US India Tariff : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा कुछ महीने पहले यह बयान दिया जा रहा था कि भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही बड़ी डील होने वाली है लेकिन समय गुजरने के साथ-साथ स्थिति बदल गई। अमेरिका के राष्ट्रपति ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने के साथ-साथ जुर्माना भी लगाया। इसके कुछ दिन बाद ट्रंप ने फिर तीखे तेवर दिखाते हुए भारत के टैरिफ को 25% से बढ़कर 50% तक कर दिया। बताया जा रहा है कि अमेरिका की भारत से नाराजगी रूस के साथ चल रहे तेल व्यापार के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों के ऊपर भी है। अमेरिका लगातार भारत के कृषि और डेयरी क्षेत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना चाहता था लेकिन भारत ने इसके लिए अनुमति प्रदान नहीं की जिससे नाराज होकर अमेरिका के द्वारा भारत को लेकर यह कदम उठाया गया। दोनों देशों के बीच पिछले 4 महीने से समझौते को लेकर बातचीत चल रही है लेकिन यह डील अंतिम स्वरूप तक नहीं पहुंच सकी। अमेरिका के द्वारा भारत के साथ-साथ कई दूसरे देशों से भी डेयरी और कृषि क्षेत्र में समझौता करने की कोशिश की जा रही है जिनमे स्विट्जरलैंड दक्षिण कोरिया भारत कनाडा और आइसलैंड जैसे देश शामिल हैं।
अमेरिका खिलता पशुओ को हड्डियों से बने एंजाइम
अमेरिका चाहता है कि भारत में उसके डेयरी प्रोडक्ट्स को प्रदान किये जाए। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और इस क्षेत्र में भारत में बड़े स्तर पर लोग कार्य कर रहे हैं। इसी को देखते हुए अमेरिका की कोशिश दूध घी और पनीर को भारत में भेजने की है लेकिन भारत सरकार के द्वारा इसे लेकर सहमति प्रदान नहीं की गई है। भारतीय सरकार को आशंका है कि यदि यह अनुमति दी गई तो स्थानीय किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। दूसरी तरफ इससे धार्मिक भावना जुड़ी होने के कारण भी भारत सतर्क होकर कार्य कर रहा है। अमेरिका के द्वारा गायों को हड्डियों से बने एंजाइम खाने में दिए जाते हैं ऐसे में गायों को बेहतर पोषण प्रदान करने के लिए उन्हें मांसाहार दिया जाता है। इन गायों के द्वारा दिए जाने वाले दूध को भारत मांसाहारी दूध के रूप में देखा है।
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कृषि क्षेत्र में कम टैक्स चाहता है अमेरिका
अमेरिका के द्वारा लगातार भारत पर दबाव बनाते हुए कृषि क्षेत्र में लगाए जाने वाले टैक्स को कम करने की कोशिश की गई थी। विभिन्न फल तथा फसलों को वह भारत में बेचना चाहता था लेकिन भारत ने किसानो की सुरक्षा के प्रति चिंता जताते हुए स्पष्ट तौर पर इस नकार दिया है। किसान संगठनों के द्वारा लगातार इस मुद्दे पर विरोध किया जा रहा था। जिसे देखते हुए भारत सरकार ने अमेरिका की GMO फसलों को भी भारत में बेचने से इनकार कर दिया है। इस तरह की फसलों को जीन बदलकर तैयार किया जाता है। जब फसल के जीन को बदल दिया जाता है तो उसमें नए जीनो का निर्धारण होता है।
ऐसा करने से फसल की पैदावार प्रभावित होने के साथ-साथ विभिन्न तरह के रोग और कीड़ों से भी फसल का बचाव होता है। इससे फसल का उत्पादन तो अधिक होता है लेकिन यह पर्यावरण या स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। जीन बदलकर तैयार की जाने वाली फसल में कीटों से लड़ने तथा कम पानी की समस्या से लड़ने की ताकत होती है। यदि भारत के द्वारा इसकी अनुमति दी जाती है तो कॉर्पोरेट कंपनियों के द्वारा बीजों पर नियंत्रण कर लिया जाएगा। साथ ही साथ भारतीय पारंपरिक खेती को बड़े स्तर पर नुकसान उठाना पड़ेगा। इसी कारण भारतीय द्वारा कृषि क्षेत्र में अमेरिका के साथ समझौता नहीं किया गया है।

कई देशों ने लगा रखा अमेरिका पर ज्यादा टैक्स
अमेरिका के द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले कृषि तथा डेयरी उत्पादों को लेकर न सिर्फ भारत द्वारा विरोध किया जा रहा है बल्कि दुनिया के विभिन्न देश के द्वारा लगातार अमेरिका के ऊपर इन क्षेत्रों में बड़ा टैक्स लगाया जा रहा है। दक्षिण कोरिया कनाडा के द्वारा लगातार अमेरिका का इन क्षेत्रों में विरोध किया जा रहा है। इन देशों की कोशिश है कि अमेरिका के उत्पादों से बचाव करते हुए अपने घरेलू क्षेत्र का दमन होने से बचाव किया जाए।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के द्वारा वर्तमान में चल रही टैरिफ तथा दूसरी वैश्विक आर्थिक समस्याओं को लेकर बड़ा बयान दिया गया। उन्होंने कहा कि यदि भारत को आने वाले समय में विश्व गुरु बनना है तो इंपोर्ट को कम करना होगा जबकि इसकी तुलना में एक्सपोर्ट को बढ़ाना होगा। उन्होंने अमेरिका और टैरिफ का नाम लिए बगैर कहा कि दुनिया झुकती है लेकिन इसको झुकाने वाला चाहिए। नितिन गडकरी के द्वारा दिया गया यह बयान नागपुर में आयोजित एक सम्मेलन के दौरान दिया गया। उन्होंने कहा कि दुनिया के कुछ देश ऐसे हैं जो आर्थिक रूप से संपन्न है। आर्थिक रूप से संपन्न होने के कारण उनके द्वारा दुनिया के दूसरे देशों पर दादागिरी की जा रही है। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा भारत पर 25% टैरिफ को बढ़ाकर 50% कर दिया था। अमेरिका के द्वारा भारत को विभिन्न तरह की धमकी भी लगातार दी जा रही है।
दुनिया की सभी समस्याओं का हल साइंस टेक्नोलॉजी और नॉलेज -गडकरी
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि हमारे देश में बड़े स्तर पर देशभक्ति को लेकर चर्चा की जाती है लेकिन सबसे बड़ी राष्ट्रभक्ति तब सफल होगी जब इंपोर्ट को कम करते हुए एक्सपोर्ट को लगातार बढ़ाया जाए। यदि भारत को विश्व गुरु बनना है तो यह करना आवश्यक होगा। दुनिया में किसी भी प्रकार की समस्या का समाधान मौजूद होता है लेकिन उसके लिए साइंस टेक्नोलॉजी और नॉलेज का होना आवश्यक है। यदि हमारे पास नॉलेज और पावर है और उसका इस्तेमाल किया जाए तो दुनिया के सामने भारत को झुकना हीं पड़ेगा। इंपोर्ट को घटाते हुए यदि एक्सपोर्ट को बढ़ाया जाता है तो देश की इकोनॉमी काफी मजबूत हो जाएगी और हमें नहीं लगता फिर किसी भी देश के पास जाकर हमें कोई चीज मंगानी पड़ेगी।