SCO Meeting India : भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत की तरफ से भाग लिया। भारतीय विदेश मंत्री ने इस दौरान आतंकवाद के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया। उन्होंने कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की भी निंदा की। एक बार फिर भारतीय विदेश मंत्री के द्वारा आतंकवाद, अलगावाद और उग्रवाद से मिलकर लड़ने की बात कही। आतंकवादियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले इसके लिए कठोर कदम उठाए जाने चाहिए। ऐसा भारतीय विदेश मंत्री ने शंघाई सहयोग संगठन में सभी सदस्य देशों से अपील की। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बयान के तहत जिम्मेदार लोगों को सजा मिलनी चाहिए। शंघाई सहयोग संगठन तभी प्रभावी होगा जब इसके सभी सदस्य देश इसके एजेंडे पर सहमत होकर कार्य करें। शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना आतंकवाद से लड़ने को लेकर ही हुई थी।
धार्मिक विभाजन और पर्यटन अर्थव्यवस्था को खत्म करने के लिए हमला
शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्री की बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पहलगाम में किया गया आतंकी हमला धार्मिक विभाजन को बढ़ाने वाला था। लोगों को धर्म पूंछकर निशाना बनाया गया। जम्मू कश्मीर में लगातार पर्यटन के कारण अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है लेकिन आतंकवादियों के द्वारा पर्यटन अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से हमला किया गया। उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन के सभी सदस्य देशों से आतंकवाद के खिलाफ सख्त रूप अपनाने की अपील की।
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जिम्मेदार लोगों को मिले सजा
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के द्वारा यह कहा गया था कि हमले में जिम्मेदार लोगों को सजा दी जाएगी। ऐसे में आतंकवाद, अलगावाद और उग्रवाद तीनों से निपटने के लिए शंघाई सहयोग संगठन का निर्माण हुआ है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बयान के तहत जिम्मेदार लोगों को सजा मिलनी चाहिए। शंघाई सहयोग संगठन तभी प्रभावी होगा जब इसके सभी सदस्य देश इसके एजेंडे पर सहमत होकर कार्य करें। शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना आतंकवाद से लड़ने को लेकर ही हुई थी।
ऐसे में संगठन को अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कठोर कदम उठाने होंगे। जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद को लेकर शंघाई सहयोग संगठन किसी भी तरह का समझौता नहीं करें। उन्होंने भारत-पाकिस्तान विवाद के साथ-साथ अफगानिस्तान के मुद्दे को भी शंघाई सहयोग संगठन में उठाया। भारत ने सभी संगठन के सदस्य देशों से विकास में सहायता बढ़ाने का आग्रह किया और अपनी तरफ से भी पूरे सहयोग का आश्वासन दिया। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि भारत के द्वारा डिजिटल, पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में शंघाई सहयोग संगठन में कई पहल की गई है।

चीन के राष्ट्रपति से भारतीय विदेश मंत्री की हुई मुलाकात
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समय विदेशी दौरे पर गए हुए हैं। अपनी चीनी यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। चीन के राष्ट्रपति से मुलाकात में भारतीय विदेश मंत्री ने भारत के राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री की तरफ से मैसेज चीन के राष्ट्रपति को दिया। चीन राष्ट्रपति और भारतीय विदेश मंत्री के बीच हुई मुलाकात में दोनों देशों के संबंधों को लेकर चर्चा हुई। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर लगभग 5 साल बाद चीन पहुंचे हैं। विदेश मंत्री ने चीन के राष्ट्रपति से हुई मुलाकात को सोशल मीडिया पर जारी किया गया है।
सीमा से जुड़े मुद्दों पर देना चाहिए ध्यान एस जयशंकर
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन में विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के बाद कहा कि भारत और चीन को लंबे समय से चल रहे सीमा से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। दोनों देशों के बीच व्यापार में आ रही समस्याओं को दूर करने के उपाय खोजे जाने चाहिए। साथ ही साथ लोगों के बीच संपर्क को सामान्य बनाने की कोशिश भारत और चीन के द्वारा करनी होगी। उन्होंने कहा कि एक दूसरे के ऊपर विश्वास और समझदारी के आधार पर ही भारत और चीन के संबंध लंबे समय बाद सकारात्मक दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।
भारत को नुकसान पहुंचाने वाले कदम नहीं उठाये चीन
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात करते हुए व्यापार और पर्यटन को लेकर दोनों देशों के संबंधों पर चर्चा की। उन्होंने चीन से अपील की है कि भारत के उत्पादन क्षेत्र को नुकसान पहुंचाने वाले कदम चीन के द्वारा नहीं उठाए जाने चाहिए। चीन के द्वारा व्यापार को और एक्सपोर्ट कंट्रोल को लेकर लगाए गए प्रतिबंधों पर भारत के द्वारा चिंता जताई गई। भारत और चीन को एक दूसरे से सीधे जोड़ने के लिए फ्लाइट शुरू करने तथा सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता भारतीय विदेश मंत्री के द्वारा बताई गई। इसी के साथ शंघाई सहयोग संगठन में विदेश मंत्रियों की बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि सभी को मिलकर आतंकवाद, अलगावाद और चरमपंत से मुकाबला करना होगा। भारत और इसके सभी सदस्य देशों को जीरो टॉलरेंस नीति पर कार्य करना चाहिए।