Lipulekh Dispute भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद को लेकर चीन ने हस्तक्षेप से इनकार किया। दोनों देशों को बातचीत से हल निकालने की सलाह दी।

भारत और नेपाल के बीच विवाद में चीन का हस्तक्षेप से इनकार

Lipulekh Dispute : भारत का अपना पड़ोसी मुल्कों से अलग-अलग मुद्दों को लेकर विवाद चल रहा है। भारत और नेपाल के बीच लिपुलेख विवाद लंबे समय से लंबित है। इस विवाद को लेकर चीन ने अपनी राय स्पष्ट की है। भारत तथा नेपाल के बीच चल रहे लिपुलेख विवाद में चीन ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। चीन के राष्ट्रपति का कहना है कि यह आपस का मामला है और इसे मिलकर सुलझाया जाना चाहिए। लिपुलेख दर्रा एक पारंपरिक दर्रा है। नेपाल के द्वारा किए जा रहे दावे का चीन के द्वारा सम्मान किया जाता है लेकिन यह भारत और चीन का आपसी मसला है। इसे दोनों देशों को बातचीत के जरिए सुलझाने की कोशिश करनी होगी। हाल ही में आयोजित हुए शंघाई सहयोग संगठन के दौरान नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा चीन पहुंचे थे। चीन पहुंचने को दौरान उनके द्वारा चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग से मुलाकात के दौरान यह मुद्दा उठाया गया था। नेपाल का यह दावा है कि लिपुलेख नेपाल का हिस्सा है जबकि भारत इसे अपने देश का हिस्सा बताता है। चीन और भारत के बीच हाल ही में बनी सहमति पर नेपाल के द्वारा विरोध दर्ज कराया जा रहा है।

एशिया कप के लिए भारतीय टीम दुबई रवाना; 9 सितंबर से शुरू होगा टूर्नामेंट

अपनी मौत की खबर को डोनाल्ड ट्रंप ने बताया मजाक; बोले- एक प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं कर पाया अटेंड

ब्रिक्स के वर्चुअल समिट में मोदी की जगह विदेश मंत्री लेंगे हिस्सा

यूरोपीय देश देंगे यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी; लंबे समय से चल रहा है रूस यूक्रेन युद्ध

19 अगस्त को हुआ था भारत और चीन के बीच समझौता

नेपाल के द्वारा जिस दर्रे को लेकर विरोध दर्ज कराया जा रहा है उस दर्रे से व्यापार के लिए रास्ता खोलने को लेकर भारत और चीन के बीच 19 अगस्त को समझौता हुआ था। दोनों देशों के द्वारा इस व्यापार मार्ग के रूप में खोलने का फैसला लिया गया था जिसके बाद लगातार नेपाल के द्वारा विरोध जताया जा रहा है। नेपाल के द्वारा 2020 में एक नक्शा जारी किया गया था जिसमें वह इन क्षेत्रों को अपने देश में शामिल करने का दावा करता है जबकि भारत लंबे समय से इसे अपना हिस्सा मानता रहा है।

नेपाल प्रधानमंत्री के भारत दौरे पर हो सकती है चर्चा

आगामी समय में जल्द ही नेपाल के प्रधानमंत्री भारत पहुंचने वाले हैं। नेपाल के प्रधानमंत्री के द्वारा 16 सितंबर को भारत दौरा किया जाएगा। भारतीय विदेश सचिव के द्वारा नेपाल की यात्रा के दौरान उन्हें आमंत्रित किया गया था। इसके बाद अब नेपाल के प्रधानमंत्री के द्वारा यात्रा की जानी है। भारतीय विदेश सचिव के द्वारा नेपाल यात्रा के दौरान दोनों देशों के संबंधों को मजबूत करने विकास व्यापार तथा कनेक्टिविटी पर सहयोग बढ़ाने को लेकर चर्चा हुई थी। संभावना जताई जा रही है कि नेपाल के प्रधानमंत्री के भारत दौरे के दौरान विभिन्न समझौते दोनों देशों के बीच संभव हो सकते हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद से लगातार केपी शर्मा के भारत दौरे को लेकर अनिश्चितता बनी हुई थी लेकिन अब आने वाले समय में वह जल्द ही भारत पहुंचने वाले हैं।

1991 से लिपुलेख को बनाया व्यापारिक मार्ग

जिस लिपुलेख दर्रे को लेकर भारत और नेपाल के बीच विवाद चल रहा है उस दर्रे को व्यापारिक मार्ग के रूप में जाना जाता है। पुराने समय में भारत और चीन के बीच लिपुलेख दर्रा व्यापार के साथ-साथ तीर्थ यात्रा का भी अहम हिस्सा था। ब्रिटिश काल से लेकर वर्तमान तक लगातार इसका उपयोग व्यापार मार्ग के तौर पर किया जा रहा है। भारत और चीन के द्वारा औपचारिक रूप से इसे 1991 में व्यापारिक मार्ग बनाया गया था। दोनों देशों के द्वारा बड़े स्तर पर इस रास्ते से व्यापार होता है। लिपुलेख दर्रे की ऊंचाई 5334 मीटर है। अपनी ऊंचाई के साथ-साथ यह देश की आर्थिक साझेदारी तथा पुरानी संस्कृति को भी प्रस्तुत करता है।

Lipulekh Dispute भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद को लेकर चीन ने हस्तक्षेप से इनकार किया। दोनों देशों को बातचीत से हल निकालने की सलाह दी।
Lipulekh Dispute भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद को लेकर चीन ने हस्तक्षेप से इनकार किया। दोनों देशों को बातचीत से हल निकालने की सलाह दी।

चीन के विदेश मंत्री के भारतीय दौरे पर भारत और चीन के बीच विभिन्न मुद्दों को लेकर सहमति बनी है। लिपुलेख दर्रे से एक बार फिर भारत और चीन के द्वारा व्यापार शुरू करने पर समझौता किया गया है। यह दर्रा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है। भारत और चीन के द्वारा किए गए समझौते पर नेपाल के द्वारा विरोध जताया जा रहा है। नेपाल का कहना है कि लिपुलेख दर्रे वाले क्षेत्र में भारत और चीन के द्वारा किसी भी प्रकार की एक्टिविटी नहीं की जानी चाहिए। यह पहली बार नहीं है जब नेपाल के द्वारा इस क्षेत्र को लेकर विरोध जताया गया हो लगभग 10 साल पहले भी लिपुलेख दर्रे के रास्ते होने वाले व्यापार को लेकर नेपाल ने विरोध जताया था। नेपाल का आरोप है कि नेपाल से सलाह लिए बिना भारत और चीन ने यह निर्णय लिया है।

‘बातचीत और डिप्लोमेसी से हल होगा विवाद भारत’

भारत और चीन के द्वारा लिपुलेख दर्रे से व्यापार करने पर सहमति जताये जाने के बाद नेपाल के द्वारा उठाए जा रहे विरोध पर भारत ने जवाब दिया है। भारत का कहना है कि नेपाल के साथ चल रहे इस विवाद को बातचीत और डिप्लोमेसी के जरिए हल किया जाएगा। नेपाल के प्रधानमंत्री जल्द ही भारत दौरे पर आने वाले हैं। शंघाई सहयोग संगठन में हिस्सा लेने के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री के द्वारा 16 सितंबर से भारत की यात्रा की जाएगी। इसी बीच भारत और चीन के संबंध लगातार सुधार के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं।

भारत और चीन दोनों एक दूसरे के पड़ोसी देश हैं लेकिन लंबे समय से दोनों देशों के बीच सीमा विवाद तथा दूसरे मुद्दों को लेकर लगातार तनाव बना रहता है। चीन के विदेश मंत्री इस समय भारत दौरे पर हैं। उनके द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की गई। इसी दौरान भारत और चीन के द्वारा लंबे समय से चल रहे एक दूसरे के साथ विवाद को खत्म करने के लिए एक्सपर्ट कमेटी बनाने का निर्णय लिया है। इसी के साथ-साथ चीन के द्वारा भारत को सहयोग करने का भी आश्वासन दिया गया है। एक बार फिर चीन के द्वारा रेयर अर्थ मैटल भारत को प्रदान करने पर सहमति जताई गई है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *