Iran Refugee Crisis : ईरान और इजरायल के बीच तनाव पैदा हो जाने के बाद दोनों देश संघर्ष विराम पर सहमत हुए थे लेकिन इसके बाद ईरान के द्वारा शरणार्थियों को लेकर लगातार बड़ी कार्रवाई की जा रही है। संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी के मुताबिक ईरान के द्वारा लगातार। 30000 से भी अधिक शरणार्थी जबरन वापस भेजे जा रहे हैं। ईरान में जनवरी से लगातार शरणार्थियों की वापसी जारी है और यह बताया जा रहा है कि 14 लाख से ज्यादा अफगानी नागरिकों को ईरान के द्वारा जबरन निकाल दिया गया है। दोनों देशों के बीच युद्ध थम जाने के बाद से लगातार यह सिलसिला जारी है। ईरान का आरोप है कि इन विदेशी शरणार्थियों के द्वारा ईरान में जासूसी का कार्य किया जाता है। इसे देखते हुए ही ईरान के द्वारा यह कदम उठाए जा रहा है।
6 जुलाई तक का दिया गया था अल्टीमैटम
ईरान और इजरायल के बीच पैदा हुए तनाव के बाद ईरान ने अफगानी नागरिकों को अपने देश को छोड़ने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि 6 जुलाई तक अफगानी नागरिकों के द्वारा स्वेच्छा से ईरान को छोड़ा जा सकता है। जिसके बाद लगातार ईरान के द्वारा अफगानी शरणार्थियों को निकालने की कार्रवाई की जा रही है। युद्ध के बाद इस कार्रवाई में और भी तेजी देखने को मिली है। लगातार यह दावा किया जा रहा है कि ईरान में अफगान के शरणार्थियों के ऊपर अत्याचार हो रहे हैं और वैध दस्तावेज होने के बावजूद अफगानी नागरिकों को ईरान से निकलने का कार्य किया जा रहा है। जबरदस्ती दबाव बनाकर ईरान के नागरिकों से जासूसी करने की बात स्वीकार कराई जा रही है।
पहले वनडे मुकाबले में भारतीय महिलाओं ने इंग्लैंड को दी मात
मेरे साथ कुछ भी गलत होने पर सेना प्रमुख होंगे जिम्मेदार- इमरान
रूस से तेल खरीद पर बोला भारत- लोगों की ऊर्जा जरूरत को देंगे प्राथमिकता
संघर्ष के दौरान व्हाट्सएप बैन किया था ईरान ने
बड़े स्तर पर अफगानी नागरिकों को अपने देश से निकालने की कार्रवाई ईरान के द्वारा की जा रही है। ईरान का आरोप है कि अफगानी नागरिकों के द्वारा ईरान में जासूसी की जाती है। जिस से देश की आंतरिक सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है। कुछ टीवी चैनलों पर अफगानी नागरिकों को इस बात को स्वीकार करते हुए भी देखा जा सकता है। हालांकि अफगानी लोगों का कहना है कि उनके ऊपर दबाव देकर यह बात स्वीकार कराई गई है। इसके अतिरिक्त इसराइल और ईरान के बीच पैदा हुए संघर्ष के समय भी ईरान ने व्हाट्सएप पर पाबंदी लगा दी थी। ईरान का कहना था कि व्हाट्सएप के जरिए इजरायल महत्वपूर्ण सूचनाओं को प्राप्त कर रहा है। व्हाट्सएप तथा इंटरनेट पर ईरान ने संघर्ष के दौरान पाबंदी लगा दी थी। हालांकि व्हाट्सएप के द्वारा ईरान के द्वारा लगाए गए इन आरोपों को खारिज कर दिया गया था।

रोज 30000 नागरिकों को निकाला जा रहा
ईरान के द्वारा प्रवासी नागरिकों को लेकर की जा रही कार्रवाई बड़े स्तर पर की जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक 24 जून से 9 जुलाई के बीच ईरान के द्वारा 30000 से भी अधिक अफगानिस्तान नागरिकों को ईरान से निकाला गया। ईरान के द्वारा मार्च 2025 में यह ऐलान कर दिया गया था कि 6 जुलाई तक अवैध रूप से रह रहे अफगान लोग देश छोड़ दें। अगर उनके द्वारा देश नहीं छोड़ा गया तो उन्हें जबरन ईरान से निकाल दिया जाएगा। इसके बाद ईरान ने 24 जून से 9 जुलाई के बीच इस कार्रवाई को अंजाम दिया।
संयुक्त राष्ट्र ने बताई दशक की सबसे बड़ी जबरन निकासी
ईरान के द्वारा 14 लाख से भी ज्यादा अफगानी नागरिकों को अपने देश से निकालने के ऊपर संयुक्त राष्ट्र के द्वारा बयान दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि ईरान के द्वारा की गई यह कार्रवाई दशक की सबसे बड़ी जबरन निकासी है। ईरान के द्वारा इसराइल और अमेरिका से तनाव होने के बाद आंतरिक सुरक्षा के तहत यह कदम उठाए जा रहे हैं। ईरान का मानना है कि अवैध प्रवासियों से देश को खतरा है और आंतरिक सुरक्षा को चुनौती मिलती है। ईरान के द्वारा अफगानी नागरिकों पर जासूसी का आरोप लगाया गया था लेकिन अभी तक जासूसी को लेकर किसी भी तरह के पुख्ता आरोप सामने नहीं आए हैं।
12 दिन चला था ईरान इजरायल संघर्ष
ईरान और इजरायल के बीच पिछले समय तनाव पैदा हो गया था। दोनों देशों के बीच पैदा हुआ तनाव बाद में संघर्ष में बदल गया था। इजरायल के द्वारा ईरान पर हमले करने के बाद दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति पैदा हो गई थी। 12 दिनों तक संघर्ष चलने के बाद ईरान और इसराइल संघर्ष विराम पर सहमत हुए थे लेकिन इस दौरान ईरान के हमलो में इजरायल के 28 नागरिक मारे गए थे जबकि इजरायल के द्वारा किए गए हमले में ईरान के 600 से भी अधिक नागरिक मौत का शिकार हुए थे। ईरान के ऊपर इसराइल और अमेरिका का आरोप था कि वह परमाणु हथियार बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है। इजराइल और अमेरिका किसी भी हालत में ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाना देना चाहते थे। यही कारण है कि अमेरिका के द्वारा भी इस युद्ध में भाग लिया गया। अमेरिका के द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया गया। इसके बावजूद ईरान का दावा है कि उसके परमाणु भंडार पूरी तरह सुरक्षित है और वह आने वाले समय में अपने परमाणु परीक्षण कार्यक्रम को लगातार जारी रखेगा।