Iran Israel Conflict : ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय से चल रहा तनाव युद्ध में बदल गया था। ईरान और इजरायल के बीच चला युद्ध 12 दिन बाद संघर्ष विराम पर खत्म हुआ। आज हम ईरान और इजरायल के बीच हुए संघर्ष की अहम वजह को जानने की कोशिश करेंगे। ईरान और इजरायल के बीच इस संघर्ष की मूल जड़ ईरान के द्वारा किए जा रहे परमाणु परीक्षण को माना जा रहा है। इजराइल और अमेरिका का आरोप है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है।
अमेरिका ने दी थी ईरान को न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी
8 दिसंबर 1953 के अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति के द्वारा महत्वपूर्ण घोषणा की गई थी। अमेरिका के राष्ट्रपति ने विभिन्न देशों को न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी देने की बात कही थी। अमेरिका का मानना था कि परमाणु हथियारों के लिए नहीं बल्कि ऊर्जा तथा दूसरे उपयोगो के लिए न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा सकता है। अमेरिका ने अपने सहयोगी देशों का सहयोग करने के लिए ईरान समेत कई देशों को न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी देने में मदद की थी।
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सोवियत रूस से तनाव के बीच अमेरिका ने बदली थी पॉलिसी
अमेरिका का उस समय सोवियत रूस के साथ लगातार तनाव जारी था। दोनों देशों के बीच चल रहे शीत युद्ध के बीच अमेरिका नहीं चाहता था कि कोई भी देश रूस से न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी ले। इसी कारण अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा अपने सहयोगी देशों को न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी देने की घोषणा की गई। अमेरिका के द्वारा किए गए इन समझोतो में अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया था कि उसके द्वारा दिए गए किसी भी उपकरण का उपयोग परमाणु बम बनाने के लिए नहीं किया जाएगा। अमेरिका के द्वारा ईरान को नवंबर 1967 में 5 मेगावाट का थर्मल रिएक्टर भी दिया गया।
ईरान कर चुका है परमाणु अप्रसार संधि पर साइन
ईरान के द्वारा परमाणु अप्रसार संधि पर पूर्व में ही साइन किए जा चुके हैं। 1 जुलाई 1968 को ईरान के द्वारा इस संधि पर साइन किए गए थे। इस संधि पर साइन करने का मतलब है कि कोई भी देश परमाणु हथियार बनाने के लिए न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी का उपयोग नहीं करेगा। ईरान के द्वारा अपने न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाने के लिए समय-समय पर वैज्ञानिकों को अमेरिका भेज जाता था। अमेरिका में ईरान के अतिरिक्त तुर्की ब्रिटेन और पाकिस्तान के साइंटिस्ट भी कार्य करते थे। ईरान के विभिन्न वैज्ञानिकों के द्वारा अमेरिका की न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी के बारे में अध्ययन करने के बाद ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम काफी तेज गति से आगे बढ़ा।
धीरे-धीरे परमाणु हथियार की तरफ बढ़ा ईरान
अमेरिका से मिली न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए ईरान लगातार इस क्षेत्र में आगे बढ़ता रहा। ईरान के द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में परमाणु परीक्षण को लेकर परमाणु संयंत्र स्थापित किए गए। इसके बाद जब दुनिया के विभिन्न देशों के द्वारा परमाणु हथियार बना लिए गए तो ईरान ने भी परमाणु हथियार बनाने का इरादा जाहिर किया। ईरान के द्वारा परमाणु हथियार बनाने की दिशा में लगातार कार्य किया जा रहा था। इसी कारण अमेरिका और इजरायल के साथ ईरान का तनाव पैदा हुआ। ईरान परमाणु हथियार तैयार करते हुए अमेरिका से अपनी निर्भरता को खत्म करना चाहता था। जबकि अमेरिका ऐसा होना नहीं देना चाहता क्योंकि ईरान के द्वारा परमाणु हथियार बना लेने की स्थिति में वह इसराइल और अमेरिका के लिए घातक साबित हो सकता था।

बदली परिस्थितियों में अमेरिका को करना पड़ा हमला
ईरान के द्वारा अमेरिका तथा दूसरे देशों के साथ परमाणु समझौता किए जाने के बाद भी लगातार परमाणु परीक्षण को आगे बढ़ाया जाता रहा है। ईरान के द्वारा लगातार परमाणु गतिविधियों को आगे बढ़ाने के कारण विभिन्न देशों के द्वारा ईरान पर व्यापार प्रतिबंध भी लगाए गए। इसके बावजूद ईरान के गुपचुप तरीके से परमाणु हथियार तैयार करने की खबर से अमेरिका चिंतित था। इसी कारण अमेरिका ने इसराइल को ईरान पर हमला करने के लिए तैयार किया। इसी के साथ-साथ अमेरिका के द्वारा भी ईरान के गुप्त परमाणु ठिकानों को नष्ट करने की कोशिश की गई।
ईरान और इजरायल के मध्य चला था 12 दिनसंघर्ष
ईरान के द्वारा परमाणु हथियार बनाए जाने की दिशा में कार्य करने का आरोप लगाते हुए इसराइल ने ईरान पर हमला शुरू कर दिया था।इसके बाद ईरान के द्वारा भी पलटवार किया गया था। ईरान और इजरायल के मध्य परमाणु परीक्षण को लेकर जारी हुआ तनाव 12 दिनों तक संघर्ष के रूप में चला था। अमेरिका के द्वारा भी ईरान और इजरायल के बीच जारी संघर्ष में भाग लेते हुए ईरान के गुप्त परमाणु ठिकानों पर निशाना किया गया था। इसके बाद दोनों ही देश संघर्ष विराम पर सहमत हुए थे।
अमेरिका और इसराइल किसी भी स्थिति में ईरान के पास परमाणु हथियार उपलब्ध नहीं होना देना चाहते हैं। ईरान के पास परमाणु हथियार उपलब्ध हो जाने की स्थिति में वह इसराइल और अमेरिका के ऊपर हावी हो सकता है। इसी स्थिति को देखते हुए इसराइल और अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों को पूरी तरह से नष्ट करने की पूरी कोशिश की है। इसके बावजूद ईरान के परमाणु ठिकाने सुरक्षित बताया जा रहे हैं। अमेरिकी वायु सेना के द्वारा हमले किए जाने के बावजूद ईरान के परमाणु ठिकानों पर उपलब्ध आवश्यक पदार्थ ईरान के द्वारा सफल तरीके से बचा लिया गए है।