Jaishankar China Visit : भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समय विदेशी दौरे पर गए हुए हैं। अपनी चीनी यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। चीन के राष्ट्रपति से मुलाकात में भारतीय विदेश मंत्री ने भारत के राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री की तरफ से मैसेज चीन के राष्ट्रपति को दिया। चीन के राष्ट्रपति और भारतीय विदेश मंत्री के बीच हुई मुलाकात में दोनों देशों के संबंधों को लेकर चर्चा हुई। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर लगभग 5 साल बाद चीन पहुंचे हैं। विदेश मंत्री ने चीन के राष्ट्रपति से हुई मुलाकात की जानकारी को सोशल मीडिया पर जारी किया गया है।
शंघाई सहयोग संगठन में भाग लेने पहुंचे -विदेश मंत्री
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समय शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए चीन पहुंचे हैं। इसी दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से उनकी मुलाकात हुई। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि शंघाई सहयोग संगठन में विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान चीन के राष्ट्रपति से मुलाकात की। इस दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू की तरफ से चीन के राष्ट्रपति का अभिवादन किया। इससे पहले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री से भी मुलाकात की थी। दोनों के बीच कोई इस मुलाकात में भारत और चीन के संबंधों को मजबूत बनाने पर चर्चा की गई थी।
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सीमा से जुड़े मुद्दों पर देना चाहिए ध्यान -एस जयशंकर
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन में विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के पहले कहा कि भारत और चीन को लंबे समय से चल रहे सीमा से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। दोनों देशों के बीच व्यापार में आ रही समस्याओं को दूर करने के उपाय खोजे जाने चाहिए। साथ ही साथ लोगों के बीच संपर्क को सामान्य बनाने की कोशिश भारत और चीन के द्वारा करनी होगी। उन्होंने कहा कि एक दूसरे के ऊपर विश्वास और समझदारी के आधार पर ही भारत और चीन के संबंध लंबे समय बाद सकारात्मक दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।
भारत को नुकसान पहुंचाने वाले कदम नहीं उठाये -चीन
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात करते हुए व्यापार और पर्यटन को लेकर दोनों देशों के संबंधों पर चर्चा की । उन्होंने चीन से अपील की है कि भारत के उत्पादन क्षेत्र को नुकसान पहुंचाने वाले कदम चीन के द्वारा नहीं उठाए जाने चाहिए। चीन के द्वारा व्यापार को और एक्सपोर्ट कंट्रोल को लेकर लगाए गए प्रतिबंधों पर भारत के द्वारा चिंता जताई गई। भारत और चीन को एक दूसरे से सीधे जोड़ने के लिए फ्लाइट शुरू करने तथा सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता भारतीय विदेश मंत्री के द्वारा बताई गई। इसी के साथ शंघाई सहयोग संगठन में विदेश मंत्रियों की बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि सभी को मिलकर आतंकवाद, अलगावाद और चरमपंत से मुकाबला करना होगा। भारत और इसके सभी सदस्य देशों को जीरो टॉलरेंस नीति पर कार्य करना चाहिए।
खुलकर बातचीत करना जरूरी -जयशंकर
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ रिश्तों को लेकर बातचीत करते हुए कहा कि मौजूदा अंतरराष्ट्रीय हालातो में पड़ोसी देशों के साथ खुलकर बातचीत करना बेहद जरूरी हो गया है। भारत और चीन जैसे पड़ोसी देशों को बातचीत के जरिए मुद्दे सुलझाने चाहिए। भारतीय विदेश मंत्री के द्वारा चीन के उपराष्ट्रपति को कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर शुरू करने को लेकर धन्यवाद दिया गया। उन्होंने कहा कि कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होने से भारत में बड़े बड़े स्तर पर इसका समर्थन किया गया।

अध्यक्षता के लिए चीन को दिया भारत ने समर्थन
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन में शामिल होने के दौरान चीन को शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता के लिए समर्थन दिया। भारत की तरफ से चीन को इस संगठन का अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर यह समर्थन दिया गया है। शंघाई सहयोग संगठन में कुल 10 देश सदस्य हैं। जिनमे भारत पाकिस्तान चीन रूस ईरान शामिल है। एस जयशंकर के शंघाई सहयोग संगठन में शामिल होने से पहले भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस संगठन की बैठक में शामिल हुए थे। राजनाथ सिंह के द्वारा शंघाई सहयोग संगठन में आतंकवाद के लेकर आवाज उठाई गई थी।
सीमा विवाद के बाद जारी है तनाव
भारत और चीन में सीमा विवाद को लेकर तनाव पैदा हो गया था। जून 2020 में भारत और चीन की सेना एक दूसरे के आमने-सामने हो गई थी। गलवान घाटी में दोनों देशों की सेना के सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी जिसमें दोनों पक्षों के जवानों के मारे जाने की खबर सामने आई थी। इसके बाद लगातार भारत और चीन सीमा विवाद को लेकर एक दूसरे के सामने डटे हुए हैं। सीमा पर हुए इस विवाद के बाद भारत के किसी भी बड़े नेता के द्वारा चीन का दौरा नहीं किया गया है।
2001 में हुई शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना
शंघाई सहयोग संगठन एक क्षेत्रीय संगठन है। इस क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठन की स्थापना किर्गिस्तान कजाकिस्तान चीन रूस और ताजिकिस्तान उज्बेकिस्तान ने मिलकर 2001 में की थी। शंघाई सहयोग संगठन में भारत और पाकिस्तान के द्वारा 2017 में सदस्यता ग्रहण की गई जबकि ईरान के द्वारा भी 2023 में इसकी सदस्यता ग्रहण की गई। शंघाई सहयोग संगठन का उद्देश्य इसके सदस्य देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा को लेकर सहयोग बढ़ाना है। साइबर अपराध, आतंकवाद, ड्रग तस्करी ,उग्रवाद जैसे मुद्दों पर साझा रणनीति बनाते हुए इन मुद्दों को सुलझाने पर जोर दिया जाता है।