Taliban Russia Recognition : लंबे समय से दुनिया के दूसरे देशों से मान्यता को लेकर मांग करने वाला तालिबान आखिर अपनी इस chal में सफल होता हुआ दिखाई दे रहा है। रूस के द्वारा तालिबान को सरकार की मान्यता दे दी गई है। रूस अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार को मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। रूस के द्वारा यह कदम उठाए जाने के बाद तालिबान ने इसे बहादुरी भरा फैसला बताया है। तालिबान के मंत्री और रूस के राजदूत के बीच 3 जुलाई को मुलाकात होने के बाद यह निर्णय लिया गया है।
रूस ने दी आधिकारिक मान्यता
लंबे समय से तालिबान के द्वारा अपने आप को स्वतंत्र देश की मान्यता देने के लिए दुनिया के दूसरे देशों से मांग की जाती रही थी। अब रूस के द्वारा तालिबान की सत्ता को आधिकारिक रूप से अफगानिस्तान में मान्यता दे दी गई है। ऐसा करने वाला रूस दुनिया में पहला देश है। काबुल में हुई बैठक में अफगानिस्तान में रूस के राजदूत और अफगान विदेश मंत्री शामिल रहे। बैठक के बाद जारी किए गए बयान में तालिबान को आधिकारिक रूप से मान्यता देने की घोषणा की गई। तालिबान सरकार के द्वारा रूस के इस कदम की तारीफ की गई है।तालिबान के विदेश मंत्रालय के द्वारा रूस के द्वारा तालिबान को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि इस्लामी अमीरात को आधिकारिक रूप से मान्यता देने वाला रूस दुनिया का पहला देश बन गया है। लंबे समय से तालिबान अपने आप को इस्लामी अमीरात ऑफ अफगानिस्तान के नाम से दुनिया के सामने पेश करता रहा है।
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रूस बोला बढ़ेगा सहयोग
तालिबान को स्वतंत्र देश के रूप में आधिकारिक रूप से मान्यता देने के बाद और उसके तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि तालिबान को स्वतंत्र देश की मान्यता देने के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग और तेजी से बढ़ेगा। तालिबान के द्वारा लंबे समय से इसे लेकर मांग की जा रही थी। अफगानिस्तान मामलों के विशेष प्रतिनिधि रूस के जमीर ने रूस के द्वारा तालिबान को मान्यता देने की बात स्वीकार की।
राजनयिक तैनात पर मान्यता नहीं
लंबे समय से तालिबान के द्वारा अपने आप को स्वतंत्र देश घोषित करने की कोशिश की जा रही थी। इसे लेकर वह दुनिया के दूसरे देशों से भी सहयोग की उम्मीद कर रहा था। ईरान, चीन पाकिस्तान जैसे विभिन्न देशों के द्वारा तालिबान में अपने राजनयिक को तैनात किया जा रहा था लेकिन तालिबान को लेकर आधिकारिक मान्यता इन देशों के द्वारा अभी तक जारी नहीं की गई थी। ऐसे में रूस के द्वारा इस दिशा में कदम बढ़ाने से दुनिया के दूसरे देश भी आने वाले समय में तालिबान को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दे सकते हैं। रूस के द्वारा मान्यता प्राप्त करना तालिबान के लिए बड़ा कदम बताया जा रहा है।

चार शर्तों पर मिलती है स्वतंत्र देश की मान्यता
किसी भी देश को आधिकारिक रूप से स्वतंत्र देश की मान्यता 1933 की एक संधि के तहत दी जाती है। अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करने के बाद ही यह कदम उठाया जाता है। किसी भी देश को स्वतंत्र घोषित करने के लिए इस संधि के तहत चार शर्तें निर्धारित की गई है। इनमें उस देश की स्थाई आबादी होना जरूरी है। दूसरे देशों से संबंध बनाने की क्षमता तथा स्पष्ट सीमा और सरकार का संगठन होना जरूरी है। ऐसे में तालिबान को रूस के द्वारा स्वतंत्र देश की मान्यता देने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि तालिबान दुनिया के दूसरे देशो से रिश्ते बना सकता है। तालिबान की अपनी सीमा है और अपनी सरकार है।
लगातार मांग कर रहा था तालिबान
अपने आप को स्वतंत्र देश घोषित करने के लिए तालिबान के द्वारा लंबे समय से कोशिश की जा रही थी। अफगानिस्तान पर तालिबान के द्वारा 15 अगस्त 2021 को पूरी तरह कब्जा कर लेने के बाद से उनकी यह मांग जारी थी लेकिन दुनिया के विभिन्न देश तालिबान को मान्यता नहीं दे रहे थे। तालिबान के एक नेता ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अमेरिका के दबाव में आकर दुनिया के दूसरे देश भी तालिबान को स्वतंत्र देश की मान्यता नहीं दे रहे हैं।
आतंकी संगठन से स्वतंत्र देश तालिबान
रूस के द्वारा तालिबान को स्वतंत्र देश की मान्यता देने के बाद दुनिया के दूसरे देश भी इस दिशा में कदम उठा सकते हैं। अफगानिस्तान के कंधार शहर में तालिबान की स्थापना 1994 में हुई थी। अमेरिका की मदद से लंबे समय तक सोवियत संघ के खिलाफ तालिबान के द्वारा युद्ध लड़ा गया था। शुरुआत में तालिबान को अमेरिका का समर्थन था लेकिन बाद में दुनिया भर के आतंकी संगठनों को शरण देने के आरोप में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तालिबान के खिलाफ एक प्रस्ताव पास किया गया। रूस के राष्ट्रपति ने भी इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए तालिबान पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी थी। रूस के द्वारा तालिबान को एक आतंकी संगठन घोषित कर दिया गया था। रूस के द्वारा आतंकी संगठन घोषित कर देने के बाद तालिबान को सबसे पहले स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने वाला देश भी रूस ही बना है।