Subhanshu Shukla Space: भारतीय अंतरिक्ष यात्री सुभांशु शुक्ला का मिशन आखिरकार सफलतम तरीके से लॉन्च हो गया। एक के बाद एक लगातार कई बार लांचिंग की तैयारी करने के बावजूद शुभांशु शुक्ला का यह अभियान लॉन्च नहीं हो पाया था लेकिन आज 25 जून को भारतीय अंतरिक्ष यात्री अपनी टीम के साथ अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के लिए रवाना हुए। अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद शुभांशु शुक्ला के द्वारा खुशी जताई गई।
नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से मिशन लॉन्च
भारतीय अंतरिक्ष यात्री सुभांशु शुक्ला के साथ-साथ उनकी टीम के सदस्यों को अंतरिक्ष ले जाने के मिशन को आज दोपहर 12:00 फ्लोरिडा में नासा के कनाडा स्पेस सेंटर से लांच किया गया। मिशन के सफलतापूर्वक लॉन्च हो जाने के बाद सभी ने खुशी जताई । बताया जा रहा है कि स्पेसक्राफ्ट के अंतरिक्ष में जाने के बाद 26 जून तक ISS से जुड़ने की संभावना है। इससे पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के इस मिशन को कई बार विभिन्न कारणों से टाला जा चुका है।
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अंतरिक्ष पहुंचने पर सुभांशु ने जारी किया संदेश
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने मिशन की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग हो जाने के बाद अंतरिक्ष से देशवासियों के नाम संदेश भेजते हुए उन्होंने कहा कि मेरे सभी प्यारे देशवासियों को नमस्कार! यह एक ऐतिहासिक सफर है। क्या सफर है! उन्होंने कहा कि 41 साल बाद एक बार फिर हम अंतरिक्ष में है। यह सफर वास्तव में शानदार और अद्भुत है। उन्होंने कहा कि हम पृथ्वी के चारों ओर 7.5 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से लगातार चक्कर लगा रहे हैं।
उन्होंने अपने आप के भारतवासी होने पर गर्व जताते हुए कहा कि मेरे कंधों पर लगा तिरंगा मुझे लगातार बताता है कि मैं आप सभी के साथ हूं। मेरी यह यात्रा अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन की ही शुरुआत नहीं है बल्कि भारत के द्वारा मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की भी शुरुआत है। भारतीय अंतरिक्ष यात्री सुभांशु शुक्ला ने बातचीत करते हुए बताया कि मैं चाहता हूं कि आप सभी इस यात्रा का हिस्सा बने। आपके सीने में भी गर्व की अनुभूति होनी चाहिए क्योंकि लंबे समय बाद यह होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि आइये मिलकर भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत करें। जय हिंद जय भारत।
सफल लॉन्चिंग पर भावुक हुए शुभांशु के माता-पिता
भारतीय अंतरिक्ष यात्री सुभांशु शुक्ला और उनकी टीम के इस मिशन की सफल लॉन्चिंग हो जाने के बाद शुभांशु शुक्ला के परिजन खुश नजर आए। शुभांशु शुक्ला के माता और पिता ने लॉन्चिंग हो जाने के बाद ताली बजाकर खुशी का इजहार किया। इसी के साथ-साथ अपने बेटे की इस सफलतम यात्रा की कामना की। शुभांशु शुक्ला के मिशन के लॉन्चिंग हो जाने के बाद उनके माता और पिता भावुक नजर आए। लंबे समय बाद उनके इस मिशन को कामयाबी मिली है। मिशन पर जाने से पहले विभिन्न अभ्यास और संघर्षों का सामना सुभांशु शुक्ला को करना पड़ा है।

1984 में राकेश शर्मा ने की थी अंतरिक्ष यात्रा
सुभांशु शुक्ला के अंतरिक्ष यात्रा पर जाने का यह मौका लंबे समय बाद भारत के लिए आया है। इससे पहले किसी भी भारतीय के द्वारा अंतरिक्ष यात्रा अंतिम बार 1984 में की गई थी। 1984 में अंतरिक्ष यात्रा राकेश शर्मा के द्वारा की गई थी। राकेश शर्मा ने सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट के माध्यम से 1984 में अंतरिक्ष की यात्रा की थी।
ऐसे में 41 साल बाद एक बार फिर भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को यह मौका मिला है। भारतीय अंतरिक्ष यात्री सुधांशु शुक्ला को भारतीय एजेंसी इसरो और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के समझौते के तहत इस मिशन के लिए चयनित किया गया था। इस मिशन के साथ ही शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय जब की अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले भारतीय होंगे।
भारत के लिए महत्वपूर्ण होगा मिशन
आज मिशन की सफल लॉन्चिंग होने के बाद भारतीय इस मिशन से काफी ज्यादा मात्रा में उम्मीद लगाए हुए हैं। भारत आने वाले समय में गगनयान मिशन पर कार्य करेगा। ऐसे में शुभांशु शुक्ला के द्वारा अंतरिक्ष में प्राप्त किए गए अनुभव इसमें काम आएंगे। 2027 तक भारत मानव को अंतरिक्ष में भेजने को लेकर कार्य कर रहा है। अंतरिक्ष में मानव भेजना और उसे वापस सुरक्षित पृथ्वी पर लाना इन सभी में शुभांशु शुक्ला के द्वारा अर्जित किए जाने वाले अनुभव काम आएंगे।
पायलट की भूमिका में है शुभांशु शुक्ला
जिस मिशन की आज सफलतम लॉन्चिंग हुई है उस मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री सुभांशु शुक्ला के अलावा दूसरे देशों के भी अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। इस मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की भूमिका एक पायलट के तौर पर है। शुभांशु शुक्ला के अतिरिक्त पोलैंड, अमेरिका, और हंगरी के भी एक-एक अंतरिक्ष यात्री इस मिशन में शामिल हैं।
आपको बता दे की भारत में एस्ट्रोनॉट को गगन यात्री के नाम से जाना जाता है जबकि चीन में इसे ताईकोनोट और रूस में कॉस्मोनोट के नाम से जाना जाता है। लगभग 41 साल बाद किसी भी भारतीय के द्वारा अंतरिक्ष यात्रा पर जाने की खुशी सभी के चेहरे पर दिखाई दे रही है। सुभांशु शुक्ला के माता और पिता अपने बेटे की इस यात्रा को लेकर बहुत चिंतित थे लेकिन सफलतम लॉन्चिंग के बाद वह खुश नजर आ रहे हैं।