Trump Russia Tariff : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार रूस के राष्ट्रपति पुतिन को घेरने का कार्य कर रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा था कि पुतिन के द्वारा सिर्फ मीठी-मीठी बातें की जाती है जबकि युद्ध को खत्म करने की दिशा में उनकी तरफ से कोई कदम नहीं उठाया जाता है। दिन में बात करने के बाद में रात में पुतिन बम बरसाते हैं। इसी बीच एक बार फिर अमेरिका के राष्ट्रपति ने रूस पर दबाव बनाने की कोशिश करते हुए कहा कि यदि रूस और यूक्रेन युद्ध को रूस ने जल्दी खत्म नहीं किया तो आने वाले समय में रूस पर बड़ी मात्रा में टैरिफ लगाया जाएगा। लंबे समय से चल रहे रूस और यूक्रेन के युद्ध को लेकर रूस पर लगातार वैश्विक दबाव बढ़ता जा रहा है। इससे पहले फ्रांस के राष्ट्रपति ने भी रूस को यूरोप का सबसे बड़ा खतरा बताया था। अमेरिका भी लगातार यूक्रेन को इस युद्ध में समर्थन कर रहा है और एक बार फिर बड़े स्तर पर हथियार सप्लाई करने की घोषणा अमेरिका के द्वारा की गई है।
लक्ष्य से 22 रन दूर रह गई टीम इंडिया; इंग्लैंड ने बनाई सीरीज में बढ़त
आज पृथ्वी पर लौटेंगे शुभांशु शुक्ला; 18 दिन के बाद होगी शुभांशु की वापसी
इजराइल के प्रधानमंत्री का ईरान के विदेश मंत्री ने बनाया मजाक; बोले -किस चीज का करते हैं नशा
दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार आजादी खतरे में -फ्रांस
ट्रंप बोले -कई चीजों के लिए इस्तेमाल करता हूं ट्रेड को
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस पर युद्ध खत्म नहीं करने की स्थिति में बड़ी मात्रा में टैरिफ लगाने की बात कही है। उनका कहना है कि वैसे तो मैं ट्रेड को कई चीजों के लिए उपयोग में लेता हूं लेकिन यह युद्ध को खत्म करने के लिए बहुत अच्छा हथियार है। यदि रूस के राष्ट्रपति पुतिन के द्वारा यूक्रेन के साथ चल रहे हैं युद्ध को 50 दिन में शांति में नहीं बदल गया या शांति समझौता नहीं किया गया तो रूस पर 100% टैरिफ अमेरिका के द्वारा लगाया जाएगा। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस से पहले भी रूस के राष्ट्रपति के प्रति अपनी नाराजगी जाता चुके हैं। ट्रंप और नाटो के महासचिव के बीच हुई मुलाकात में यूक्रेन को और अधिक मात्रा में हथियार उपलब्ध कराने का ऐलान किया गया। अमेरिका का मानना है कि रूस के द्वारा किए जा रहे हमलों से बचने के लिए यूक्रेन को अधिक हथियारों की जरूरत है।
रूस पर लगेगा ‘सेकेंडरी टैरिफ’ -Trump
रूस और यूक्रेन के मध्य लंबे समय से युद्ध चल रहा है। इसे खत्म करने की कोशिश अमेरिका के द्वारा लगातार की जा रही है लेकिन रूस के द्वारा इस पर सहमति नहीं दी जा रही है। जिसके बाद अमेरिका के राष्ट्रपति ने रूस को धमकी दी है कि यदि 50 दिनों में शांति समझौता नहीं किया गया तो रूस पर 100% टैरिफ होगा। इसी के साथ उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि रूस पर लगाए जाने वाला टैरिफ सेकेंडरी टैरिफ होगा अर्थात रूस के ऊपर तो टैरिफ लगेगा ही लेकिन रूस से तेल खरीदने वाले दूसरे देशों पर भी विभिन्न तरह के प्रतिबंध लगाए जाएंगे। अमेरिका के द्वारा यह कदम रूस की घेराबंदी करने के लिए किया जा रहा हैं। ताकि रूस पर अधिक से अधिक दबाव बनाया जा सके और लंबे समय से चल रहे यूक्रेन के साथ युद्ध को खत्म किया जा सके।

मुझे बेवकूफ नहीं बना सकते पुतिन -ट्रंप
रूस और यूक्रेन के युद्ध पर बयान देते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने बताया कि पुतिन के द्वारा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपतियों को बेवकूफ बनाया गया लेकिन वह मुझे बेवकूफ नहीं बना सकते। अब रूस के ऊपर एक्शन लेना काफी जरूरी हो गया है। पुतिन को भी इस बात का पता है कि दोनों देशों के बीच क्या डील है। उन्होंने कहा कि पुतिन से मेरी हमेशा अच्छी बातचीत होती है लेकिन अच्छी बातचीत के बावजूद पुतिन उस बात पर सहमत नहीं होते हैं। बात करने के बाद जब मैं घर पहुंचता हूं तो फर्स्ट लेडी से पुतिन के साथ हुई बातचीत बताता हूं। जिस पर उनके द्वारा मुझे यह बताया जाता है कि अभी-अभी यूक्रेन के एक और शहर पर हमला हुआ है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन पर नाराजगी जाता होते हुए ट्रंप ने कहा कि हमने कई बार रूस के साथ शांति समझौता कर लिया लेकिन फिर भी युद्ध समाप्त नहीं हो रहा है। युद्ध के लिए हम जिम्मेदार नहीं है लेकिन हम इसे जल्दी खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।
रूस की अर्थव्यवस्था को किया जाएगा कमजोर
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा शांति समझौता नहीं करने की स्थिति में रूस पर सेकेंडरी टैरिफ लगाने की घोषणा की गई है। इससे यह स्पष्ट है कि रूस पर तो बड़ी मात्रा में अमेरिका टैरिफ लगाने जा ही रहा है लेकिन इसके साथ-साथ रूस से तेल खरीदने वाले उसके सहयोगी देशों पर भी प्रतिबंध लगाए जाएंगे। ऐसी स्थिति में दूसरे देश रूस के साथ व्यापार करने में कतराएंगे। जिसका असर रूस की अर्थव्यवस्था पर होगा। अमेरिका के द्वारा उठाए जा कदम रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के उद्देश्य है। यदि ऐसा होता है तो रूस के साथ-साथ भारत पर भी इसका प्रभाव दिखाई देगा क्योंकि लंबे समय से भारत रूस से तेल खरीद रहा है।