Iran US Airbase : ईरान और इजरायल के बीच पिछले दिनों तनाव पैदा हो गया था। दोनों देशों के बीच पैदा हुआ यह तनाव संघर्ष में बदल गया था। इस जंग में बाद में अमेरिका भी शामिल हो गया था। अमेरिका के द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया था। जिस पर पलटवार करते हुए ईरान ने अमेरिका के मिलिट्री एयरबेस को निशाना बनाया था। अमेरिका के द्वारा पहली बार यह स्वीकार किया गया है कि ईरान के द्वारा किए गए इस हमले में मिसाइल अमेरिकी एयरबेस पर गिरी थी। 22 जून को ईरान के द्वारा कतर में अमेरिका के मिलिट्री एयरवेज पर मिसाइल से हमला किया गया था। कतर के एयरबेस पर किए गए हमले के वीडियो फुटेज भी सामने आए थे। जिसमें बड़ी संख्या में बैलिस्टिक मिसाइल के द्वारा ईरान ने हमला किया था।
ईरान के हमले से हुआ हल्का नुकसान
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के द्वारा जारी किए गए बयान के मुताबिक ईरान के द्वारा मिलिट्री एयर बेस पर हमला करने से हल्का नुकसान हुआ था। बेस पर मौजूद ढांचे तथा सामान को इस हमले के कारण नुकसान पहुंचा था। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के द्वारा यह भी पुष्टि कर दी गई है कि इस हमले के बावजूद यह एयरबेस पूरी तरह सुरक्षित है और लगातार चालू है। अमेरिका लगातार अपने साझेदारों के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा मिशन में लगा हुआ है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के प्रवक्ता के द्वारा यह जानकारी दी गई है।
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पलटवार में किया था ईरान ने हमला
ईरान और इजरायल के बीच चले संघर्ष के बीच अमेरिका के द्वारा भी ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया था। इस हमले के बाद ईरान ने अमेरिका के एयर बेस को निशाना बनाया था। कतर में स्थित अमेरिका के अल उदिद एयरबेस पर ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइल से हमला किया था। ईरान के द्वारा इसी एयर बेस पर कुल 6 बैलिस्टिक मिसाइल छोड़ी गई थी। ईरान के द्वारा भी अमेरिका के एयर बेस पर किए गए हमले की पुष्टि की गई थी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी ईरान के द्वारा किए गए इस हमले की जानकारी दे चुके हैं। उन्होंने कहा था कि ईरान के द्वारा किए गए इस हमले में एयरबेस को मामूली नुकसान पहुंचा था।
ईरान के परमाणु ठिकानों को अमेरिका ने किया था तबाह
इजरायल और अमेरिका के द्वारा लगातार ईरान पर परमाणु हथियार नहीं बनाने को लेकर दबाव बनाया जा रहा था। इसके बावजूद ईरान अपने परमाणु परीक्षण को नहीं रोक रहा था। इसी के परिणाम स्वरुप ईरान और इजरायल के बीच युद्ध की स्थिति पैदा हो गई थी। दोनों देशों के बीच लगभग 12 दिनों तक संघर्ष की स्थिति बनी रही थी। इसी दौरान अमेरिका ने भी ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने की चेतावनी दी थी। ईरान के द्वारा अमेरिका की बात नहीं मानने पर अमेरिका ने b2 बॉम्बर्स विमान से ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया था। अमेरिका का दावा है कि उसके द्वारा किए गए हमले में ईरान के परमाणु ठिकाने पूरी तरह नष्ट हो गए थे। जबकि ईरान का कहना है कि अमेरिका के द्वारा हमला करने के बावजूद उसके परमाणु ठिकाने पूरी तरह सुरक्षित हैं। आने वाले समय में वह अपने परमाणु परीक्षण को जारी रखेगा।

12 दिन चला था संघर्ष
ईरान और इजरायल के बीच परमाणु परीक्षण को लेकर पैदा हुआ तनाव संघर्ष में बदल गया था। दोनों देशों के बीच 12 दिनों तक युद्ध की स्थिति बनी रही थी। ईरान और इसराइल दोनों ही देशो ने ड्रोन, मिसाइल तथा लड़ाकू विमानों का इस युद्ध में इस्तेमाल किया था। दोनों देशों के बीच चले इस युद्ध के कारण ईरान के 28 नागरिक मौत का शिकार हुए थे जबकि इजरायल के द्वारा किए गए हमले में ईरान के 600 से भी अधिक नागरिक मारे गए थे। इसराइल और अमेरिका का दावा है कि उनके द्वारा किए गए हमले के कारण ईरान का परमाणु परीक्षण बहुत पीछे चला गया है जबकि ईरान बार-बार यह दोहरा रहा है कि इन हमलों के बावजूद उसका परमाणु परीक्षण कार्यक्रम लगातार जारी रहेगा। इस परमाणु परीक्षण कार्यक्रम पर कुछ ही महीनो का असर होगा।
संघर्ष विराम पर सहमत हुए थे दोनों देश
ईरान और इजरायल के बीच युद्ध की स्थिति बन जाने के बाद दोनों देश संघर्ष विराम पर सहमत हुए थे। 12 दिनों तक युद्ध करने के बाद दोनों ही देश के द्वारा इस पर सहमति जताई गई थी। हालांकि युद्ध विराम की सहमति के कुछ घंटे बाद ही इसके उल्लंघन की खबर भी सामने आई थी लेकिन एक बार फिर दोनों देशों ने सहमति जताते हुए संघर्ष विराम किया था। ईरान और इजरायल के बीच चले संघर्ष के कारण दुनिया के विभिन्न देश भी दो भागों में बंटे हुए नजर आ रहे थे। कुछ देश इजराइल का समर्थन कर रहे थे जबकि ईरान के समर्थन में भी विभिन्न देशों के द्वारा बयान दिए गए थे।
इसराइल पर यह भी आरोप लगे थे कि वह खुद परमाणु हथियार संपन्न देश है। इसके बावजूद वह दूसरे देशों को परमाणु हथियार बनाने से रोक रहा है। ईरान और इजरायल के बीच यह तनाव भी परमाणु प्रोग्राम को लेकर पैदा हुआ था। अमेरिका और ईरान का कहना था कि ईरान परमाणु हथियार बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है जबकि ईरान का कहना है कि वह परमाणु परीक्षण का उपयोग ऊर्जा और शांति के क्षेत्र के लिए करेगा। अमेरिका और इजरायल के द्वारा बार-बार चेतावनी देने के बावजूद ईरान ने अपने परमाणु परीक्षण को जारी रखा था जिसके परिणाम स्वरूप ईरान और इजराइल में युद्ध की स्थिति पैदा हो गई थी।