Pahalgam Terror Attack : कांग्रेस नेता मणि शंकर अय्यर ने कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान की भूमिका पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत के द्वारा छाती पीट पीट कर बताया जा रहा है कि हमले के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है। इसके बावजूद दुनिया के विभिन्न देशों के द्वारा पाकिस्तान को जिम्मेदार नहीं माना जा रहा है। भारत के द्वारा पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए सांसदों का दल बनाकर दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भेजा गया। इसके बावजूद किसी ने हमारी बात नहीं मानी। कांग्रेस नेता मणि शंकर अय्यर के द्वारा एक न्यूज़ एजेंसी से की गई बातचीत में यह बयान दिया गया। मणि शंकर अय्यर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका के द्वारा भी पाकिस्तान को कश्मीर के पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार नहीं माना जा रहा है। उन्होंने इसके लिए भारत को भी जिम्मेदार ठहराया। अय्यर ने कहा कि सबूत नहीं होने के कारण दुनिया का कोई भी देश पाकिस्तान को इस हमले के लिए जिम्मेदार नहीं मान रहा है।
33 देश में भेज चुके डेलिगेशन
कश्मीर का पहलगाम में आतंकी हमला हो जाने के बाद भारत के द्वारा प्रमुख लोगों का डेलिगेशन बनाते हुए अलग-अलग देश में भेजने का कार्य किया गया था। भारत के द्वारा कुल 7 डेलिगेशन बनाए गए थे। जिनके द्वारा 33 देशो का भ्रमण किया गया था। इसका उद्देश्य कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के साथ-साथ पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों में भूमिका को स्पष्ट करना था। भारत कोशिश कर रहा था कि दुनिया के सामने पाकिस्तान की हकीकत को सामने लाया जाए। भारत के द्वारा भेजे गए डेलिगेशन में पक्ष और विपक्ष दोनों ही शामिल थे। इसमें पक्ष विपक्ष के सांसद और नेता शामिल होने के साथ-साथ आठ राजदूत भी शामिल किए गए थे। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा डेलिगेशन के सदस्यों से विदेश से लौट के आने बाद 10 जून को मुलाकात भी की गई थी। डेलिगेशन में कांग्रेस नेता शशि थरूर को शामिल किए जाने को लेकर खूब चर्चा चली थी। कांग्रेस का आरोप है कि कांग्रेस के द्वारा नाम नहीं भेजे जाने के बावजूद शशि थरूर को डेलिगेशन में शामिल किया गया।
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डेलिगेशन ने अन्य देशों में उठाया मुद्दा
भारत सरकार के द्वारा बनाए गए डेलिगेशन ने अलग-अलग देश में जाकर पाकिस्तान को बेनकाब करने में कामयाब हुए या नहीं यह अभी वक्त बताएगा लेकिन भारत के द्वारा उठाए गए इस कदम का उद्देश्य पाकिस्तान और आतंकवाद को लेकर दुनिया को वास्तविक स्थिति से रूबरू कराना था। पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानो को ऑपरेशन सिन्दूर के तहत नष्ट किया गया था। इससे भारतीय संदेश देना चाहता था कि आतंकवाद पर उसकी जीरो टॉलरेंस नीति लागू रहेगी। बताया जाता है कि सांसदों के द्वारा सबूत लेकर विदेश जाया गया था। इसके पीछे यह उद्देश्य था कि पाकिस्तान की इस मामले में भूमिका को स्पष्ट किया जा सके। दूसरी तरफ कश्मीर में पहलगाम हमला हो जाने के बाद भारत के द्वारा आतंकियों के ठिकानों पर कार्रवाई की गई लेकिन यह कार्रवाई पूरी जिम्मेदारी भरी और संयम पूर्ण थी। पाकिस्तान के आम नागरिकों को भारतीय सेना के द्वारा निशाना नहीं बनाया गया था। पाकिस्तान के द्वारा कार्रवाई रोकने की गुजारिश करने पर भारत के द्वारा संघर्ष विराम पर सहमति जता दी गई।

आतंकवाद पर एक मत हो विश्व -भारत
भारत लंबे समय से यह कोशिश कर रहा है कि आतंकवाद के मुद्दे पर अलग-अलग बयान देने के बजाय विश्व के सभी देशों के द्वारा एक स्टैंड लिया जाना चाहिए। आतंकवाद के मुद्दे के खिलाफ सभी देशों को संगठित होकर लड़ाई लड़नी चाहिए। भारत के द्वारा भेजे गए डेलिगेशन के द्वारा दुनिया के विभिन्न देशों से यही मांग की गई है। उनका कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ खुलकर सामने आना होगा। भारत और पाकिस्तान के बीच पैदा हुए तनाव को भारत ने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के तौर पर प्रस्तुत करने की कोशिश की। इसी के साथ लंबे समय से चल रही नीति को बदलने का संदेश भी भारत के द्वारा दे दिया गया। पाकिस्तान के खिलाफ भारत की रणनीति अब बदल चुकी है। सीमा पार से होने वाले आतंकवादी हमलो को अब युद्ध की शुरुआत माना जाएगा।
22 अप्रैल को हुआ था पहलगाम हमला
कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकवादियों के द्वारा पर्यटकों को निशाना बनाया गया था। आतंकवादियों के द्वारा धर्म पूछ कर पर्यटकों को मौत के घाट उतारा गया था। इस हमले में कुल 26 नागरिक मारे गए थे। भारत सरकार के द्वारा पहलगाम हमला हो जाने के बाद पाकिस्तान पर सख्त कदम उठाए गए थे। भारतीय सेना ने पाकिस्तान में स्थित आतंकियों के ठिकानों को नष्ट करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया था। ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के साथ-साथ 100 आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा गया था। इसके बाद पाकिस्तान की सेना के द्वारा भारतीय सेना और आम नागरिकों को निशाना बनाने की कोशिश की गई थी लेकिन भारतीय डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान की इन कोशिश को सफल नहीं होने दिया था। कई दिनों तक भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष की स्थिति बनी रही थी। आखिर में पाकिस्तान की गुजारिश पर भारत के द्वारा संघर्ष विराम पर सहमति दी गई थी।