Iran Israel Conflict : ईरान और इजरायल के बीच चले संघर्ष का असर अभी भी दिखाई दे रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायल के प्रधानमंत्री के खिलाफ ईरान में फतवा जारी किया गया है। ईरान में फतवा ईरान के सबसे सीनियर शिया धर्म गुरु के द्वारा जारी किया गया है। ईरान के सबसे सीनियर शिया धर्म गुरु ने अमेरिका के राष्ट्रपति और इजरायल के प्रधानमंत्री को अल्लाह का सबसे बड़ा दुश्मन बताया है।
मुसलमानो से एकजुट होने की मांग
ईरान के सबसे सीनियर शिया धर्म गुरु के द्वारा इजराइल के प्रधानमंत्री और अमेरिका के राष्ट्रपति के खिलाफ फतवा जारी करने के साथ-साथ मुसलमानो से एकता की अपील की गई है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया के मुसलमान एकजुट होकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायल के प्रधानमंत्री को ईरान पर किए गए हमले के लिए पछताने पर मजबूर कर दें। उन्होंने यह भी कहा कि जिसके द्वारा भी ईरान के सुप्रीम लीडर या किसी मरजा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जाएगी तो वह जंग का अपराधी होगा।
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मरजा की तरफ से जारी होता है फतवा
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायल के प्रधानमंत्री के खिलाफ ईरान के सबसे बड़े शिया धर्मगुरु के द्वारा फतवा जारी कर देने के बाद ईरान की इसराइल और अमेरिका के साथ प्रतिद्व्न्दिता उजागर हुई है। आपको बता दें कि फतवा मरजा की तरफ से जारी किया जाता है। इस्लामी कानून में फतवा का मतलब होता है कानून की व्याख्या। मुसलमान में सबसे उंचे धार्मिक पद के रूप में मरजा को माना जाता है।
हमला हुआ तो देंगे मुंह तोड़ जवाब ईरान
परमाणु परीक्षण को लेकर आमने-सामने हुए ईरान और इजरायल के बीच फिलहाल संघर्ष विराम हो गया है लेकिन दोनों ही देश के द्वारा एक दूसरे पर हमले का अंदेशा जताया जा रहा है। ईरान के चीफ ऑफ स्टाफ के द्वारा इजराइल की मनसा पर शक जताते हुए कहा कि हमें इसराइल के साथ हुए युद्ध विराम पर शक है। उन्होंने कहा कि यदि भविष्य में इजरायल के द्वारा हमला किया गया तो हम उनका मुंह तोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं। ईरान के चीफ ऑफ स्टाफ ने यह बात सऊदी रक्षा मंत्री से हुई फोन पर बातचीत में कही है।
परमाणु वार्ता के समय इजराइल ने किया हमला
ईरान के चीफ ऑफ स्टाफ का कहना है कि इजरायल के द्वारा ईरान पर ऐसे समय पर हमला किया गया था जब ईरान अमेरिका के साथ परमाणु बातचीत कर रहा था। इसराइल के द्वारा किए गए हमले में अमेरिका ने भी इजराइल का साथ दिया। इससे यह स्पष्ट तौर पर पता चलता है कि अंतरराष्ट्रीय नियम कानून का पालन अमेरिका और इसराइल दोनों ही देश के द्वारा नहीं किया जाता है।

दुश्मन को दिया पूरी ताकत से जवाब
ईरान के चीफ ऑफ स्टाफ ने अपने बयान में बताया कि इसराइल के द्वारा अचानक किए गए हमले से ईरान के सामने संकट खड़ा हो गया था लेकिन ईरान ने भी अमेरिका और इसराइल को पूरी ताकत से जवाब देने की कोशिश की। उन्होंने कहा की जंग भले ही हमने शुरू नहीं की हो लेकिन दुश्मन देश को जवाब देने में हमारे द्वारा कोई कसर नहीं छोड़ी गई और यदि भविष्य में इसराइल या अमेरिका के द्वारा ईरान पर गलत दृष्टि से देखा गया तो ईरान मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है। इसी के साथ ईरान पहले यह स्पष्ट कर चुका है कि यदि अमेरिका को ईरान के साथ परमाणु बातचीत करनी है तो उसे ईरान के सुप्रीम लीडर के लिए सम्मानजनक भाषा का उपयोग करना होगा। ईरान के सुप्रीम लीडर तथा ईरान की जनता के अपमान करने की स्थिति में ईरान के द्वारा अमेरिका से परमाणु बातचीत नहीं की जाएगी।
24 जून को हुआ था सीजफायर
ईरान और इजरायल के बीच परमाणु परीक्षण को लेकर संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई थी। दोनों ही देश एक दूसरे के आमने-सामने हो गए थे। ड्रोन मिसाइल तथा लड़ाकू विमान का उपयोग करते हुए एक दूसरे पर हमले किए थे। अमेरिका भी इस युद्ध में शामिल हो गया था। अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की थी। बताया जाता है कि दोनों देशों के बीच चले इस संघर्ष में इजरायल के 28 नागरिक मारे गए जबकि ईरान के 600 से भी अधिक नागरिक मौत का शिकार हुए दोनों देशों के बीच 12 दिन चला। यह संघर्ष अंत में 24 जून को सीज फायर पर सहमति बनने के साथ खत्म हुआ था।
अमेरिकी हमले से नुकसान पर असमंजस
अमेरिका के द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया था लेकिन अमेरिका के हमले में ईरान के परमाणु ठिकानों को कितना नुकसान हुआ इस पर अभी भी असमंजस बना हुआ है। एक तरफ अमेरिका और इजराइल का कहना है कि उसने ईरान के परमाणु ठिकानों को पूरी तरह नष्ट कर दिया जबकि ईरान कह रहा है कि अमेरिकी हमले के बावजूद उसके परमाणु ठिकाने पूरी तरह सुरक्षित है। और कुछ ही समय में वह एक बार फिर परमाणु परीक्षण शुरू कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय एटॉमिक एनर्जी एजेंसी के द्वारा भी ईरान के परमाणु ठिकानों को लेकर स्पष्ट तौर पर जवाब नहीं दिया गया है।