Rajnath Singh China: भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन में होने वाली SCO मीटिंग में भाग लेने के लिए चीन जाएंगे। लंबे समय बाद कोई भारतीय रक्षा मंत्री चीन दौरे पर जाएगा। चीन में होने वाली इस बैठक में भारत के साथ-साथ पाकिस्तान के रक्षा मंत्री भी पहुंचेंगे। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ इस बैठक में हिस्सा लेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से पहले अंतिम बार चीन दौरे पर भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज गई थी।
चीन से रिश्ते सामान्य करने की कोशिश
भारत के पड़ोसी मुल्क चीन के साथ भारत के रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं। लंबे समय से दोनों देशों के बीच सीमा विवाद तथा अन्य मुद्दों को लेकर मतभेद होने के कारण इन देशों के संबंधों में तनाव जारी है लेकिन अब दोनों ही देश के द्वारा यह कोशिश की जा रही है कि इन संबंधों को सामान्य किया जाए। लंबे समय बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू की जा चुकी है और भारत से चीन के मध्य विमान सेवा को भी शुरू करने पर विचार किया जा रहा है। इसी दिशा में कार्य करते हुए भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह sco बैठक के साथ-साथ चीन के साथ विभिन्न मुद्दों पर वार्ता करने के लिए चीन पहुंचेंगे।
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7 साल बाद भारतीय मंत्री का चीन दौरा
भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के द्वारा चीन के दौरे पर जाने पर यह लंबे समय बाद होगा जब कोई भारतीय मंत्री चीन के दौरे पर पहुंचेगा । राजनाथ सिंह के चीन दौरे से पहले अंतिम बार सुषमा स्वराज केंद्रीय मंत्री रहते हुए चीन दौरे पर गई थी। सुषमा स्वराज जब चीन गई थी उस वक्त उनके पास विदेश मंत्रालय का जिम्मा था। सुषमा स्वराज का अंतिम चीन दौरा 2018 में हुआ था। ऐसे में 7 साल के अंतराल के बाद एक बार फिर भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का चीन दौरे पर जाना भारत और चीन के मध्य चल रहे तनाव को सामान्य करने की कोशिश की दिशा में देखा जा रहा है।
25 से 27 जून तक होगी बैठक
चीन के किंगदाओ शहर में होने वाली sco की बैठक 25 से 27 जून तक आयोजित की जाएगी। इस बैठक में इस संगठन के सभी देशों के रक्षा मंत्री पहुंचेंगे। बैठक में संगठन देश के सभी सदस्यों के द्वारा विभिन्न मुद्दों को लेकर चर्चा की जाएगी। इसी के साथ यह भी खबर सामने आ रही है कि भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन के रक्षा मंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता करते हुए विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
चीन के रक्षा मंत्री के साथ होने वाली राजनाथ सिंह की वार्ता में जल आंकड़ों को साझा करने, दोनों देशों के बीच वीजा नीति को आसान बनाने, कैलाश यात्रा तथा हवाई सेवा को बहाल करने को लेकर बातचीत हो सकती है। भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के रक्षा मंत्री की आखिरी मुलाकात लाओस शिखर सम्मेलन में हुई थी। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद हो जाने के बाद दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की यह पहली मुलाकात होगी।

भारत और चीन में चल रहा सीमा विवाद
भारत का अपने पड़ोसी देश चीन के साथ लंबे समय से सीमा को लेकर विवाद जारी है। पूर्वी लद्दाख में 2020 से भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर समय-समय पर तनाव पैदा होता रहा है। हालांकि 2024 में भारत और चीन के मध्य इस विवादित सीमा को लेकर समझौता हुआ था जिसके बाद आमने-सामने हुई भारत और चीन की सेना पीछे हट गई थी। इससे पहले भारत और चीन के मध्य सीमा विवाद होने के कारण दोनों देशों की सेना आमने-सामने हो गई थी। दोनों देशों की आर्मी के एक दूसरे के विरोध के कारण गलवान झड़प हुई थी।
2001 में हुई थी शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी संगठन की बैठक में शामिल होने के लिए चीन जा रहे हैं उसे संगठन की स्थापना 2001 में की गई थी स्को को शंघाई सहयोग संगठन के नाम से जाना जाता है यह एक क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसकी स्थापना 2001 में उज्बेकिस्तान तजाकिस्तान रूस कजाकिस्तान किर्गिस्तान और चीन के द्वारा मिलकर की गई थी 2017 में भारत और पाकिस्तान भी इस संगठन के सदस्य बने थे।
इसके बाद 2023 में ईरान को भी इस संगठन का सदस्य बनाया गया शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना का उद्देश्य इसके सदस्य देशों के बीच राजनीतिक सहयोग आर्थिक सहयोग और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देना है इसी के साथ-साथ साइबर अपराध आतंकवाद उग्रवाद और ड्रग जैसी समस्याओं के खिलाफ साधारण नीति बनाने पर कार्य किया जाता है
चीन निभा रहा पाकिस्तान के दोस्त की भूमिका
भारत का पड़ोसी देश चीन लगातार भारत विरोधी गतिविधियां कर रहा है। भारत के साथ चीन का सीमा विवाद होने के साथ-साथ अन्य मुद्दों को लेकर भी लगातार टकराव बना रहता है। दूसरी तरफ चीन भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के साथ लगातार नजदीकी बढ़ता रहा है। पाकिस्तान के आर्थिक और सामाजिक सहयोगी के रूप में चीन लगातार कार्य कर रहा है। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति में चीन के द्वारा लगातार पाकिस्तान को समर्थन किया जाता रहा है। पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों और संसाधनों का उपयोग चीन के द्वारा किया जा रहा है। तथा चीन के द्वारा पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं।