Iran Israel Conflict के दौरान 16 जून को इजरायल के हमले में ईरान के राष्ट्रपति घायल हुए। गुप्त मीटिंग के दौरान हुआ मिसाइल अटैक।

 इजराइल के हमले में घायल हुए थे ईरान के राष्ट्रपति, कैबिनेट मीटिंग के दौरान हुआ था हमला

Iran Israel Conflict : ईरान और इजरायल के बीच पिछले दिनों काफी लंबे समय तक संघर्ष चला था। दोनों ही देशो के द्वारा एक दूसरे पर वार पलटवार किया गया था। लगभग 12 दिनों तक दोनों देशों के बीच संघर्ष की स्थिति बनी रही थी। 12 दिनों बाद दोनों देश संघर्ष विराम पर सहमत हुए थे। ईरान और इजरायल के द्वारा एक दूसरे पर किए गए हमले में दोनों ही देश को बड़े स्तर पर नुकसान हुआ था। ईरान के कई प्रमुख सेना अधिकारी और वैज्ञानिक इस हमले का शिकार हुए थे। अब रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि ईरान के राष्ट्रपति भी इजरायल के द्वारा किए गए हमले में घायल हुए थे। जिस वक्त इरान के राष्ट्रपति के द्वारा सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी कैबिनेट की बैठक ली जा रही थी उसी समय वहां पर इजरायल के द्वारा हमला किया गया।  इस हमले में ईरान के राष्ट्रपति घायल हो गए थे। ईरान की एक न्यूज़ एजेंसी के द्वारा यह जानकारी साझा की गई है।

16 जून को हमले में राष्ट्रपति हुए थे घायल

ईरान और इजरायल के बीच लगभग 12 दिनों तक युद्ध की स्थिति बनी रही थी। 16 जून को इसराइल के द्वारा ईरान के ऊपर किए गए हमले में ईरान के राष्ट्रपति घायल हुए थे। इजरायल के द्वारा किए गए हमले में घायल होने के बाद ईरान के राष्ट्रपति को सुरक्षित बाहर वहां से निकला गया था। इसराइल के द्वारा 16 जून को 6 मिसाइल से ईरान की एक इमारत पर हमला किया गया था। जिस वक्त ईरान के राष्ट्रपति के द्वारा सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी कैबिनेट की बैठक ली जा रही थी उस समय उनके साथ-साथ ईरान के कई महत्वपूर्ण अधिकारी भी इस बैठक में मौजूद थे। हमले के बाद सभी लोग ज्यादा प्रभावित नहीं हुए और इमरजेंसी गेट से उन सभी को वहां से निकाल दिया गया।

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1 अक्टूबर 2024 को भी हुआ था हमला

ईरान के राष्ट्रपति के ऊपर इसराइल और ईरान के बीच चले संघर्ष के दौरान हमला हुआ। इसके अतिरिक्त उनके ऊपर एक अक्टूबर 2024 को भी इजरायल के द्वारा हमला किया गया था। जिस समय उन पर हमला किया गया था वह हिज्बुल्ला के टॉप कमांडरों की बैठक ले रहे थे। उनकी यह बैठक एक सीक्रेट बंकर में आयोजित की जा रही थी। इजराइल को इस बात की भनक लगने के बाद मिसाइल के द्वारा हमला किया गया था। इजरायल की यह योजना थी कि बंकर से बाहर निकलने वाले सभी रास्तों और वेंटीलेशन को बंद करते हुए राष्ट्रपति को मौत के घाट उतारा जाए। यह बताया जा रहा है कि इजरायल की योजना ईरान के राष्ट्रपति की दम घोंटकर मौत करना था। इसराइल के द्वारा इमारत के आने जाने के रास्तों और वेंटिलेशन को निशाना बनाने के बाद इमरजेंसी गेट से राष्ट्रपति तथा दूसरे अधिकारियों को वहां से निकाला गया। यह भी बताया जा रहा है कि निकलते समय ईरान के राष्ट्रपति के पांव में चोट लगी थी।

इजराइल ने की थी हत्या करने की कोशिश

ईरान के राष्ट्रपति के द्वारा भी यह स्वीकार किया जा चुका है कि इजरायल के द्वारा उन्हें मारने की पूरी कोशिश की गई थी। 7 जुलाई को ईरान के राष्ट्रपति के द्वारा एक इंटरव्यू में यह बात कही गई थी। उन्होंने कहा कि इजरायल के द्वारा उन्हें मारने की कोशिश जरूर की गई लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाए। इसराइल के द्वारा उनके द्वारा जहां बैठक की जा रही थी उस जगह की जानकारी प्राप्त करते हुए हमला किया गया।

Iran Israel Conflict के दौरान 16 जून को इजरायल के हमले में ईरान के राष्ट्रपति घायल हुए। गुप्त मीटिंग के दौरान हुआ मिसाइल अटैक।
Iran Israel Conflict के दौरान 16 जून को इजरायल के हमले में ईरान के राष्ट्रपति घायल हुए। गुप्त मीटिंग के दौरान हुआ मिसाइल अटैक।
ईरान को जासूसी का शक

ईरान के राष्ट्रपति के गुप्त ठिकाने पर इजरायल के द्वारा हमले किए जाने के बाद ईरान को अंदेशा है कि इसराइल के लिए ईरान में जासूसी की जा रही थी। गुप्त जगह पर मौजूद होने के बावजूद इसराइल को ईरान के राष्ट्रपति की लोकेशन मिलना बड़ी बात थी। ईरान के अधिकारी लगातार इस जांच में लगे हुए हैं कि इसराइल को देश के आंतरिक मसलों की जानकारी इसराइल तक किसने पहुंचाई। ईरान के द्वारा लगातार अफगानी नागरिकों पर भी जासूसी का आरोप लगाया जा रहा था। इसके अतिरिक्त जंग के दौरान व्हाट्सएप तथा इंटरनेट पर भी ईरान ने पाबंदी लगा दी थी।

12 दिन चला था संघर्ष

ईरान और इजरायल के बीच पैदा हुआ तनाव युद्ध में बदल गया था। दोनों देशों के बीच 12 दिनों तक युद्ध की स्थिति बनी रही थी। ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध में अमेरिका भी शामिल हो गया था। अमेरिका के द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया था। ईरान का परमाणु परीक्षण खत्म करने के उद्देश्य से अमेरिका तथा इजरायल के द्वारा हमला किया गया। इसके बावजूद ईरान का यह दावा है कि उसके परमाणु परीक्षण कार्यक्रम को इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है।

12 दिनों तक दोनों देशों के बीच चले संघर्ष के बाद ईरान और इसराइल संघर्ष विराम पर सहमत हुए थे। इस दौरान दोनों ही देश में सैकड़ो लोगों की जान चली गई। दूसरी तरफ विभिन्न वैज्ञानिक तथा सेना के अधिकारी भी इस युद्ध में मौत का शिकार हुए। ईरान और इजरायल के बीच पैदा हुए इस तनाव का मुख्य कारण ईरान के परमाणु परीक्षण को माना जा रहा था। अमेरिका और इजराइल का आरोप था कि ईरान के द्वारा परमाणु हथियार बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है जबकि ईरान का कहना है कि उसका परमाणु परीक्षण ऊर्जा तथा शांति के क्षेत्र के लिए है।

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