Iran vs USA : पिछले महीने ईरान और इजरायल के बीच चले संघर्ष के दौरान अमेरिका के द्वारा इजराइल को समर्थन दिया गया था। इसके साथ ही इजरायल के दबाव के बाद अमेरिका के द्वारा ईरान पर हमला किया गया था। अमेरिका के द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों को भी निशाना बनाया गया था। इस संघर्ष में ईरान के कई महत्वपूर्ण अधिकारी और वैज्ञानिक मौत का शिकार हुए थे। ऐसे में ईरान के 2000 से ज्यादा मौलवियों के द्वारा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हत्या की मांग की गई है। इनका कहना है कि अमेरिका के राष्ट्रपति का खून हलाल है अर्थात यदि अमेरिका के राष्ट्रपति की यदि किसी के द्वारा हत्या भी कर दी जाती है तो वह गुनाह नहीं होगा। जनरल सुलेमान की हत्या का बदला लेना हर मुसलमान का फर्ज है। इन मौलवियों के द्वारा बताया गया ईरान और अमेरिका के बीच लंबे समय से तनाव चल रहा है।
सब्र का दौर हुआ समाप्त
ईरान के सबसे बड़े धार्मिक शिक्षा केंद्र की तरफ से 1 अगस्त को जारी किए गए बयान के मुताबिक अब सब्र का दौर समाप्त हो रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संपत्ति और खून अब हलाल है। सुलेमानी की शहादत का बदला लेना दुनिया के हर मुसलमान का फर्ज बन गया है। ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप जैसे खुनी अपराधी को अब नहीं बक्शा जायेगा। दुनिया इस मामले पर चुप नहीं बैठेगी बल्कि बदला जरुर लिया जाएगा। ईरान में जनरल सुलेमानी की हत्या होने के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ भारी नाराजगी बताई जा रही है। सुलेमानी ईरान के एक ताकतवर सांय अफसर थे। उनकी हत्या 2020 में अमेरिकी ड्रोन के द्वारा बगदाद में कर दी गई थी।
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ईरान के सुप्रीम लीडर को भी मारना चाहता था इजरायल
ईरान के मौलवियों का अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ यह बयान ऐसे समय पर सामने आया है जब कुछ समय पहले ही इजरायल के रक्षा मंत्री के द्वारा ईरान के सुप्रीम लीडर को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया गया था। उन्होंने कहा था कि यदि ईरान के सुप्रीम लीडर खामनोई हमारे निशाने पर होते तो हम अवश्य ही उन्हें खत्म कर देते। हमें ऐसा मौका नहीं मिला वरना काम कर देते। इसराइल के रक्षा मंत्री के द्वारा यह भी कहा गया था कि ईरान की सुप्रीम लीडर को खत्म करने के लिए उन्हें अमेरिका की आवश्यकता नहीं थी। इसी बयान पर ईरान के मौलवियों के द्वारा प्रतिक्रिया देते हुए कहा गया कि जो भी इस्लामी लीडर्स को धमकी देता है या उन पर हमला करने की कोशिश करता है वह खुद का दुश्मन होता है। लगभग 2000 मौलवियों के द्वारा दिए गए बयान पर सभी के हस्ताक्षर भी बताई जा रहे हैं।
2023 में भी ट्रंप को खत्म करने की धमकी दे चुका ईरान
ईरान और अमेरिका के बीच लंबे समय से तनाव जारी है। यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जान से मारने की बात ईरान की तरफ से की गई हो। इससे पहले 2023 में भी ईरान की तरफ से अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जान से मारने की धमकी दी गई थी। ईरान के सेना के महत्वपूर्ण अधिकारी के द्वारा कहा गया था कि हम अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भगवान ने चाहा तो अवश्य मारेंगे। सुलेमानी की हत्या में शामिल सभी मिलिट्री कमांडर को ईरान के द्वारा ख़त्म करने की कोशिश की जाएगी।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर 3 जनवरी 2020 को अमेरिकी सेना के द्वारा सुलेमानी की हत्या की गई थी। सुलेमानी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच पैदा हुआ तनाव परमाणु संधि के कारण था। 2019 में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा ईरान पर परमाणु संधि तोड़ने का आरोप लगाया गया था। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि इसके कारण ईरान में बड़े स्तर पर तबाही होगी। इसके बाद सुलेमानी ने कहा था कि यदि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्ध स्टार्ट किया तो उसे खत्म हम करेंगे।
सुलेमानी की मौत के बाद ईरान ने किया था पलटवार
2020 में सुलेमानी की हत्या अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद अमेरिकी सेना के द्वारा कर देने के बाद ईरान के द्वारा भी अमेरिका पर पलटवार किया गया था। ईरान के द्वारा अमेरिकी दूतावास पर इस घटना के कुछ दिन बाद ही बड़ा हमला किया गया था। ईरान ने बग़दाद में अमेरिकी दूतावास को निशाना बनाया था। अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाते हुए ईरान की तरफ से 20 से अधिक मिसाइलें दागी गई थी। ईरान की तरफ से यह दावा किया गया था कि उसके द्वारा किए गए हमले में अमेरिका के 80 से भी अधिक सैनिक मौत का शिकार हुए हैं।
पिछले महीने ईरान और इजरायल के बीच भी तनाव पैदा हो गया था। दोनों देशों के बीच 12 दिनों तक युद्ध की स्थिति बनी रही थी। इजरायल और अमेरिका का आरोप है कि ईरान के द्वारा परमाणु परीक्षण की आड़ में परमाणु हथियार तैयार किये जा रहे हैं। इस संघर्ष के दौरान अमेरिका के द्वारा भी सक्रिय भागीदारी निभाई गई थी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के द्वारा हमला किया गया था। अमेरिका के द्वारा किए गए शमिल के बाद ईरान की तरफ से अमेरिकी सेना के एयर बेस को निशाना बनाने की कोशिश की गई थी। ईरान के द्वारा बड़ी मात्रा में मिसाइल और ड्रोन छोड़े गए थे। ईरान और अमेरिका लगातार एक दूसरे को धमकी देते हुए देखे जा सकते हैं।