Operation Sindoor NCERT : नेशनल कौंसिल ऑफ़ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग एनसीईआरटी के द्वारा ऑपरेशन सिन्दूर पर दो स्पेशल मॉड्यूल जारी किए गए हैं। इन जारी किए गए मॉडल में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चर्चा की गई है। सप्लीमेंट्री पदार्थ के तौर पर कक्षा तीन से 12 तक के छात्रों के लिए यह मॉड्यूल शामिल किया गया है। मॉड्यूल में भारत और पाकिस्तान के बीच चली तनातनी का जिक्र किया गया है। कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हो जाने के बाद भारतीय सेना के द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान की सेना की भूमिका बताई गई है।
पाकिस्तान की सहमति से हुआ आतंकी हमला
एनसीईआरटी के द्वारा जारी किए गए मॉड्यूल में यह स्पष्ट किया गया है कि पाकिस्तान के द्वारा भले ही पहलगाम आतंकी हमले में अपनी भूमिका होने से इनकार किया जाता रहा हो लेकिन यह हमला पाकिस्तान की सेना और राजनीतिक नेतृत्व के सहमति के बाद ही हुआ था। स्कूली बच्चों को सैन्य शक्ति के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से यह मॉड्यूल जारी किए गए हैं। जारी किए गए मॉड्यूल में ऑपरेशन सिंदूर को न सिर्फ मिलिट्री ऑपरेशन बल्कि शांति की रक्षा और पहलगाम हमले में मारे गए लोगों के सम्मान का वादा बताया गया है। पहलगाम हमला होने के बाद भारतीय सेना के द्वारा पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए की गई कार्यवाही का जिक्र भी इन मोडूयल में किया गया है।
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आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान के बंटवारे को लेकर समय-समय पर चर्चा चलती रहती है। एनसीईआरटी के द्वारा जारी किए गए मॉडल से एक बार फिर इन चर्चाओं को जोर मिला है। दरअसल एनसीईआरटी के द्वारा जारी किए गए मॉडल में देश के बंटवारे के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार माना गया है। विभाजन की योजना को कांग्रेस की ही योजना बताया गया है जबकि विभाजन के लिए मोहम्मद अली जिन्ना को कम दोषी बताया गया है। विभाजन बीसी का स्मृति दिवस के मौके पर एनसीईआरटी के द्वारा एक मॉड्यूल जारी किया गया जिसमें भारत के विभाजन को लेकर चर्चा की गई है।
मॉड्यूल में विभाजन के तीन दोषी
एनसीईआरटी के द्वारा जारी किए गए मॉडल में विभाजन के लिए तीन कारको को जिम्मेदार माना गया है। इस मॉड्यूल में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन मोहम्मद अली जिन्ना और कांग्रेस को विभाजन का कारण माना गया है। एनसीईआरटी के द्वारा जारी किए गए मॉड्यूल में बंटवारे के दोषी नामक एक अनुच्छेद में यह जिक्र किया गया है। इसमें बताया गया है कि 15 अगस्त 1947 को भारत का बंटवारा किया गया। इस बंटवारे के लिए तीन कारक जिम्मेदार थे जिनमें कांग्रेस वायसराय और मोहम्मद अली जिन्ना शामिल है।
तीनों कारकों की अलग-अलग भूमिका
एनसीईआरटी के द्वारा जारी किए गए मॉडल में जिन तीन कारकों को भारत के विभाजन के लिए जिम्मेदार माना गया है। उन तीनों की अलग-अलग भूमिका भी इस मॉड्यूल में दिखाई गई है। इसमें जिक्र किया गया है कि 15 अगस्त 1947 को हुए बंटवारे के लिए पहले जिम्मेदार व्यक्ति मोहम्मद अली जिन्ना है जिनके द्वारा भारत विभाजन की मांग की गई थी। इसके बाद दूसरा जिम्मेदार तत्व कांग्रेस है जिसके द्वारा मोहम्मद अली ने जिस मांग को उठाई उसे स्वीकार किया गया। तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन के द्वारा इस विभाजन की योजना को लागू किया गया। इस प्रकार मॉड्यूल में तीनों तत्वों को अलग-अलग भूमिका के तहत विभाजन का कारण माना गया है। साथ ही साथ एनसीईआरटी के द्वारा जारी किए गए मॉड्यूल में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन की गलती को सबसे बड़ी गलती बताया गया है।

तारीख बदलने से नहीं हो पाई पूरी तैयारी
लॉर्ड माउंटबेटन को भारत के बंटवारे के लिए सबसे बड़ा जिम्मेदार ठहराते हुए बताया गया कि पहले सत्ता स्थानांतरण की तारीख जून 1948 में तय की गई थी लेकिन बाद में इसे हटाकर अगस्त 1947 कर दी गई। मोहम्मद अली जिन्ना के द्वारा भारत के विभाजन की मांग करने के बाद तारीख को घटा देने से तैयारी पूरी नहीं हो पाई। भारत और पाकिस्तान की सीमा का निर्धारण करने के लिए सर रेड क्लिफ को सिर्फ पांच हफ्ते दिए गए। जल्दबाजी के कारण ही भारत और पाकिस्तान के बीच कई क्षेत्र विवादास्पद रह गए। यही कारण है कि देश का विभाजन हो जाने के कुछ दिन बाद तक पंजाब के लोगों को यहां तक पता नहीं था कि वह पाकिस्तान में है या भारत में। एनसीईआरटी के द्वारा जारी किए गए मॉडल में इसे बड़ी लापरवाही बताया गया है।
जिन्ना को नहीं था बंटवारे का एहसास
एनसीईआरटी के द्वारा जारी किए गए मॉडल में एक तरफ भारत के विभाजन के लिए मोहम्मद अली जिन्ना को भी विभाजन का कारण माना है दूसरी तरफ मोहम्मद अली जिन्ना के सहयोगी के तरफ से यह कहा गया है कि जिन्ना को यह स्पष्ट तौर पर पता नहीं था कि भारत का बटवारा होगा। सरदार वल्लभभाई पटेल के हवाले से दी गई खबर के मुताबिक मॉड्यूल में कहा गया है कि भारत उस समय युद्ध भूमि बन गया था। जगह-जगह गृह युद्ध की स्थिति पैदा हो गई थी। इस स्थिति में गृह युद्ध से बेहतर देश के बंटवारे को माना गया।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी बंटवारे के फैसले के खिलाफ थे लेकिन वह इस फैसले को हिंसा के जरिए रोकने में सहमत नहीं थे। उन्होंने कहा था कि वह बंटवारे के पक्ष में तो नहीं है लेकिन कांग्रेस यदि से स्वीकार करती है तो कांग्रेस को वह नहीं रोकेंगे। कांग्रेस के द्वारा इस पर नाराजगी जताई गई। एनसीईआरटी के द्वारा जारी किए गए मॉडल में कांग्रेस को भी विभाजन का कारण माना गया है। इसके बाद कांग्रेस पार्टी के द्वारा इस पर प्रहार किया गया। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के द्वारा कहा गया कि पुराने इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। बंटवारे में आरएसएस की जो भूमिका थी उस भूमिका को छिपाते हुए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।