Trump Security Breach : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया गया है। ट्रंप की सुरक्षा में चूक की लापरवाही मानते हुए सीक्रेट सर्विस के 6 एजेंट को सस्पेंड कर दिया गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर पिछले साल एक रैली के दौरान जानलेवा हमला हुआ था। ट्रंप पर अचानक हमलावर के द्वारा फायरिंग कर देने से यह स्थिति बनी थी। हमलावर के द्वारा अचानक की गई फायरिंग में गोली ट्रंप के कान को छूते हुए निकली थी। हालांकि ट्रंप इस हमले में बच गए थे। इसी हमले में सीक्रेट सर्विस के 6 एजेंट को लापरवाह मानते हुए सस्पेंड कर दिया गया है।
कान को छूकर निकली थी गोली
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 13 जुलाई 2024 को पेंसिलवेनिया में एक रैली को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान अचानक अज्ञात हमलावर के द्वारा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हमला कर दिया गया था। जिसमें गोली ट्रंप के कान को छूते हुए निकल गई थी। ट्रंप के कान को छूकर निकली गोली के कारण ट्रंप का चेहरा खून से लथपथ हो गया था और वह इस हमले में घायल हो गए थे। अज्ञात हमलावर के द्वारा किए गए हमले में रैली में शामिल एक फायर फाइटर की भी मौत हो गई थी। सीक्रेट सर्विस के एजेंटो के द्वारा हमलावर को ढेर कर दिया गया था लेकिन ट्रंप पर हुए हमले को सुरक्षा में चूक मानते हुए यह कार्रवाई की गई है।
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10 से 42 दिनों के लिए किया गया सस्पेंड
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले में लापरवाही के कारण 6 एजेंट को सस्पेंड किया गया है। बताया जा रहा है कि सस्पेंड किए गए सीक्रेट एजेंट में अधिकारी से लेकर निचले स्तर तक के कर्मचारी शामिल हैं। सीक्रेट एजेंट को 10 दिनों से लेकर 42 दिनों तक के लिए सस्पेंड किया गया है। हालांकि इन एजेंट को अपील का अधिकार होने के कारण यह अपने खिलाफ की गई कार्रवाई को चुनौती दे सकते हैं। अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग की जांच रिपोर्ट में यह माना गया है कि सीक्रेट एजेंट के द्वारा ट्रंप की सुरक्षा में चूक हुई थी। इसी कारण ट्रंप पर यह हमला हो पाया। पेश की गई रिपोर्ट में सीक्रेट सर्विस की जिम्मेदारी पर सवाल उठाए गए हैं। यह आरोप लगाया गया है कि यह संस्था अब लापरवाह सिस्टम में परिवर्तित हो चुकी है और आने वाले समय में खतरे और बढ़ सकते हैं।
ट्रंप पर दो बार हुआ था हमला
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर लगभग 1 वर्ष पहले कुछ ही समय अंतराल पर दो बार हमला करने की कोशिश की गई थी। एक बार किए गए हमले में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कान को छूकर गोली निकल गई थी जबकि इसके कुछ दिनों बाद ही एक बार फिर ट्रंप पर हमला हुआ था। दूसरी बार ट्रंप पर हमला हुआ उस समय वह गोल्फ कोर्स पर थे। एक के बाद एक लगातार हमला होने पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराई गई थी।

हमले को लेकर ट्रंप पर उठे थे सवाल
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर लगभग 1 वर्ष पहले हुए हमले को लेकर विभिन्न तरह के सवाल उठे थे। कुछ जांच रिपोर्ट में इसे सीक्रेट सर्विस की लापरवाही माना गया था तो वहीं दूसरी तरफ यह भी सामने आया था कि डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा अपने ऊपर हमले चुनावी फायदे के लिए खुद ने करवाए थे। यह दावा किया जाता रहा है कि चुनावी फायदे के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ऊपर हमले करवाए थे। जिससे सहानुभूति के तौर पर उनका चुनाव में फायदा मिल सके।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चुनाव से पहले अपने ऊपर हमले करवाए जाने के दावे को हालांकि सही नहीं माना जा रहा है। क्योंकि इस हमले में गोली ट्रंप के कान को छू करने निकली थी। थोड़ी सी भी चूक हो जाने पर ट्रंप के शरीर के किसी भी भाग पर गोली लग सकती थी। ऐसे में ऐसा बड़ा खतरा ट्रंप के द्वारा नहीं लिया जा सकता। दूसरी तरफ राष्ट्रपति चुनाव से पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बिडेन के साथ हुई ट्रंप की डिबेट से यह स्पष्ट हो गया था कि आने वाले चुनाव में अमेरिका का राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ही होंगे। इसलिए चुनाव में फायदे के लिए हमला करवाने की बात को स्वीकार नहीं किया गया था।
सीक्रेट सर्विस के पास होती है सुरक्षा की जिम्मेदारी
अमेरिका में सीक्रेट सर्विस एक सुरक्षा एजेंसी के तौर पर कार्य करती है। यह प्रमुख लोगों को सिक्योरिटी देने का कार्य करती है। किसी भी दौरे से पहले वह स्थल का मौका मुवायना करते हुए सुरक्षा से संबंधित विभिन्न पहलुओं की जांच करने के बाद ही अनुमति जारी करती है। इसी के साथ-साथ कार्यक्रम या अन्य समारोह में प्रमुख व्यक्तियों को सुरक्षा के लिए सीक्रेट सर्विस के एजेंट के द्वारा कवर किया जाता है। सीक्रेट सर्विस के एजेंट अपनी ड्यूटी को बड़ी ही शिद्दत से निभाते हुए नजर आते हैं। ऐसे में सीक्रेट सर्विस के एजेंट मौजूद होने के बावजूद अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप पर हमला होने के बाद अमेरिका में सुरक्षा एजेंसियों पर सवाल उठे थे।