Iran Israel Ceasefire: ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय चला संघर्ष अब रुक गया है। संघर्ष विराम हो जाने के बाद ईरान इजरायल और अमेरिका तीनों ही अलग-अलग बयान देते हुए इस युद्ध का विश्लेषण कर रहे हैं। एक तरफ अमेरिका और इजराइल का मानना है कि उसने ईरान के परमाणु ठिकानों को नष्ट कर दिया जबकि दूसरी तरफ ईरान के सुप्रीम लीडर खमनोई का कहना है कि इस जंग में ईरान ने अमेरिका के चेहरे पर जोरदार तमाचा जड़ा है। अमेरिका को हमले करने के बावजूद कोई लाभ प्राप्त नहीं हुआ।
ईरान के लोगों को सुप्रीम लीडर ने दी जीत की बधाई
ईरान की सुप्रीम लीडर खमनोई के द्वारा ईरान के लोगों को इसराइल पर जीत की बधाई दी गई। सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए ईरान के सुप्रीम लीडर ने कहा कि ईरान के लोगों को इजरायल की झूठी सरकार पर जीत के लिए बधाई। ईरान के द्वारा किए गए हमले से इसराइल को कुचल दिया गया। इजराइल इन हमलों में धराशाई हो गया। ईरान के सुप्रीम लीडर के द्वारा इसराइल पर निशाना सादा गया। ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष हो जाने के बाद ईरान के सुप्रीम लीडर के द्वारा ईरान के लोगों को जीत की बधाई दी गई है। आपको बता दें कि कुछ समय पहले ही ईरान में इसराइल पर जीत का जश्न भी मनाया गया था। ईरान की राजधानी तेहरान में एक बड़े लोगों के समूह के बीच यह जश्न मनाया गया था।
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हमले से अमेरिका को कुछ हासिल नहीं सुप्रीम लीडर
ईरान के सुप्रीम लीडर के द्वारा अमेरिका को लेकर भी पोस्ट में जिक्र किया गया। उन्होंने कहा कि अमेरिका ईरान और इजरायल के बीच चल रही जंग में इसलिए कूदा क्योंकि अमेरिका को डर था यदि वह इस युद्ध में शामिल नहीं हुआ तो इसराइल पूरी तरह से खत्म हो सकता है। ईरान पर हमला करने के बावजूद अमेरिका को कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के चेहरे पर ईरान के द्वारा जोरदार तमाचा मारा गया है।
अमेरिका के द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों को नष्ट करने की पूरी कोशिश की गई लेकिन इसके बावजूद ईरान के परमाणु ठिकानों को बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। मिडिल ईस्ट में अमेरिका के प्रमुख ठिकानों पर ईरान के द्वारा हमला किया गया जिससे अमेरिका के एयर बेस को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि ईरान की पहुंच अमेरिका के मिडिल ईस्ट ठिकानों तक है। यदि अमेरिका के द्वारा किसी भी प्रकार का हमला किया गया तो दुश्मन को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
संघर्ष में अंडरग्राउंड थे ईरान के सुप्रीम लीडर
ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष शुरू होने के बाद से ही ईरान के सुप्रीम लीडर खामनोई गुप्त स्थान पर चले गए थे। यह अंदेशा जताया जा रहा था कि अमेरिका और इजरायल के द्वारा ईरान के सुप्रीम लीडर को निशाना बनाते हुए मौत के घाट उतारा जा सकता है। इसी को देखते हुए ईरान के सुप्रीम लीडर को अंडरग्राउंड किया गया था। ईरान के सुप्रीम लीडर ने अपनी मौत होने की स्थिति में नए सुप्रीम लीडर का चयन करने के लिए अपने उत्तराधिकारियों के नाम की भी घोषणा कर दी थी। इसराइल के द्वारा किए गए हमले में ईरान के कई बड़े वैज्ञानिक और सैन्य अधिकारी मारे जा चुके थे। ऐसे में ईरान के सुप्रीम लीडर को भी अमेरिका और इजरायल के द्वारा निशाना बनाया जा सकता था।

12 दिन तक चला था संघर्ष
ईरान और इजरायल के बीच पैदा हुआ तनाव युद्ध में बदल गया था। दोनों ही देश के बीच 12 दिनों तक जंग के हालात बने रहे थे। ईरान के द्वारा लड़ाकू विमान मिसाइल तथा अन्य हथियारों से इसराइल पर हमला किया गया जबकि इसराइल ने भी ईरान पर बड़ी मात्रा में हमले किये है। दोनों ही देश के द्वारा किए गए वार पलटवार में बड़ी मात्रा में नुकसान पहुंचा है।
बताया जाता है कि ईरान और इजरायल के संघर्ष में इजरायल के लगभग 30 नागरिक मौत का शिकार हुए जबकि हजारों की संख्या में लोग घायल हैं। तो वहीं दूसरी तरफ इसराइल के हमले में ईरान में 600 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि हजारों की संख्या में लोग घायल बताए जा रहे हैं। ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध में अमेरिका भी अंतिम समय में शामिल हो गया था। अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाते हुए नष्ट करने की बात कही थी। हालांकि ईरान ने अमेरिका की बात को झूठ बताया है और उन्होंने कहा कि अमेरिकी हमले के बावजूद ईरान के सभी परमाणु ठिकाने सुरक्षित हैं।
परमाणु परीक्षण जारी रखेगा ईरान
ईरान और इजरायल के बीच इस युद्ध की शुरुआत ईरान के द्वारा परमाणु हथियार बनाने की दिशा में बढ़ाये जा रहे कदमों को माना जा रहा है। इसी कारण अमेरिका के द्वारा भी ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया था। लेकिन इसके बावजूद ईरान इजरायल और अमेरिका के दबाव में परमाणु समझौता करने को तैयार नहीं है। ईरान ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि संघर्ष विराम हो जाने के बाद भी वह अपने परमाणु परीक्षण कार्यक्रम को जारी रखेगा। दूसरी तरफ अमेरिका और इजराइल का मानना है कि उनके द्वारा किए गए हमले में ईरान को बड़ी मात्रा में नुकसान हुआ है। और ईरान के परमाणु परीक्षण कार्यक्रम में बहुत देरी हो गई है जबकि ईरान का मानना है कि अमेरिका के हमले के बावजूद उसके परमाणु ठिकानों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा है और उसके परमाणु परीक्षण कार्यक्रम पर कुछ ही महीनो का असर दिखाई देगा।