Uttarkashi Cloudburst से धराली, हर्षिल, सुक्खी गांवों में भारी तबाही, 100+ लापता, 1500 साल पुराना मंदिर नष्ट, सेना के जवान भी लापता

उत्तराखंड में बादल फटने से जल प्रलय; सैकड़ो लोग लापता

Uttarkashi Cloudburst : उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फट जाने से बड़ी जल प्रलय हुई। अचानक आई आपदा के कारण 100 से भी ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं जबकि बड़ी मात्रा में गंगोत्री हाईवे पर स्थित तीन गांव प्रभावित हुए हैं। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में गंगोत्री हाईवे पर स्थित धाराली हर्षिल और सुक्खी गांव में 3 घंटे में तीन जगह बादल फटने से भीषण तबाही देखने को मिली। बादल फटने की घटना गंगोत्री से 18 किलोमीटर पहले धराली गांव में हुई। बादल फटने के बाद पहाड़ टूटने के कारण तबाही और बढ़ गई। पहाड़ तथा पानी के मलबे के कारण लोग काल के ग्रास में समा गए। अचानक हुई इस तबाही में आम नागरिकों के साथ-साथ 10 सेना के जवान भी लापता बताए जा रहे हैं। सेना का कैंप और हेलीपैड भी इस आपदा की भेंट चढ़ गया। लगातार बचाव कार्य सुरक्षा कर्मियों के द्वारा किया जा रहा है।

3 घंटे में तीन जगह फटे बादल

उत्तराखंड में अचानक बादल फटने से तबाही का मंजर देखने को मिला। गंगोत्री हाईवे पर स्थित तीन गांव में थोड़े समय अंतराल के बाद बादल फटे। सर्वप्रथम 12:40 पर उत्तरकाशी में बादल फटने से बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। खीर गंगा नदी में अचानक बादल फटने से पानी का जलस्तर खतरनाक हो गया। खीर गंगा नदी में अचानक बढ़े पानी तथा बादल फटने के कारण 50 से ज्यादा घरों वाला गांव पूरी तरह से दफन हो गया। इसके कुछ समय बाद लगभग 2:00 बजे हर्षिल के तेल गार्ड नाले में बादल फटने से बाढ़ आ गई। यहां पर स्थित सेना का कैंप और हेलीपैड भी इस बाढ़ के कारण बह गया। बताया जा रहा है की सेना के 10 से भी ज्यादा जवान लापता है। तीसरी बादल फटने की घटना लगभग दोपहर 3:00 हुई। धराली से लगभग 7 किलोमीटर दूर सुक्खी गांव में भी अचानक बादल फट गया। धराली में बादल फटने से विभिन्न इमारतें बह गई और विभिन्न लोगों को जान और माल का नुकसान झेलना पड़ा। अचानक फटे बादल के कारण बाढ़ तथा पहाड़ के टूटने से समस्या और ज्यादा बढ़ गई।

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लगातार जारी है बचाव कार्य

उत्तराखंड में तीन अलग-अलग जगह थोड़े-थोड़े समांतरल बाद बादल फटने से विशाल आपदा का सामना करना पड़ा। सैकड़ो लोगों के लापता होने के साथ-साथ चार लोगों की मौत की खबर मिल रही है। मृतकों की संख्या आने वाले समय में बढ़ेगी। बचाव कार्यों में सुरक्षा बलों के द्वारा लगातार कार्य किया जा रहा है। आईटीबीपी एसडीआरएफ एनडीआरएफ और आर्मी की टीम लगातार रेस्क्यू करने का कार्य कर रही है। अब तक आपदा स्थल से सैकड़ो लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है। धराली सुक्खी और हर्षिल में बादल फटने से सर्वाधिक नुकसान धराली में देखने को मिला है जबकि सुक्खी और हरसिल में धराली की तुलना में इस आपदा से कम नुकसान देखने को मिला है।

आधा मिनट में गांव तबाह

उत्तरकाशी के धराली गांव में प्राकृतिक आपदा के कारण कुछ ही सेकंड में पूरा गांव तबाह हो गया। मिल रही खबर के मुताबिक़ पिछले दो दिन से लगातार उत्तरकाशी में भारी बारिश हो रही थी। मंगलवार दोपहर अचानक बादल फट जाने से खीर गंगा नदी में पानी बढ़ गया। साथ ही साथ पहाड़ के ढह जाने से खीर गंगा नदी में पहाड़ का मलबा भी साथ-साथ नीचे आया। बाढ़ और पहाड़ का मलबा एक साथ गांव में पहुंचने से पूरा गांव इस मलबे में समा गया। गांव में स्थित ज्यादातर घर मलबे की चपेट में आने से नष्ट हो गए हैं। बादल फटने के कुछ ही सेकंड में 50 से ज्यादा घरो वाला गांव लगभग समाप्त हो गया। अचानक हुई घटना पर लोगों को संभलने तक का मौका नहीं मिला। कुछ लोगों ने भाग कर जान बचाने की कोशिश की लेकिन पानी की गति इतनी तेज थी कि वह इस कोशिश में सफल नहीं हो पाए।

Uttarkashi Cloudburst से धराली, हर्षिल, सुक्खी गांवों में भारी तबाही, 100+ लापता, 1500 साल पुराना मंदिर नष्ट, सेना के जवान भी लापता
Uttarkashi Cloudburst से धराली, हर्षिल, सुक्खी गांवों में भारी तबाही, 100+ लापता, 1500 साल पुराना मंदिर नष्ट, सेना के जवान भी लापता
जानकार दे चुके थे गांव को विस्थापित करने की चेतावनी

उत्तराखंड की धराली गांव की अवस्थिति को देखते हुए पहले भी कई बार आपदाओं का सामना करना पड़ा है। धराली गांव में 2014, 2013 और 1864 में भी पहाड़ पर बादल फटने की घटनाएं हो चुकी है। बादल फटने के बाद खीर गंगा नदी के द्वारा तबाही मचाई गई थी। जानकार भूगर्भ वैज्ञानिकों के द्वारा इससे पहले सरकार को धराली गांव को दूसरी जगह विस्थापित करने की सलाह दी गई थी। बताया जाता है कि धराली गांव हिमालय की दरार पर बसा हुआ है।

आपदा से नष्ट हुआ केदारनाथ मंदिर

उत्तरकाशी में बादल फटने के कारण धराली पूरा गांव नष्ट हो गया। इसी के साथ धराली में स्थित एक प्राचीन केदार मंदिर भी मलबे में दफन हो गया है। बताया जाता है कि यह मंदिर लगभग 1500 साल पुराना था। भागीरथी नदी के किनारे पर स्थित इस मंदिर को स्थानीय लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है। प्राचीन केदार मंदिर को पंच केदार परंपरा से जुड़ा हुआ माना जाता है। अचानक हुई आपदा के कारण लोग भागते चिल्लाते हुए नजर आ रहे हैं लेकिन लोगों को संभलने का समय नहीं मिल पाया। घटना के विभिन्न वीडियो सामने आ रहे हैं जिनमें इस तबाही का मंजर स्पष्ट तौर पर दिखाई दे सकता है।

 

होटल में ठहरे थे पर्यटक

धराली गांव गंगोत्री धाम से कुछ किलोमीटर की ही दूरी पर है। यहां पर बड़ी मात्रा में पर्यटकों के द्वारा जाया जाता है। बादल फटने की घटना होने के समय विभिन्न होटलों में पर्यटक स्थित थे। घटना के बाद पर्यटक होटल को छोड़कर भागते हुए दिखाई दिए। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कितने पर्यटकों और आम नागरिकों की इस घटना में मौत हुई है। धराली गंगोत्री के रास्ते में उनके कारण यहां पर 50 से ज्यादा मकान के साथ-साथ 30 से ज्यादा होटल और होमस्टे तथा रिजॉर्ट भी हैं। बादल फटने के कारण खीर गंगा नदी का प्रवाह काफी तेज हो गया। 10 मीटर चौड़ी नदी पानी के प्रवाह के कारण 30 मीटर से भी अधिक क्षेत्र में होकर बहती हुई दिखाई दी।

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