर की जा रही कार्रवाई बड़े स्तर पर की जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक 24 जून से 9 जुलाई के बीच ईरान के द्वारा 30000 से भी अधिक अफगानिस्तान नागरिकों को ईरान से निकला गया। ईरान के द्वारा मार्च 2025 में यह ऐलान कर दिया गया था कि 6 जुलाई तक अवैध रूप से रह रहे अफगान लोग देश छोड़ दें। अगर उनके द्वारा देश नहीं छोड़ा गया तो उन्हें जबरन ईरान से निकल जाएगा। इसके बाद ईरान ने 24 जून से 9 जुलाई के बीच इस कार्रवाई को अंजाम दिया।
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संयुक्त राष्ट्र ने बताई दशक की सबसे बड़ी जबरन निकासी
ईरान के द्वारा 5 लाख से भी ज्यादा अफगानी नागरिकों को अपने देश से निकालने के ऊपर संयुक्त राष्ट्र के द्वारा बयान दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि ईरान के द्वारा की गई यह कार्रवाई दशक की सबसे बड़ी जबरन निकासी है। ईरान के द्वारा इसराइल और अमेरिका से तनाव होने के बाद आंतरिक सुरक्षा के तहत यह कदम उठाए जा रहे हैं। ईरान का मानना है कि अवैध प्रवासियों से देश को खतरा है और आंतरिक सुरक्षा को चुनौती मिलती है। ईरान के द्वारा अफगानी नागरिकों पर जासूसी का आरोप लगाया गया था लेकिन अभी तक जासूसी को लेकर किसी भी तरह के पुख्ता आरोप सामने नहीं आए हैं।

12 दिन चला था ईरान इजरायल संघर्ष
ईरान और इजरायल के बीच पिछले समय तनाव पैदा हो गया था। दोनों देशों के बीच पैदा हुआ तनाव बाद में संघर्ष में बदल गया था। इजरायल के द्वारा ईरान पर हमले करने के बाद दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति पैदा हो गई थी। 12 दिनों तक संघर्ष चलने के बाद ईरान और इसराइल संघर्ष विराम पर सहमत हुए थे लेकिन इस दौरान ईरान के हमलो में इजरायल के 28 नागरिक मारे गए थे जबकि इजरायल के द्वारा किए गए हमले में ईरान के 600 से भी अधिक नागरिक मौत का शिकार हुए थे। ईरान के ऊपर इसराइल और अमेरिका का आरोप था कि वह परमाणु हथियार बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है। इजराइल और अमेरिका किसी भी हालत में ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाना देना चाहते थे। यही कारण है कि अमेरिका के द्वारा भी इस युद्ध में भाग लिया गया। अमेरिका के द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया गया। इसके बावजूद ईरान का दावा है कि उसके परमाणु भंडार पूरी तरह सुरक्षित है और वह आने वाले समय में अपने परमाणु परीक्षण कार्यक्रम को लगातार जारी रखेगा।
संघर्ष के दौरान व्हाट्सएप बैन किया था ईरान ने
बड़े स्तर पर अफगानी नागरिकों को अपने देश से निकालने की कार्रवाई ईरान के द्वारा की जा रही है। ईरान का आरोप है कि अफगानी नागरिकों के द्वारा ईरान में जासूसी की जाती है। जिस से देश की आंतरिक सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है। कुछ टीवी चैनलों पर अफगानी नागरिकों को इस बात को स्वीकार करते हुए भी देखा जा सकता है। हालांकि अफगानी लोगों का कहना है कि उनके ऊपर दबाव देकर यह बात स्वीकार कराई गई है। इसके अतिरिक्त इसराइल और ईरान के बीच पैदा हुए संघर्ष के समय भी ईरान ने व्हाट्सएप पर पाबंदी लगा दी थी। ईरान का कहना था कि व्हाट्सएप के जरिए इजरायल महत्वपूर्ण सूचनाओं प्राप्त कर रहा है। व्हाट्सएप तथा इंटरनेट पर ईरान ने संघर्ष के दौरान पाबंदी लगा दी थी। हालांकि व्हाट्सएप के द्वारा ईरान के द्वारा लगाए गए इन आरोन को खारिज कर दिया गया था।
अमेरिका ने भी लिया था युद्ध में भाग
परमाणु परीक्षण को लेकर पैदा हुए तनाव में ईरान और इजरायल के साथ-साथ अमेरिका ने भी भाग लिया था। अमेरिका ने ईरान को बार-बार चेतावनी दी थी कि यदि उसने परमाणु हथियार बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए तो उसे इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। अमेरिका के द्वारा चेतावनी देने के बावजूद ईरान ने परमाणु परीक्षण प्रोग्राम रोकने से इनकार कर दिया था जिसके बाद अमेरिका के द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया गया था। ईरान के द्वारा संघर्ष के दौरान अमेरिका के साथ परमाणु बातचीत को रद्द कर दिया गया था। ईरान ने अमेरिका के साथ होने वाली परमाणु बातचीत को रद्द करने के साथ-साथ भविष्य में भी अमेरिका के साथ परमाणु बातचीत नहीं करने की बात कही थी।