Trump Taiwan Statement में ट्रंप ने कहा कि उनके कार्यकाल तक ताइवान पर कोई खतरा नहीं होगा। चीन ने भरोसा दिया कि हमले की कार्रवाई नहीं होगी।

मेरे राष्ट्रपति रहते हुए ताइवान को नहीं होगा कोई खतरा : ट्रंप

Trump Taiwan Statement : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ताइवान को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जब तक मैं राष्ट्रपति हूं ताइवान को किसी भी प्रकार का खतरा पैदा नहीं होगा। चीन के राष्ट्रपति के द्वारा मुझे यह भरोसा दिया गया है कि हमारे द्वारा ताइवान पर हमला नहीं किया जाएगा। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के द्वारा एक इंटरव्यू में यह बयान दिया गया। ट्रंप के मुताबिक अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से चीन के राष्ट्रपति पुतिन ने मुलाकात में कहा था कि जब तक आप राष्ट्रपति हैं मैं ताइवान पर हमला नहीं करूंगा। चीन इस मामले में धैर्य रख रहा है। इसी के साथ यह भी संभावना है कि आगे चलकर ताइवान पर चीन के द्वारा कदम उठाए जा सकते है। ट्रंप के द्वारा चीन के राष्ट्रपति को ताइवान के मुद्दे पर धैर्य बरतने की सलाह दी है।

चीन और ताइवान में काफी लंबे समय से विवाद जारी है। 1949 में चीन में गृह युद्ध हुआ था। इस ग्रह युद्ध में कम्युनिस्ट पार्टी के द्वारा जीत हासिल कर लेने के बाद मैनलैंड पर कब्जा कर लिया गया था। गृह युद्ध में हार कर नेशनलिस्ट सरकार के द्वारा ताइवान द्वीप पर सत्ता कायम की गई थी। इसके बाद से लगातार ताइवान को चीन अपना हिस्सा बताता रहा है जबकि ताइवान अपने आप को एक चुनी हुई सरकार के रूप में पेश करता है। चीन का कहना है कि ताइवान को कुछ समय पश्चात अपने कब्जे में ले लिया जाएगा। 1950 से 1960 के दशक में संयुक्त राष्ट्र में चीन की सीट पर ताइवान का कब्जा था लेकिन यह स्थिति जल्द ही बदल गई। 1971 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पास करते हुए चीन की सीट को बीजिंग को दे दिया और इसी के साथ ताइवान संयुक्त राष्ट्र महासभा से बाहर हो गया।

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ताइवान पर किनारा कर रहे ट्रंप

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन और ताइवान के मुद्दे को लेकर अब किनारा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यह स्पष्ट किया था कि यदि चीन के द्वारा ताइवान पर हमला किया गया तो अमेरिका ताइवान का साथ देगा लेकिन डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बनने के बाद लगातार ताइवान के मुद्दे से बचते रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप से ताइवान पर सवाल किए जाने पर उन्होंने इस पर कुछ नहीं बोलने की बात कही थी। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग की अंतिम बार मुलाकात 2017 में हुई थी।

लंबे समय से चल रहा चीन ताइवान मुद्दा

चीन और ताइवान में काफी लंबे समय से विवाद जारी है। 1949 में चीन में गृह युद्ध हुआ था। इस ग्रह युद्ध में कम्युनिस्ट पार्टी के द्वारा जीत हासिल कर लेने के बाद मैनलैंड पर कब्जा कर लिया गया था। गृह युद्ध में हार कर नेशनलिस्ट सरकार के द्वारा ताइवान द्वीप पर सत्ता कायम की गई थी। इसके बाद से लगातार ताइवान को चीन अपना हिस्सा बताता रहा है जबकि ताइवान अपने आप को एक चुनी हुई सरकार के रूप में पेश करता है। चीन का कहना है कि ताइवान को कुछ समय पश्चात अपने कब्जे में ले लिया जाएगा। इसके लिए भले ही चीन को कुछ भी कदम उठाना पड़े। दूसरी तरफ ताइवान चीन से अलग होकर अपनी अलग सेना पासपोर्ट और मुद्रा का निर्माण कर चुका है। ताइवान ठीक उसी तरह कार्य कर रहा है जिस तरह एक स्वतंत्र देश कार्य करता है। हालांकि अभी तक दुनिया के विभिन्न देशों के द्वारा ताइवान को औपचारिक रूप से स्वतंत्र देश का दर्जा नहीं दिया गया है। चीन के दबाव के कारण दूसरे देश अभी तक ताइवान के साथ खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। चीन और ताइवान के बीच जिस मुद्दे को लेकर विवाद बना रहता है वह दरअसल एक ताइवान द्वीप है। इस द्वीप का क्षेत्रफल लगभग 36000 वर्ग किलोमीटर है। इस द्वीप पर दो करोड़ से अधिक लोगों की आबादी निवास करती है।

Trump Taiwan Statement में ट्रंप ने कहा कि उनके कार्यकाल तक ताइवान पर कोई खतरा नहीं होगा। चीन ने भरोसा दिया कि हमले की कार्रवाई नहीं होगी।
Trump Taiwan Statement में ट्रंप ने कहा कि उनके कार्यकाल तक ताइवान पर कोई खतरा नहीं होगा। चीन ने भरोसा दिया कि हमले की कार्रवाई नहीं होगी।
मान्यता दे चुका अमेरिका

चीन और ताइवान के बीच गृह युद्ध होने के बाद अमेरिका के द्वारा 1979 में बीजिंग को मान्यता दी गई थी। अमेरिका के द्वारा ताइवान को असली चीन माना जा रहा था। इसी कारण 1950 से 1960 के दशक में संयुक्त राष्ट्र में चीन की सीट पर ताइवान का कब्जा था लेकिन यह स्थिति जल्द ही बदल गई। 1971 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पास करते हुए चीन की सीट को बीजिंग को दे दिया और इसी के साथ ताइवान संयुक्त राष्ट्र महासभा से बाहर हो गया। अमेरिका के द्वारा 1979 में चीन को औपचारिक रूप से मान्यता दी गई थी और ताइवान के साथ अपने सभी रिश्ते खत्म कर दिए थे लेकिन इसके साथ-साथ अमेरिका ने ताइवान के साथ एक समझौता किया जिसके मुताबिक अमेरिका ताइवान को अपनी रक्षा करने के लिए हथियार प्रदान करेगा। ताइवान के मुद्दे पर अमेरिका सरकार की स्थिति स्पष्ट नहीं रही है। कभी भी अमेरिका ने खुलकर ताइवान का साथ देने की बात नहीं कही है। दूसरी तरफ ताइवान के मुद्दे से पूरी तरह अमेरिका के द्वारा किनारा भी नहीं किया गया है। चीन के द्वारा बार-बार ताइवान को यह धमकी दी जाती है कि यदि ताइवान के द्वारा स्वतंत्र देश बनने की औपचारिक घोषणा की गई तो उसके ऊपर चीन सैन्य कार्रवाई करेगा।

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