Israel Iran War में अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों को नष्ट कर बड़ा खतरा टाला, इजराइल का दावा- ईरान दुनिया के लिए खतरा बनता।

पूरी दुनिया के लिए खतरा बन सकता था ईरान- इजरायल

Israel Iran War: ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष विराम हो जाने के बाद इजरायल के विदेश मंत्रालय के  प्रवक्ता के द्वारा ईरान पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की गई है। उनका मानना है कि यदि अमेरिका समय रहते ईरान को नहीं रोकता तो ईरान पूरी दुनिया के लिए खतरा हो सकता था। ईरान परमाणु हथियार बनाने से कुछ ही कदम दूर था लेकिन अब ईरान का परमाणु कार्यक्रम बहुत पीछे चला गया है। इसराइल के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों को नष्ट करने की बात कही है।

‘परमाणु हथियार बनाकर ईरान बनता खतरा’

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यदि ईरान के द्वारा परमाणु हथियार बना लिए जाते तो वह पूरी दुनिया के लिए खतरा बन जाता। ईरान लगातार विभिन्न मुद्दों को लेकर आक्रामक नजर आता है। उसके पास परमाणु बम जैसे हथियार उपलब्ध होने की स्थिति में पूरी दुनिया के लिए यह विनाशकारी हो सकता था। अमेरिका ने समय रहते ईरान के परमाणु ठिकानों को नष्ट करते हुए पूरी दुनिया को नष्ट होने से बचा लिया है। इजराइल के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को युद्ध में इजराइल का साथ देने और ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने के लिए धन्यवाद कहा।

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‘ईरान बना रहा था 20 हजार बैलिस्टिक मिसाइल’

इजरायल के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ईरान परमाणु हथियार बनाने से कुछ ही कदम दूर था। आखिरी क्षणों में इजरायल और अमेरिका के द्वारा ईरान को परमाणु बम बनाने से रोका गया है। यदि ईरान को हम नहीं रोकते तो वह 20000 बैलिस्टिक मिसाइल बनाने की तैयारी कर रहा था। हमारे देश के लिए ईरान की यह तैयारी बहुत खतरनाक साबित हो सकती थी। इसलिए ईरान पर हमला करना जरूरी था। उन्होंने कहा कि इसराइल बहुत छोटा देश है जिसके लिए ईरान की यह मिसाइल खतरा हो सकती थी।

‘ईरान ने बनाया आम नागरिकों को निशाना’

ईरान और इजरायल के बीच लगभग 12 दिन तक युद्ध की स्थिति बनी रही थी। इस दौरान ईरान और इसराइल दोनों के द्वारा ही आधुनिक हथियारों से एक दूसरे पर हमले किए गए। इजरायल के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमारे द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों सैनिक ठिकानों और मिसाइल फैक्ट्री को नष्ट करने के लिए हमले किए गए जबकि ईरान के द्वारा आम नागरिकों को निशाना बनाया गया। ईरान ने अपने हमले में बच्चों, आम लोगों, अस्पताल और मस्जिद जैसे स्थानों को टारगेट किया। ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष विराम हो जाने के बाद भी ईरान के द्वारा मिसाइल छोड़ी गई। इससे ईरान की आक्रामकता का पता लगता है यदि समय रहते अमेरिका इस युद्ध में शामिल नहीं होता तो दुनिया विनाश की तरफ जा सकती थी।

‘इसराइल और अमेरिका की बड़ी कामयाबी’

ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने को लेकर बातचीत करते हुए ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ईरान के परमाणु ठिकानों को नष्ट करना इसराइल और अमेरिका दोनों के लिए ही बड़ी बात है। दोनों देशों के द्वारा किए गए हमले के कारण ईरान का परमाणु परीक्षण कार्यक्रम कई साल पीछे चला गया है। उन्होंने यह भी कहा अमेरिका के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी के द्वारा भी यह बात स्वीकार की गई है। जबकि दूसरी तरफ ईरान अमेरिका और इजरायल के हमले से अपने परमाणु ठिकानों को ज्यादा नुकसान होना नहीं बता रहा है। उसका मानना है कि परमाणु परीक्षण से संबंधित पदार्थ सुरक्षित है और उसका परमाणु परीक्षण कार्यक्रम लगातार जारी रहेगा।

Israel Iran War में अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों को नष्ट कर बड़ा खतरा टाला, इजराइल का दावा- ईरान दुनिया के लिए खतरा बनता।
Israel Iran War में अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों को नष्ट कर बड़ा खतरा टाला, इजराइल का दावा- ईरान दुनिया के लिए खतरा बनता।
भारत-पाकिस्तान युद्ध में इजरायल ने दिया भारत का साथ

भारत के साथ इजरायल के संबंधों पर बातचीत करते हुए इजरायल के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत और इजरायल के संबंध हमेशा से मजबूत रहे हैं। भारत इजराइल का दोस्त है। दोनों देशों की सरकार एक दूसरे को काफी करीब से जोड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि न सिर्फ भारत और इजरायल की सरकार के आपसी संबंध हैं बल्कि दोनों देशों के लोग भी आपस में जुड़े हुए हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच पैदा हुए तनाव की स्थिति में इजरायल के द्वारा भारत को समर्थन दिया गया था।

बातचीत के बहाने समय निकल रहा था ईरान

इसराइल के द्वारा ईरान पर किए गए हमले को लेकर जब इजरायल के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से पूछा गया कि क्या ईरान के साथ बातचीत के द्वारा इस समस्या का समाधान किया जा सकता था तो उन्होंने कहा कि लंबे समय से दुनिया के सभी देश ईरान से इस बात को लेकर कोशिश कर रहे हैं। लेकिन ईरान बातचीत को फैला कर धीरे-धीरे समय निकाल रहा था। ईरान बातचीत में लगने वाले समय का उपयोग परमाणु बम बनाने के लिए कर रहा था। ऐसे में यदि और देरी हो जाती तो ईरान परमाणु हथियार तैयार कर सकता था। बातचीत में उलझा कर वह दूसरे देशों को अपने परमाणु परीक्षण कार्यक्रम से दूर रखना चाहता।

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