NISAR Satellite Launch : भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग के तहत तैयार किए गए दुनिया के सबसे एडवांस रडार सेटेलाइट सिस्टम निसार को लॉन्च कर दिया गया है। निसार का पूरा नाम नासा इसरो सिंथेटिक एपर्चर राडार है। इस सेटेलाइट की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग बुधवार को श्री हरिकोटा से की गई। इसरो के राकेट द्वारा इस सैटेलाइट को सूर्य समकालीन ध्रुवीय कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया। बताया जा रहा है कि यह सैटेलाइट भूकंप ग्लेशियर हिमस्खलन तथा भूस्खलन जैसी आपदाओं पर नजर रखेगा। इस सैटेलाइट को दुनिया का सबसे एडवांस्ड रडार सैटेलाइट बताया जा रहा है। निसार सैटेलाइट पृथ्वी की भूमि और बर्फ से ढके हुए क्षेत्र का निरंतर अवलोकन करता रहेगा। अवलोकन से प्राप्त हुए डाटा को 12 दिन के अंतराल पर इकट्ठा करते हुए धरती पर भेजने का कार्य करेगा। पृथ्वी की सतह पर होने वाले विभिन्न परिवर्तनों के बारे में यह सटीक जानकारी देगा। बताया जा रहा है की सेटेलाइट के द्वारा पृथ्वी के 240 किलोमीटर के क्षेत्र को स्कैन करते हुए इनका एक बड़ा पिक्सल बनाएगी। इसके द्वारा बनाए जाने वाले पिक्सल का आकार एक टेनिस कोर्ट के जितना बताया जा रहा है। जिससे सटीक जानकारी प्राप्त करने में सफलता प्राप्त होगी।
इसका निर्माण इसरो और नासा के द्वारा मिलकर तैयार किया गया था। ऐसे में इसरो और नासा के द्वारा किए गए पहले साझा मिशन को बड़ी सफलता प्राप्त हुई है। दुनिया के सबसे एडवांस रडार सेटेलाइट सिस्टम निसार का निर्माण इसरो और नासा के द्वारा मिलकर किया गया है। इसरो और नासा के द्वारा मिलकर इस पर कार्य किया गया था। ऐसे में इसके सफल तरीके से लॉन्च हो जाने के बाद यह इसरो और नासा का पहला साझा मिशन सफल हुआ है। दोनों के द्वारा मिलकर किए गए इस कार्य के सफल होने के बाद भविष्य में भी इसरो और नासा के द्वारा मिलकर अलग-अलग प्रोजेक्ट पर कार्य किया जा सकता है।
अमेरिका के बाद ब्रिटेन ने भी दिया भारत को झटका; टीएनआर रिपोर्ट में भारत का नाम शामिल
ट्रंप के आरोपों के बाद चीन ने दिया करारा जवाब; बोला- राष्ट्र हित के अनुरूप होगी ऊर्जा आपूर्ति
अमेरिका के राष्ट्रपति ने भारत पर लगाया 25% टैरिफ के साथ जुर्माना
सीरीज का निर्णायक टेस्ट मुकाबला आज से; दोनों टीम खिलाड़ियों की चोट से परेशान
3 साल का होगा मिशन काल
हाल ही में लॉन्च किए गए एडवांस्ड रडार सेटेलाइट सिस्टम निसार का मिशन काल 3 वर्ष का रहने वाला है। कुल 2392 किलो वजन वाले इस सेटेलाइट सिस्टम पर नाशा के द्वारा 12000 करोड रुपए खर्च किए गए हैं। दूसरी तरफ नासा का सहयोग करने वाला इसरो भी इस पर 470 करोड रुपए खर्च कर चुका था। अपनी खास विशेषताओं के कारण इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह दुनिया की पहली सैटेलाइट होगी जो पृथ्वी का विश्लेषण एक दोहरी आवृत्ति वाले सिंथेटिक एपर्चर राडार के जरिए करेगा। इसमें नासा के द्वारा तैयार किए गए एल रडार भी शामिल हैं जो जेट प्रोपल्शन लैब द्वारा बनाए गए हैं।
आपदाओं की जानकारी और मानचित्रण का करेगा कार्य
दुनिया की सबसे एडवांस्ड रडार सैटेलाइट निसार को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह पृथ्वी की 3D फोटो प्रदान करते हुए लगातार इको सिस्टम की निगरानी करने का कार्य करेगा। भूकंप बाढ़ सुनामी जैसी आपदाओं के बारे में योजना बनाने व पूर्वानुमान लगाने में यह महत्वपूर्ण सहायक होगा। इस सैटेलाइट का कार्य फसलों के लिए मानचित्रण करना तथा बदलते मौसम की निगरानी करते हुए पूर्वानुमान लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है। यह सेटेलाइट 80 टेरा बाईट डाटा उत्पन्न कर सकेगा। यह किसी भी पृथ्वी उपग्रह से अधिक ड्राइव भरने की क्षमता रखता है।

12 दिनों के अंतराल में भेजेगा डाटा
निसार सैटेलाइट पृथ्वी की भूमि और बर्फ से ढके हुए क्षेत्र का निरंतर अवलोकन करता रहेगा। अवलोकन से प्राप्त हुए डाटा को 12 दिन के अंतराल पर इकट्ठा करते हुए धरती पर भेजने का कार्य करेगा। पृथ्वी की सतह पर होने वाले विभिन्न परिवर्तनों के बारे में यह सटीक जानकारी देगा। बताया जा रहा है की सेटेलाइट के द्वारा पृथ्वी के 240 किलोमीटर के क्षेत्र को स्कैन करते हुए इनका एक बड़ा पिक्सल बनाएगी। इसके द्वारा बनाए जाने वाले पिक्सल का आकार एक टेनिस कोर्ट के जितना बताया जा रहा है। जिससे सटीक जानकारी प्राप्त करने में सफलता प्राप्त होगी। इस सेटेलाइट के लॉन्च हो जाने के बाद भूकंप बाढ़ भूस्खलन जैसी आपदाओं से निपटने में सहायता मिल सकेगी। सटीक जानकारी मिलने के कारण इन आपदाओं से संबंधित पूर्ण जानकारी के तहत चेतावनी जारी की जाएगी तथा आवश्यक उपाय समय रहते उठाए जा सकेंगे। इसरो और नासा के द्वारा मिलकर तैयार किए गए इस एडवांस सैटेलाइट को भविष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इसरो और नासा ने मिलकर बनाया सैटेलाइट
दुनिया के सबसे एडवांस रडार सेटेलाइट सिस्टम निसार का निर्माण इसरो और नासा के द्वारा मिलकर किया गया है। इसरो और नासा के द्वारा मिलकर इस पर कार्य किया गया था। ऐसे में इसके सफल तरीके से लॉन्च हो जाने के बाद यह इसरो और नासा का पहला साझा मिशन सफल हुआ है। दोनों के द्वारा मिलकर किए गए इस कार्य के सफल होने के बाद भविष्य में भी इसरो और नासा के द्वारा मिलकर अलग-अलग प्रोजेक्ट पर कार्य किया जा सकता है।